Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

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a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

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NIPUN Bharat helps young children read and do basic math with understanding and confidence.

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Tuesday, May 20, 2025

भारत में फिर लौटा कोरोना, मुंबई में 53 नए केस, सतर्कता ज़रूरी

 


दक्षिण-पूर्व एशिया के हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों में कोविड-19 के मामलों में अचानक आई तेजी के बाद अब भारत में भी कोरोना वायरस की वापसी होने लगी है। हाल ही में मुंबई में एक ही दिन में 53 नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। यह 2020 के बाद की स्थिति की याद दिला रहा है, जब पूरे देश में लॉकडाउन और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता पड़ी थी। विशेषज्ञों के अनुसार SARS-CoV-2 वायरस का नया स्वरूप ही इसके पीछे की वजह हो सकता है, जो तेजी से फैल रहा है, हालांकि अभी तक इसकी गंभीरता कम मानी जा रही है।

भारत सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल समीक्षा बैठक बुलाई और फिलहाल हालात को नियंत्रण में बताया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में मरीजों की संख्या अभी बहुत कम है और घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सतर्कता और सावधानी ज़रूरी है, क्योंकि यह वायरस पहले से कई गुना तेज़ी से फैल सकता है।

कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है। देश के अन्य राज्यों जैसे दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक में भी कोरोना के नए मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। 12 मई से अब तक भारत में 164 नए मामले सामने आए हैं, जिसमें 257 सक्रिय केस की पुष्टि हुई है। इससे साफ है कि कोरोना धीरे-धीरे फिर फैलने लगा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अभी तक किसी गंभीर लक्षण या बड़े स्तर पर अस्पताल में भर्ती जैसी स्थिति नहीं बनी है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिन लोगों में हल्के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार या कमजोरी दिख रही है, उन्हें होम आइसोलेशन और प्राथमिक इलाज से ठीक किया जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), और स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार स्थिति पर निगरानी रखे हुए हैं। देश की सभी स्वास्थ्य एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है और ज़रूरत पड़ने पर टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और इलाज की व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।

इस बीच लोगों से अपील की जा रही है कि वे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, मास्क पहनें, नियमित रूप से हाथ धोएं और यदि किसी प्रकार के लक्षण महसूस हों तो तुरंत जांच कराएं। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि फिलहाल घबराने की नहीं बल्कि समझदारी से व्यवहार करने की जरूरत है।

भारत सरकार ने यह भी कहा है कि पहले की तरह लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है, लेकिन लोगों की भागीदारी और सतर्कता से ही इस स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित रखा जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है, खासकर जहां आबादी घनी है।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस कोई नया वैरिएंट है या पुराना वायरस ही दोबारा सक्रिय हुआ है। वैज्ञानिक इसपर अध्ययन कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिलकर इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर वायरस की वापसी क्यों हो रही है।

कोविड-19 के पिछले अनुभव से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली अब काफी बेहतर तरीके से तैयार है। अधिकतर लोग वैक्सीन की दोनों खुराकें ले चुके हैं, जिससे गंभीर मामलों की संभावना बहुत कम हो गई है। हालांकि बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, और पहले से बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

कोरोना की इस संभावित नई लहर के मद्देनज़र स्कूलों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। कई अस्पतालों को फिर से कोविड तैयार किया जा रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज शुरू किया जा सके। भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी राज्यों को ज़रूरी दवाइयां, ऑक्सीजन, और मेडिकल उपकरण समय पर उपलब्ध हों।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए।

इस पूरी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण है लोगों की जागरूकता और सहयोग। यदि हर नागरिक सावधानी बरते, तो भारत इस बार भी कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने में सफल हो सकता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि हांगकांग और सिंगापुर के बाद अब भारत में भी कोरोना फिर लौट आया है, लेकिन इस बार देश अधिक सजग और तैयार है। कोरोना की इस नई दस्तक को हल्के में न लेते हुए हमें जिम्मेदारी से काम लेना होगा ताकि दोबारा कोई बड़ी लहर न आए और सामान्य जीवन सुरक्षित बना रहे।


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 👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।

 

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Tuesday, May 13, 2025

प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का सशक्त संदेश

 


दिनांक 12 मई 2025 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को संबोधित करते हुए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक संदेश दिया गया, जिसका मूल उद्देश्य देशवासियों को हाल ही में हुए आतंकवादी हमले, 'ऑपरेशन सिंदूर', और उसके बाद भारत की कड़ी कार्रवाई की जानकारी देना था। प्रधानमंत्री ने देश की जनता को संबोधित करते हुए वीरता, साहस और देशभक्ति की मिसाल बने हमारे सुरक्षाबलों को नमन किया और देश के प्रत्येक नागरिक को एकजुट होने का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत देश के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर की। उन्होंने भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना, वैज्ञानिकों, पुलिस बल, और खुफिया एजेंसियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सुरक्षा और सम्मान के लिए की गई एक आवश्यक और निर्णायक कार्रवाई थी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले ने देश को झकझोर दिया था, जिसमें निर्दोष बच्चों और महिलाओं को निशाना बनाया गया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब चुप नहीं बैठ सकता था। यह हमला न केवल हमारे लोगों पर, बल्कि हमारे धैर्य और गरिमा पर भी हमला था। देश के शत्रुओं ने सोचा था कि भारत केवल बयान देगा और चुप रहेगा, लेकिन भारत ने अपनी नीति बदलते हुए "नेशन फर्स्ट" के सिद्धांत पर चलते हुए ठोस निर्णय लिया।

उन्होंने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं का प्रतिकार था। यह भारत की ओर से स्पष्ट संदेश था कि आतंक और आतंकियों के लिए अब भारत में कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 6 मई की रात और 7 मई की सुबह भारत की सेनाओं ने अद्भुत बहादुरी के साथ उस कार्य को अंजाम दिया, जो पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब किसी भी आतंकवादी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगा।

इस अभियान में भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के कई लॉन्चिंग पैड, ट्रेनिंग कैंप और हथियार डिपो को ध्वस्त कर दिया। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह हमला केवल सैन्य बल पर ही आधारित नहीं था, बल्कि इसके पीछे महीनों की तैयारी, सटीक खुफिया जानकारी और अत्याधुनिक तकनीक का भी बड़ा योगदान था।

उन्होंने कहा कि यह समय देश में एकता और संकल्प का है। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे किसी भी धर्म, जाति, वर्ग या भाषा से हों, देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए एक साथ खड़े हों। यह देश हम सबका है, और जब इस पर हमला होता है, तो जवाब भी एकजुट होकर दिया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत की यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत शांति चाहता है, लेकिन शांति का मतलब यह नहीं कि हम डरकर बैठें। अगर कोई हमारी माताओं, बहनों और बच्चों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, तो भारत माफ नहीं करेगा।

इस भाषण में प्रधानमंत्री ने उन शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की, जिन्होंने अपने प्रियजनों को आतंक की भेंट चढ़ते देखा। उन्होंने कहा कि देश आपके साथ खड़ा है और आपकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। उन्होंने हर नागरिक से अपील की कि वे सेना और सरकार पर विश्वास बनाए रखें, क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ सीमाओं की नहीं, बल्कि देश के आत्मसम्मान की है।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि आतंकवाद के खिलाफ यह निर्णायक लड़ाई केवल एक शुरुआत है। जब तक आतंक की जड़ें पूरी तरह समाप्त नहीं हो जातीं, तब तक भारत शांत नहीं बैठेगा। उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि आने वाले दिनों में भारत अपनी सुरक्षा नीति को और सशक्त करेगा, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक के समर्थकों को बेनकाब करेगा और सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत का यह हमला केवल सैन्य जीत नहीं, बल्कि नैतिक और रणनीतिक जीत भी है। आज पूरी दुनिया भारत की इस कार्रवाई को सराह रही है और कई देशों ने भारत के साहसिक कदम की सराहना की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत का लक्ष्य युद्ध नहीं, बल्कि आतंक से मुक्ति है।

प्रधानमंत्री ने मीडिया से अपील की कि वे संयम बरतें और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचें। उन्होंने देश के युवाओं से भी अपील की कि वे सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से प्रयोग करें और अफवाहें फैलाने वालों से सावधान रहें। यह समय है कि पूरा देश एक होकर देश की सुरक्षा और विकास में योगदान दे।

उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से भी एकजुटता की अपील की। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा और आत्मसम्मान से बड़ा कोई मुद्दा नहीं होता। उन्होंने सभी राज्यों की सरकारों से कहा कि वे शांति बनाए रखने में सहयोग करें और किसी भी तरह की नफरत फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई करें।

प्रधानमंत्री के इस भाषण ने पूरे देश में एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास भर दिया। सोशल मीडिया, टीवी चैनलों और आम लोगों के बीच यह भाषण चर्चा का विषय बना। लोग इसे भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घड़ी मान रहे हैं, जब देश ने एकजुट होकर आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया।

अंत में प्रधानमंत्री ने देशवासियों से वादा किया कि भारत की धरती पर आतंक को जड़ से खत्म किया जाएगा और शहीदों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र अपने सैनिकों, वैज्ञानिकों और नागरिकों के साहस और समर्पण से सुरक्षित और सशक्त बना है और रहेगा।

इस प्रकार प्रधानमंत्री का यह राष्ट्र के नाम संबोधन एक मजबूत, स्पष्ट और प्रेरणादायक संदेश था जो न केवल देशवासियों को एकजुट करता है, बल्कि दुनिया को भी बताता है कि भारत अब किसी भी सूरत में आतंक को बर्दाश्त नहीं करेगा।











👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


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👉सिविल डिफेंस में भर्ती शुरू, आम लोग बनें देश के रक्षक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/civil%20efence.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


UP TGT परीक्षा 2025 स्थगित – 14 और 15 मई की परीक्षा अब नई तिथि पर होगी https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TGT.html


उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/censusnews.html




Wednesday, May 7, 2025

उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल

 उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जातिवार गणना की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। इस बार की गणना परंपरागत तरीकों से अलग होकर पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से की जा रही है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे जियो फेंसिंग, टैबलेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का प्रयोग किया जाएगा। यह केवल आंकड़े इकट्ठा करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय, योजनाओं की प्रभावशीलता और नीतिगत सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल है।

जातिवार गणना की आवश्यकता

जातिवार जनगणना एक संवेदनशील लेकिन आवश्यक पहल है। यह स्पष्ट करता है कि समाज के किन तबकों को किस स्तर पर योजनाओं का लाभ मिल रहा है और किन वर्गों को अभी भी उचित समर्थन की आवश्यकता है। पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति जैसे समूहों की सही संख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझे बिना सरकार उनके लिए उपयुक्त नीतियां नहीं बना सकती।

इसके अलावा, जातिवार आंकड़े सामाजिक समानता के लिए भी आवश्यक हैं। इससे यह भी पता चलेगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सेवाओं तक किस वर्ग की पहुंच अधिक है और कौन से वर्ग अभी भी वंचित हैं।

तकनीकी प्रयोग की विशेषताएं

इस बार की जातिवार गणना में जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे इस प्रक्रिया को पारदर्शी, सुरक्षित और अधिक सटीक बनाएंगी।

1. जियो फेंसिंग (Geo-Fencing)

जियो फेंसिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें किसी विशेष क्षेत्र की भौगोलिक सीमा को डिजिटली तय कर लिया जाता है। जब जनगणना कर्मी टैबलेट के साथ उस क्षेत्र में जाते हैं, तो वह प्रणाली स्वतः ही उन्हें ट्रैक करती है कि वे वांछित स्थान पर हैं या नहीं।

इस तकनीक का लाभ यह है कि अब कोई भी जानकारी कहीं से भी भरना संभव नहीं होगा। कर्मियों को निर्धारित क्षेत्र में रहकर ही डेटा दर्ज करना होगा। इससे फर्जीवाड़ा, डुप्लिकेशन और आंकड़ों में त्रुटि की संभावना बहुत कम हो जाती है।

2. टैबलेट आधारित डेटा कलेक्शन

जनगणना कर्मियों को सरकार की ओर से विशेष टैबलेट उपलब्ध कराए गए हैं, जिनमें विशेष सॉफ्टवेयर और ऐप्स इंस्टॉल किए गए हैं। इन ऐप्स के माध्यम से प्रश्नावली को भरना और सीधे सर्वर पर डेटा भेजना संभव है। इससे समय की बचत भी होगी और कागजी कार्यों की आवश्यकता भी नहीं होगी।

टैबलेट में GPS, कैमरा और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसी सुविधाएं भी हैं, जो कि सत्यापन की प्रक्रिया को और मजबूत बनाती हैं।

3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

एकत्रित आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए AI का सहारा लिया जाएगा। एआई की मदद से यह समझना संभव होगा कि किन क्षेत्रों में किस जाति की संख्या अधिक है, उनकी आयु, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसी कई सूचनाएं एक साथ विश्लेषण की जा सकती हैं।

AI यह भी बता सकता है कि किन वर्गों को किन योजनाओं का लाभ मिला है और किन्हें नहीं मिला, जिससे भविष्य की योजनाएं ज्यादा कारगर बन सकेंगी।

प्रशिक्षण व जागरूकता

इस नई प्रक्रिया के तहत लगभग सभी जनगणना कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें टैबलेट के इस्तेमाल, जियो फेंसिंग की समझ, डेटा एंट्री के सही तरीके और प्रश्न पूछने की शिष्टाचारपूर्ण विधियों पर प्रशिक्षित किया गया है।

साथ ही, लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे सही जानकारी दें। इसके लिए ग्राम पंचायतों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और नगर निकायों के माध्यम से जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

आंकड़ों का गोपनीयता और सुरक्षा

सरकार इस बात को लेकर पूरी तरह सतर्क है कि जातिवार आंकड़ों की गोपनीयता बनाए रखी जाए। डेटा सुरक्षा कानूनों का पूरी तरह पालन करते हुए, प्रत्येक नागरिक की जानकारी को केवल सरकारी विश्लेषण के लिए प्रयोग में लाया जाएगा, न कि किसी भी सार्वजनिक या राजनीतिक उद्देश्य से।

डेटा संग्रहण के बाद उसे एन्क्रिप्टेड रूप में सुरक्षित सर्वर में संग्रहित किया जाएगा, और विश्लेषण के लिए केवल अधिकृत अधिकारियों को ही इसकी पहुंच दी जाएगी।

सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में कदम

यह जातिवार गणना केवल जाति गिनने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के समावेशी विकास की योजना तैयार करना है। आंकड़ों के आधार पर शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, महिला सशक्तिकरण, कृषि, ग्रामीण विकास और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को प्रभावी बनाया जा सकेगा।

यह पहल अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए योजनाएं बनाने में सहायक सिद्ध होगी। इससे यह भी स्पष्ट हो पाएगा कि कौन-कौन से वर्ग अब भी मुख्यधारा से कटे हुए हैं और उन्हें कैसे जोड़ा जाए।

संभावनाएं और चुनौतियां

जहाँ एक ओर यह पहल समाज में समानता और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम है, वहीं इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं। तकनीकी प्रशिक्षण, डेटा की सटीकता, सभी नागरिकों तक पहुंच बनाना, और तकनीकी गड़बड़ियों से बचाव — ये सभी इस योजना की सफलता के लिए जरूरी हैं।

साथ ही, राजनीतिक और सामाजिक रूप से इस प्रक्रिया को लेकर विभिन्न वर्गों की भावनाओं को भी संतुलित रखना एक बड़ी चुनौती है। सरकार ने इसके लिए कई स्तरों पर संवाद कायम किया है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि किसी भी वर्ग के साथ पक्षपात न हो।


निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना की यह तकनीकी पहल न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण प्रयोग है, बल्कि यह सामाजिक समानता और समावेशी विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। टैबलेट, जियो फेंसिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके सरकार पारदर्शिता, प्रभावशीलता और सटीकता को एक नई ऊंचाई तक ले जाने की कोशिश कर रही है।
इस पहल के परिणाम आने वाले समय में न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकते हैं। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो अन्य राज्य भी इससे सीख लेकर अपने यहां जातिवार या सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों में इन तकनीकों का समावेश कर सकते हैं।





                 महिलाओं के लिए शिक्षक पद: शिक्षा क्षेत्र में आदर्श करियर

                https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/blog-post_29.html


               पहुलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या

               https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/22-2025.html


Wednesday, April 30, 2025

SMC बैठक मई 2025

 



 

  

👉शिक्षकों को 20 फीसदी नामांकन बढ़ाने का बीएसए ने दिया लक्ष्य
https://www.updatemarts.com/2025/04/20_29.html


शिक्षकों की मेहनत आई रंग, परिषदीय स्कूलों में 10 हजार बढ़े छात्र


Monday, April 28, 2025

भविष्य के स्कूलों में एआई टीचर का आगमन: शिक्षक और मानवता का महत्व

 


हमारा और हमारे विद्यालयों का भविष्य अब तेजी से बदल रहा है। आने वाला समय ऐसा होगा, जब हमारे स्कूलों में इंसान नहीं, बल्कि एआई टीचर पढ़ाएंगे। एआई टीचर यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने शिक्षक होंगे, जिन्हें न सैलरी देनी होगी, न भत्ते, न ही पेंशन देना पड़ेगा। ये टीचर कभी छुट्टी नहीं मांगेंगे, बीमार नहीं पड़ेंगे और हमेशा समय पर पढ़ाई कराएंगे। लेकिन क्या ये एआई टीचर बच्चों को वह सच्चा मार्गदर्शन दे पाएंगे जो एक इंसानी शिक्षक देता है? आज के शिक्षक बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि उन्हें संस्कार, समझदारी और जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। जब बच्चे किसी परेशानी में होते हैं तो एक इंसानी शिक्षक उन्हें समझता है, सहारा देता है। लेकिन एआई टीचर केवल मशीन की तरह काम करेंगे। वे बच्चों के दुख, खुशी, डर या सपनों को नहीं समझ पाएंगे। सरकारों के लिए एआई टीचर सुविधाजनक हो सकते हैं क्योंकि इससे पैसे बचेंगे, लेकिन क्या इससे बच्चों का सही विकास हो पाएगा? गाँवों और कस्बों में आज भी बच्चे अपने शिक्षकों से जीवन के बड़े सबक सीखते हैं। अगर भविष्य में केवल मशीनें बच्चों को पढ़ाएंगी, तो बच्चों में संवेदनशीलता, करुणा और समझ कम हो सकती है। वे केवल जानकारी के भंडार बन जाएंगे, पर इंसानी भावना से खाली हो सकते हैं। स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं हैं, वे बच्चों के व्यक्तित्व को संवारने का स्थान हैं। एक इंसानी शिक्षक अपने अनुभव, ज्ञान और प्यार से बच्चों को जीवन का सही रास्ता दिखाता है। एआई टीचर केवल तय कार्यक्रम के अनुसार पढ़ाएंगे। वे बच्चों के सवालों के पीछे छुपी जिज्ञासा को नहीं समझ पाएंगे, न ही बच्चों के विचारों को उड़ान दे पाएंगे। इसलिए तकनीक का उपयोग हमें शिक्षकों की सहायता के लिए करना चाहिए, न कि उनकी जगह लेने के लिए। आज डिजिटल बोर्ड, ऑनलाइन क्लास जैसे साधनों ने शिक्षा को आसान बनाया है, लेकिन इंसानी शिक्षक की जगह कभी नहीं ले सकते। इंसानी शिक्षक बच्चों की आँखों से उनका मन पढ़ सकते हैं, उनकी समस्याएं समझ सकते हैं। एक मशीन कभी यह नहीं कर सकती। अगर पूरी शिक्षा मशीनों के हाथ में चली गई तो आने वाली पीढ़ी संवेदनहीन हो सकती है। सोचने, समझने और महसूस करने की शक्ति कम हो सकती है। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि शिक्षा केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि अच्छा इंसान बनाना है। शिक्षक वह दीपक है जो बच्चों के जीवन में उजाला करता है। मशीनें चाहे जितनी तेज हो जाएं, लेकिन वे उस दीपक की जगह नहीं ले सकतीं। अगर एआई टीचर आएंगे तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे केवल सहायक बनें, शिक्षक नहीं। हमारे विद्यालयों का भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब इंसान और तकनीक दोनों साथ मिलकर काम करेंगे। शिक्षकों का सम्मान करना जरूरी है क्योंकि वे समाज का निर्माण करते हैं। एक मशीन कभी समाज नहीं बना सकती। शिक्षा का मकसद केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि एक अच्छा इंसान बनाना है। इसलिए हमें अपने विद्यालयों में एआई टीचर को सहायक के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, मुख्य शिक्षक के रूप में नहीं। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि अपने असली शिक्षकों का सम्मान करें और तकनीक का सही उपयोग करें। भविष्य तभी उज्ज्वल रहेगा जब मानवता और ज्ञान साथ-साथ चलेंगे। शिक्षक जिंदाबाद, मानवता जिंदाबाद।


👉शिक्षा निदेशालय में भीषण आग पांच हजार फाइलें जलकर राख, घटना की जांच के लिए समिति गठित

https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_329.html


👉निकली शिक्षक पदों हेतु नौकरियां, करें आवेदन, देखें विज्ञप्ति

https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_103.html


👉बिना सूचना/बिना अवकाश के विद्यालय से दीर्घावधि से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के सम्बन्ध में ।

https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_872.html


👉शिक्षकों ने अपराह्न 1.30 के पहले छोड़ा स्कूल, तो होगी कार्यवाही

https://www.updatemarts.com/2025/04/130.html




Saturday, April 26, 2025

कानपुर देहात: स्कूल से कोल्डड्रिंक लाते समय छात्र की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत, परिवार में मातम

 



कानपुर देहात जिले के अमराहत थाना क्षेत्र के सिहुरा गाँव में शुक्रवार को एक बेहद दुखद और दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। गाँव के साविलियन विद्यालय के आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र हर्ष कुमार की तेज रफ्तार ट्रैक्टर से कुचलकर मौके पर ही मौत हो गई। हर्ष कुमार रोज की तरह स्कूल गया था। स्कूल में पढ़ाई के बीच उसके शिक्षक ने उसे कोल्डड्रिंक मंगाने के लिए गाँव की दुकान पर भेजा। हर्ष दुकान से कोल्डड्रिंक लेकर जैसे ही लौट रहा था, तभी गाँव के काली माता मंदिर मोड़ के पास पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उसे रौंद दिया। हादसा इतना भयानक था कि हर्ष की मौके पर ही मौत हो गई।

गाँव वालों ने हादसा होते ही शोर मचाया और दौड़कर हर्ष के घरवालों को सूचना दी। घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, इसलिए सभी लोग खुशी के माहौल में थे, लेकिन यह खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। हर्ष की माँ निर्मला देवी, बहन कुशमा देवी, वीरवती, कमला और हसना आदि रोते-बिलखते घटनास्थल पर पहुँचीं। माँ के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बहनों की चीख-पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई। जो घर शादी के गीतों से गूंज रहा था, वहाँ अब मातम पसरा हुआ है।

हर्ष कुमार अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। परिवार में उसकी सबसे बड़ी बहन गुनवती की पहले ही शादी हो चुकी थी। अब छोटी बहन कुशमा की शादी 5 मई को होनी थी। घर में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। रिश्तेदार बुलाए जा रहे थे, घर में हल्दी और मेहंदी की तैयारियाँ चल रही थीं, लेकिन इस हादसे ने सारी खुशियाँ छीन लीं। अब घर में सिर्फ आँसू और मातम रह गया है। परिवार वालों का कहना है कि हर्ष बहुत होशियार और समझदार लड़का था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था और अपने माता-पिता का सपना था कि वह बड़ा होकर कुछ बनकर उनका नाम रोशन करेगा।

हादसे के बाद ट्रैक्टर चालक गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गया। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर को घेर लिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। थाना प्रभारी सुरजीत सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुँचे। उन्होंने हर्ष के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया और ट्रैक्टर को कब्जे में ले लिया। पुलिस ने ट्रैक्टर चालक की पहचान कर ली है और उसकी तलाश में दबिश दे रही है। थाना प्रभारी ने कहा कि जल्द ही आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

हर्ष के पिता शिवसागर निषाद और गाँव के अन्य लोगों ने बताया कि साविलियन विद्यालय में शिक्षक अक्सर बच्चों को स्कूल के काम के अलावा निजी काम के लिए भी भेजते हैं। कभी चाय मंगवाते हैं, कभी कोल्डड्रिंक और कभी अन्य सामान। इसी तरह शुक्रवार को भी शिक्षक ने हर्ष को कोल्डड्रिंक लाने के लिए भेजा था। यदि शिक्षक बच्चों को निजी काम के लिए बाहर न भेजते तो शायद यह हादसा टल सकता था और हर्ष आज जीवित होता। गाँव वालों ने शिक्षकों के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की माँग की है।

राजपुर खंड शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने कहा कि इस पूरे मामले की जाँच कराई जाएगी। यदि जाँच में शिक्षक दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई के समय बच्चों से निजी काम करवाना नियमों के खिलाफ है। बच्चों को स्कूल में सिर्फ पढ़ाई और गतिविधियों में ही लगाया जाना चाहिए। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

गाँव के बुजुर्गों और समाज के अन्य लोगों ने भी इस दुखद हादसे पर दुख जताया और कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है। वहाँ बच्चों से सामान मंगवाना या निजी काम करवाना बहुत गलत है। इस तरह की घटनाएँ बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना सभी शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि शिक्षक ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहेंगे तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगेंगे।

गाँव में अभी भी मातम पसरा हुआ है। हर कोई हर्ष की मौत पर दुखी है। गाँव के लोग हर्ष के परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुँच रहे हैं, लेकिन कोई भी शब्द उनके दुख को कम नहीं कर पा रहा। माँ-बाप की आँखों में आँसू और दिल में अपने बेटे को खोने का दर्द साफ नजर आ रहा है। बहन कुशमा, जिसकी शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, अब भाई के बिना कैसे शादी करेगी, यह सोचकर हर किसी की आँखें भर आ रही हैं।

पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से भी जाँच शुरू कर दी गई है। गाँव के लोग भी इस मामले में न्याय की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और मासूम बच्चा ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

यह हादसा पूरे समाज के लिए एक बड़ा सबक है। बच्चों को स्कूल भेजने का मतलब है कि वे सुरक्षित रहेंगे और पढ़ाई करेंगे, न कि कि वे किसी निजी काम में भेजे जाएंगे। बच्चों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना चाहिए। इस घटना से सबको यह सीख लेनी चाहिए कि बच्चों के साथ कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी कीमत पर बच्चों से गैरशैक्षणिक कार्य नहीं करवाना चाहिए।

हर्ष कुमार की असमय मौत ने पूरे गाँव, जिले और समाज को झकझोर कर रख दिया है। उसकी मासूम मुस्कान, उसके सपने और उसके माता-पिता की उम्मीदें सब कुछ एक झटके में खत्म हो गईं। अब सिर्फ उसकी यादें रह गई हैं, जो उसके परिवार और गाँव वालों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। हर्ष की मौत ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपने बच्चों को वाकई सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं।

इस दुखद घटना से यह भी साफ हो गया है कि स्कूलों में बच्चों के अधिकारों का सम्मान करना कितना जरूरी है। शिक्षा का अधिकार सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और गरिमा का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस तरह की घटनाएँ रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए और उनका पालन कड़ाई से होना चाहिए।

आज हर्ष कुमार हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी मौत एक सवाल छोड़ गई है - क्या हम भविष्य में अपने बच्चों को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण माहौल दे पाएंगे? इस सवाल का जवाब हमें ढूँढना ही होगा। प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्कूलों के शिक्षक और समाज को मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि अब कोई भी बच्चा स्कूल के दौरान ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

हर्ष कुमार की आत्मा को शांति मिले और उसके परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति मिले। यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।





सोशल मीडिया पोस्ट से फंसा सरकारी शिक्षक, पहलगाम हमले को बताया प्रोपेगेंडा, पुलिस ने किया गिरफ्तार


पहुलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या


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सोशल मीडिया पोस्ट से फंसा सरकारी शिक्षक, पहलगाम हमले को बताया प्रोपेगेंडा, पुलिस ने किया गिरफ्तार





हाल ही में एक सरकारी शिक्षक का मामला सामने आया है, जो अपने सोशल मीडिया स्टेटस के कारण बड़ी मुसीबत में फंस गया है। शिक्षक ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को एक "प्रोपेगेंडा" बताया था। इस बयान को सोशल मीडिया पर डालते ही यह तेजी से वायरल हो गया और पुलिस तक मामला पहुँच गया। पुलिस का कहना है कि इस तरह की पोस्ट न केवल समाज में शांति भंग कर सकती है, बल्कि आतंकियों की सोच को समर्थन भी दे सकती है। पुलिस ने इस शिक्षक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। वहीं शिक्षा विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षक को निलंबित कर दिया है।

बताया जा रहा है कि शिक्षक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक स्टेटस डाला था, जिसमें पहलगाम में हुए हमले को फर्जी और योजनाबद्ध बताया गया था। शिक्षक ने लिखा था कि यह सब एक साजिश है और लोगों को गुमराह करने के लिए फैलाया जा रहा है। जैसे ही यह स्टेटस सामने आया, लोगों में नाराजगी फैल गई। कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।

पुलिस का कहना है कि इस तरह की पोस्ट बहुत संवेदनशील माहौल में जहर घोल सकती है। खासकर जब देश का माहौल पहले से ही आतंकवाद के कारण तनावपूर्ण है, ऐसे में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा इस तरह का बयान देना बहुत गैरजिम्मेदाराना है। पुलिस ने शिक्षक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक पूछताछ में शिक्षक ने अपना अपराध कबूल कर लिया है और कहा है कि उसने यह स्टेटस बिना सोचे-समझे डाला था।

शिक्षा विभाग ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। विभाग ने तत्काल प्रभाव से शिक्षक को निलंबित कर दिया है। विभाग का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को ऐसे संवेदनशील मामलों पर सोच-समझकर बयान देना चाहिए। सरकारी सेवा में रहते हुए किसी भी तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत सहन नहीं की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा है कि शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी और उसकी सेवाओं पर आगे फैसला जांच पूरी होने के बाद लिया जाएगा।

लोगों का भी इस मामले पर तीखा प्रतिक्रिया सामने आया है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि जब एक शिक्षक, जो बच्चों को सही और गलत का पाठ पढ़ाता है, खुद इस तरह की अफवाहें फैलाता है, तो समाज का क्या होगा। लोगों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि दूसरों को भी सबक मिले।

देश में इस समय सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्कता बरती जा रही है। आतंकी घटनाओं के बाद सुरक्षा एजेंसियां लगातार अलर्ट पर हैं। ऐसे में किसी भी तरह की अफवाह या गलत सूचना समाज में तनाव बढ़ा सकती है। सरकार और पुलिस दोनों इस तरह की हरकतों पर कड़ी नजर रख रही हैं। पुलिस ने लोगों से भी अपील की है कि अगर वे किसी भी तरह की भड़काऊ या गलत सूचना देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

यह मामला यह भी बताता है कि सोशल मीडिया का उपयोग कितनी जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। आजकल हर व्यक्ति के पास सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने की आजादी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम बिना सोच-विचार के कुछ भी लिखें। खासकर सरकारी कर्मचारियों को तो और भी ज्यादा सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि उनके हर शब्द को जनता गंभीरता से लेती है।

पुलिस ने यह भी बताया कि शिक्षक का स्टेटस उन ग्रुप्स और पेजों पर भी फैल गया था, जो देश विरोधी सोच रखते हैं। इस वजह से यह मामला और भी गंभीर बन गया। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कहीं शिक्षक के किसी आतंकी संगठन से संबंध तो नहीं हैं। हालांकि अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि इस तरह की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने अपने सभी कर्मचारियों को भी चेतावनी जारी की है कि वे सोशल मीडिया पर कोई भी टिप्पणी करते समय सतर्क रहें। विभाग ने कहा है कि अगर कोई भी कर्मचारी सरकारी सेवा के नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने सोशल मीडिया आचार संहिता का पालन करने की भी सलाह दी है।

यह घटना समाज के लिए भी एक सीख है। हमें यह समझना चाहिए कि सोशल मीडिया पर लिखी गई एक छोटी सी बात भी बड़े विवाद का कारण बन सकती है। जब देश के हालात नाजुक हों, तो और भी जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारी बातें दूसरों को प्रभावित कर सकती हैं।

लोगों ने शिक्षक के इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा है कि जब शिक्षक ही गलत संदेश फैलाएंगे, तो छात्रों को क्या सिखाएंगे। शिक्षक का काम बच्चों को सही दिशा दिखाना है, न कि अफवाहें फैलाना। इस घटना के बाद समाज में शिक्षकों की भूमिका को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कई लोगों ने कहा कि शिक्षकों को भी सोशल मीडिया प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे समझ सकें कि किस तरह की बातें करना सही है और किस तरह की बातें नहीं।

पुलिस ने शिक्षक के मोबाइल फोन और सोशल मीडिया अकाउंट की भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या उसने पहले भी इस तरह की कोई पोस्ट की थी या किसी आतंकी ग्रुप के संपर्क में था। पुलिस ने कहा है कि अगर जांच में कुछ भी संदिग्ध पाया गया तो शिक्षक पर देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं मंब भी मामला दर्ज किया जा सकता है।

सरकार ने भी इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रखी है। सरकार का कहना है कि जो भी देश की एकता और अखंडता के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा दी जाएगी।

इस घटना से साफ है कि सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। एक गलत शब्द भी आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। खासकर जब आप सरकारी सेवा में हों, तो आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस मामले ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी का काम किया है कि वे अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लें और बिना जांचे-परखे कोई भी टिप्पणी न करें।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह घटना हमें सोशल मीडिया के सही उपयोग की अहमियत समझाती है। सोशल मीडिया एक शक्तिशाली साधन है, लेकिन इसका दुरुपयोग समाज को नुकसान पहुँचा सकता है। हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी लिखें या शेयर करें, वह सही और जिम्मेदारी भरा हो। तभी हम एक सुरक्षित और मजबूत समाज का निर्माण कर सकते हैं। इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और गलत काम करने वाले को सजा जरूर मिलेगी। शिक्षक का निलंबन और गिरफ्तारी समाज को एक संदेश देता है कि देश विरोधी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है, चाहे वह कोई भी हो।


👉पहेंलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या

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👉8वां वेतन आयोग: सरकारी वेतन और पेंशन में बदलाव की तैयारी

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👉किसी भी शादी विवाह एवं निजी समारोह कार्यक्रम हेतु परिषदीय विद्यालय भवन किसी को भी उपलब्ध न करायें, BSA का आदेश जारी https://basicshikshakhabar.com/2025/04/r-808/



Friday, April 25, 2025

पहुलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या

 

22 अप्रैल 2025 का दिन देश के लिए बहुत दुख और सदमे से भरा हुआ रहा। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में बायसरन नाम की एक सुंदर और हरी-भरी जगह है, जिसे लोग 'मिनी स्विट्जरलैंड' भी कहते हैं। यह जगह घने जंगलों, बर्फ से ढके पहाड़ों और खूबसूरत मैदानों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। गर्मियों की छुट्टियों में लोग परिवार के साथ घूमने-फिरने आते हैं और यहां की ठंडी हवा, हरियाली और शांत वातावरण का आनंद लेते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार बायसरन में कुछ ऐसा हुआ जिसने देशभर के लोगों का दिल दहला दिया।

मंगलवार की दोपहर को करीब तीन बजे का समय था। बायसरन पार्क में बहुत सारे लोग अपने परिवार के साथ टट्टू की सवारी कर रहे थे, बच्चे घास पर खेल रहे थे, कुछ लोग फोटोग्राफी कर रहे थे और कुछ खाने-पीने की दुकानों के पास चाय और स्नैक्स का आनंद ले रहे थे। तभी अचानक वहां कुछ लोग सेना की वर्दी पहनकर आए। उन्हें देखकर किसी को शक नहीं हुआ, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि वो सेना के जवान हैं और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए आए हैं। लेकिन कुछ ही देर बाद सब कुछ बदल गया।

सेना की वर्दी में आए ये लोग असली सैनिक नहीं थे। ये आतंकवादी थे, जो पहले से योजना बनाकर आए थे। उन्होंने सबसे पहले लोगों को इकट्ठा किया और फिर उनसे उनका नाम और धर्म पूछा। कुछ लोगों से पहचान पत्र भी दिखवाए। जब उन्हें यह पता चला कि सामने खड़ा व्यक्ति हिंदू है और उसने कलमा नहीं पढ़ा है, तो उन्होंने उस पर गोलियां चला दीं। यह बहुत ही क्रूर और अमानवीय हमला था। लोग भागने लगे, बच्चों की चीखें गूंजने लगीं, और चारों ओर अफरा-तफरी मच गई।

इस हमले में कुल 26 लोगों की मौत हो गई और 17 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मरने वालों में ज्यादातर लोग अलग-अलग राज्यों से आए पर्यटक थे। कोई अपने माता-पिता के साथ आया था, कोई अपने बच्चों के साथ और कोई अपने जीवनसाथी के साथ। लेकिन अब वे सब वापस नहीं जा पाए। उनकी यात्रा वहीं खत्म हो गई। यह हमला पुलवामा के बाद जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकवादी हमला माना जा रहा है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावर चार से छह की संख्या में थे। वे देवदार के पेड़ों के पीछे से चुपचाप आए थे और अचानक हमला कर दिया। उनके पास ऑटोमैटिक राइफलें थीं। उन्होंने पहले हिन्दू पहचान करने के लिए कई लोगों से बातें कीं और जैसे ही उनकी पहचान सुनिश्चित हुई, उन पर गोलियों की बौछार कर दी। जो लोग वहां मौजूद थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा भयानक मंजर कभी नहीं देखा।

घटना के बाद सुरक्षा बलों को खबर दी गई और तुरंत सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान वहां पहुंचे। उन्होंने इलाके को घेर लिया और आतंकियों की तलाश शुरू की। घायलों को हेलीकॉप्टर से श्रीनगर के अस्पतालों में भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। बहुत सारे लोग अब भी सदमे में हैं और बोल पाने की स्थिति में नहीं हैं।

इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने ली है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद है। सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान में बैठकर आतंक फैलाने की योजना बनाता है और पाकिस्तानी सेना की मदद से उन्हें अंजाम देता है। उसे हाल ही में पाकिस्तान के एक शहर में भाषण देने के लिए बुलाया गया था, जहां उसने भारतीय लोगों के खिलाफ नफरत फैलाई।

हमले में जिन लोगों की जान गई, उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, केरल, ओडिशा, मध्यप्रदेश और यहां तक कि नेपाल और अरुणाचल प्रदेश से भी लोग थे। वे सभी सिर्फ छुट्टी मनाने और कश्मीर की खूबसूरती देखने आए थे। लेकिन अब उनकी लाशें घर पहुंचीं, जिससे उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

इस हमले ने न केवल पूरे देश को दुखी किया है, बल्कि एक बड़ा सवाल भी खड़ा किया है कि क्या पर्यटक अब सुरक्षित हैं? क्या परिवारों के साथ घूमने जाने वाले लोग अब डर के साए में जिएंगे? क्या धर्म के नाम पर किसी की जान लेना सही है? इन सवालों के जवाब ढूंढना सरकार, सुरक्षा एजेंसियों और हम सभी की जिम्मेदारी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय विदेश दौरे पर थे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर आए थे। इस हमले का समय भी सोच-समझकर चुना गया था, ताकि दुनिया का ध्यान इस ओर जाए कि जम्मू-कश्मीर अब भी सुरक्षित नहीं है। इस हमले से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटक सुरक्षित नहीं हैं, खासकर हिंदू धर्म के लोग।

यह हमला अमरनाथ यात्रा से कुछ समय पहले हुआ, लेकिन यह यात्रा से जुड़ा नहीं था। यह उन लोगों पर हमला था, जो सिर्फ घूमने और प्रकृति का आनंद लेने आए थे। वे न तो किसी धार्मिक कार्य में लगे थे, न ही किसी राजनीतिक मकसद से आए थे। वे आम नागरिक थे, जो छुट्टी मना रहे थे।

हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं, जिनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब इनकी तलाश में जंगलों और आसपास के इलाकों में छानबीन कर रही हैं। साथ ही, बायसरन और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

इस हमले के बाद देशभर में गुस्सा और दुख की लहर फैल गई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कई राज्यों में मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए शोक सभाएं आयोजित की गईं। स्कूलों और कार्यालयों में दो मिनट का मौन रखा गया और मोमबत्तियां जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

पर्यटन मंत्रालय ने भी इस हमले की निंदा की और कहा कि ऐसी घटनाएं देश की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं। साथ ही, सरकार ने सभी राज्यों के पर्यटकों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।

अब यह सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि इस हमले के दोषियों को पकड़कर उन्हें कड़ी सजा दिलवाएं। साथ ही, पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में कोई भी परिवार इस तरह के दुख का सामना न करे।

यह हमला हमें यह भी याद दिलाता है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। जो लोग धर्म के नाम पर खून बहाते हैं, वे इंसान नहीं हो सकते। एक सच्चा इंसान किसी की मुस्कान, किसी के परिवार और किसी के सपने छीनने का हकदार नहीं हो सकता। हमें एकजुट होकर नफरत के इन सौदागरों का विरोध करना होगा और देश में शांति, भाईचारे और प्रेम की भावना को बनाए रखना होगा।

देश आज भी उन 26 निर्दोष लोगों के लिए शोक मना रहा है, जो केवल पहलगाम की सुंदरता देखने आए थे, लेकिन उनकी जिंदगी वहीं खत्म हो गई। उनका कसूर बस इतना था कि वे किसी एक धर्म के अनुयायी थे और उन्होंने किसी का 'कलमा' नहीं पढ़ा। यह एक बहुत ही शर्मनाक और अमानवीय सोच है, जिसे हमें मिलकर खत्म करना होगा।

हमले के बाद बचे लोगों ने जो बताया, वह बहुत ही दर्दनाक था। एक महिला ने बताया कि उसका बेटा घास पर खेल रहा था, और तभी गोली चलने लगी। उसने अपने बेटे को बचाने की कोशिश की, लेकिन गोली उसके पति को लग गई और वह वहीं गिर पड़ा। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ आया था, और सब लोग बहुत खुश थे। लेकिन अचानक गोलियां चलने लगीं और उसका भाई वहीं मारा गया। ऐसे कितने ही लोगों की कहानियां हैं, जो सुनकर आंखों से आंसू निकल आते हैं।

हम सबको इस घटना से सीख लेनी चाहिए और अपने देश, अपने लोगों और अपने समाज की सुरक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। कोई भी ताकत हमें डराकर नहीं हरा सकती, जब तक हम मिलकर उसका विरोध करते रहें। इन शहीद पर्यटकों की याद में हमें अपने देश को और मजबूत और सुरक्षित बनाना होगा।






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