दिनांक 12 मई 2025 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक संदेश दिया गया, जिसका मूल उद्देश्य देशवासियों को हाल ही में हुए आतंकवादी हमले, 'ऑपरेशन सिंदूर', और उसके बाद भारत की कड़ी कार्रवाई की जानकारी देना था। प्रधानमंत्री ने देश की जनता को संबोधित करते हुए वीरता, साहस और देशभक्ति की मिसाल बने हमारे सुरक्षाबलों को नमन किया और देश के प्रत्येक नागरिक को एकजुट होने का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत देश के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर की। उन्होंने भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना, वैज्ञानिकों, पुलिस बल, और खुफिया एजेंसियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सुरक्षा और सम्मान के लिए की गई एक आवश्यक और निर्णायक कार्रवाई थी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने देश को झकझोर दिया था, जिसमें निर्दोष बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाया गया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब चुप नहीं बैठ सकता था। यह हमला न केवल हमारे लोगों पर, बल्कि हमारे धैर्य और गरिमा पर भी हमला था। देश के शत्रुओं ने सोचा था कि भारत केवल बयान देगा और चुप रहेगा, लेकिन भारत ने अपनी नीति बदलते हुए "नेशन फर्स्ट" के सिद्धांत पर चलते हुए ठोस निर्णय लिया।
उन्होंने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं का प्रतिकार था। यह भारत की ओर से स्पष्ट संदेश था कि आतंक और आतंकियों के लिए अब भारत में कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 6 मई की रात और 7 मई की सुबह भारत की सेनाओं ने अद्भुत बहादुरी के साथ उस कार्य को अंजाम दिया, जो पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब किसी भी आतंकवादी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा।
इस अभियान में भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के कई लॉन्चिंग पैड, ट्रेनिंग कैंप और हथियार डिपो को ध्वस्त कर दिया। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह हमला केवल सैन्य बल पर ही आधारित नहीं था, बल्कि इसके पीछे महीनों की तैयारी, सटीक खुफिया जानकारी और अत्याधुनिक तकनीक का भी बड़ा योगदान था।
उन्होंने कहा कि यह समय देश में एकता और संकल्प का है। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे किसी भी धर्म, जाति, वर्ग या भाषा से हों, देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए एक साथ खड़े हों। यह देश हम सबका है, और जब इस पर हमला होता है, तो जवाब भी एकजुट होकर दिया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन शांति का मतलब यह नहीं कि हम डरकर बैठें। अगर कोई हमारी माताओं, बहनों और बच्चों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, तो भारत माफ नहीं करेगा।
इस भाषण में प्रधानमंत्री ने उन शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की, जिन्होंने अपने प्रियजनों को आतंक की भेंट चढ़ते देखा। उन्होंने कहा कि देश आपके साथ खड़ा है और आपकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने हर नागरिक से अपील की कि वे सेना और सरकार पर विश्वास बनाए रखें, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ सीमाओं की नहीं, बल्कि देश के आत्मसम्मान की है।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि आतंकवाद के खिलाफ यह निर्णायक लड़ाई केवल एक शुरुआत है। जब तक आतंक की जड़ें पूरी तरह समाप्त नहीं हो जातीं, तब तक भारत शांत नहीं बैठेगा। उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि आने वाले दिनों में भारत अपनी सुरक्षा नीति को और सशक्त करेगा, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक के समर्थकों को बेनकाब करेगा और सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत का यह हमला केवल सैन्य जीत नहीं, बल्कि नैतिक और रणनीतिक जीत भी है। आज पूरी दुनिया भारत की इस कार्रवाई को सराह रही है और कई देशों ने भारत के साहसिक कदम की सराहना की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं, बल्कि आतंक से मुक्ति है।
प्रधानमंत्री ने मीडिया से अपील की कि वे संयम बरतें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें। उन्होंने देश के युवाओं से भी अपील की कि वे सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से प्रयोग करें और अफवाहें फैलाने वालों से सावधान रहें। यह समय है कि पूरा देश एक होकर देश की सुरक्षा और विकास में योगदान दे।
उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से भी एकजुटता की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा और आत्मसम्मान से बड़ा कोई मुद्दा नहीं होता। उन्होंने सभी राज्यों की सरकारों से कहा कि वे शांति बनाए रखने में सहयोग करें और किसी भी तरह की नफरत फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करें।
प्रधानमंत्री के इस भाषण ने पूरे देश में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास भर दिया। सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और आम लोगों के बीच यह भाषण चर्चा का विषय बना। लोग इसे भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घड़ी मान रहे हैं, जब देश ने एकजुट होकर आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया।
अंत में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से वादा किया कि भारत की धरती पर आतंक को जड़ से खत्म किया जाएगा और शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र अपने सैनिकों, वैज्ञानिकों और नागरिकों के साहस और समर्पण से सुरक्षित और सशक्त बना है और रहेगा।
इस प्रकार प्रधानमंत्री का यह राष्ट्र के नाम संबोधन एक मजबूत, स्पष्ट और प्रेरणादायक संदेश था जो न केवल देशवासियों को एकजुट करता है, बल्कि दुनिया को भी बताता है कि भारत अब किसी भी सूरत में आतंक को बर्दाश्त नहीं करेगा।
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