Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

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up basic school news

a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

NIPUN Bharat Mission

NIPUN Bharat helps young children read and do basic math with understanding and confidence.

Nurturing Nature, Growing Futures

Green mission by students to make earth clean and fresh.

Mission Shikshan Samvad – For Education and Teacher Respect

Mission to uplift education, honor teachers, and promote human welfare through dialogue.

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Saturday, May 3, 2025

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025: 11वें योग दिवस का आयोजन












 

👉उत्तर  प्रदेश के योजनान्तर्गत चयनित 1129 कम्पोजिट पी0एम0श्री विद्यालयों (कक्षा 1-8 ) में खान एकेडमी द्वारा STEM इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत शैक्षिक सत्र 2025-26 की ऑनलाइन कार्यशाला के सम्बन्ध में।

https://www.updatemarts.com/2025/05/1129-00-1-8-stem-2025-26.html


👉बंद मिले स्कूल, तीन प्रधानाध्यापक निलंबित

https://www.updatemarts.com/2025/05/blog-post_32.html


👉 स्थानांतरण के लिए आवेदन में ओटीपी का अड़ंगा

https://www.updatemarts.com/2025/05/blog-post_11.html



Wednesday, April 30, 2025

मुरादाबाद में 250 से अधिक शिक्षक आईपीएल सट्टेबाजी में लिप्त, तीन गिरफ्तार और निलंबित

 


मुरादाबाद जिले में एक बहुत ही चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यह घटना शिक्षा जगत से जुड़ी है, जिसमें बेसिक शिक्षा विभाग के 250 से भी ज्यादा शिक्षक आईपीएल में सट्टा लगाने के मामले में शामिल पाए गए हैं। यह बात जब सामने आई तो शिक्षा विभाग और पुलिस दोनों में हलचल मच गई। जो शिक्षक बच्चों को स्कूल में पढ़ाने और संस्कार देने की जिम्मेदारी निभाते हैं, वही अब सट्टेबाजी जैसे गलत कामों में लिप्त पाए गए हैं।

इस पूरे मामले की शुरुआत 11 अप्रैल 2025 की रात को हुई, जब मुरादाबाद पुलिस ने सीओ सिविल लाइंस कुलदीप गुप्ता के नेतृत्व में एक फ्लैट पर छापा मारा। यह फ्लैट सिविल लाइंस इलाके में पीटीसी के सामने था। पुलिस को यहां आईपीएल मैच पर सट्टा लगाए जाने की जानकारी मिली थी। जब पुलिस ने छापा मारा, तो वहां 9 लोग मौके पर रंगे हाथों पकड़े गए। कुछ समय बाद पुलिस ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया, जिससे कुल मिलाकर 10 लोग जेल भेजे गए। इन्हीं में से 3 लोग बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक हैं।

इन तीन शिक्षकों के नाम हैं: धर्मेंद्र कुमार, जो बिलारी ब्लॉक के कंपोजिट स्कूल इब्राहिमपुर में प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं; मनोज अरोड़ा, जो सहायक शिक्षक हैं; और सुशील चौधरी उर्फ सुरेंद्र सिंह, जो डिलारी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय वसावनपुर में प्रधानाध्यापक हैं। ये तीनों अब मुरादाबाद जेल में बंद हैं। बीएसए विमलेश कुमार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन तीनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया है।

पुलिस को जांच के दौरान जो मोबाइल चैट्स और कॉल डिटेल रिकॉर्ड मिले हैं, उनमें लगभग 250 से ज्यादा शिक्षकों के नाम, मोबाइल नंबर और बातचीत की जानकारी सामने आई है। इन चैट्स में आईपीएल सट्टेबाजी से जुड़े लेन-देन, भाव, रकम और अन्य सटोरियों से बातचीत के सबूत हैं। अब पुलिस इन्हीं सबूतों के आधार पर बाकी शिक्षकों की पहचान कर रही है। जिन शिक्षकों के नंबर और चैट्स मिले हैं, उनके खिलाफ भी जल्दी ही सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला इसलिए भी गंभीर हो गया है क्योंकि इन शिक्षकों ने पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी छोड़कर सट्टेबाजी को अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। बहुत से शिक्षक ऐसे हैं जो अब अपने स्कूल तक नहीं जाते। कुछ ने तो अपने स्कूलों में प्राइवेट टीचर रख लिए हैं, जो उनकी जगह बच्चों को पढ़ाते हैं। वहीं कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो अपने रसूख के दम पर घर बैठे ही हाजिरी लगवाते हैं। इन शिक्षकों ने सट्टा लगाकर रातोंरात लाखों और करोड़ों रुपये कमाए हैं। लेकिन अब उनका यह खेल पुलिस और प्रशासन की नजर में आ गया है।

जेल में बंद इन 10 आरोपियों में से 7 लोगों की जमानत याचिका सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी है। अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट जाना होगा। जिनकी जमानत खारिज हुई है, उनके नाम हैं – टीटू उर्फ दीपक, विक्की छावड़ा, कमल छावड़ा, मनोज अरोड़ा (जो कि शिक्षक हैं), हेमंत अरोड़ा, रोहित गुप्ता और अभिनव। इससे साफ है कि कोर्ट भी इस मामले को बहुत गंभीरता से देख रहा है।

पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार इस सट्टेबाजी रैकेट के अभी भी 13 आरोपी फरार हैं। 11 अप्रैल के बाद से पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन अब तक कोई भी वांटेड आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है। पुलिस हर दिन करीब 10 जगहों पर छापे मार रही है, लेकिन अभी तक उन्हें खास सफलता नहीं मिली है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस सट्टेबाजी रैकेट का जाल कितना बड़ा और गहरा है।

यह घटना शिक्षा विभाग के लिए एक बहुत बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो गई है। जो शिक्षक बच्चों को ईमानदारी, मेहनत और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं, वही अगर कानून तोड़ने लगें, तो बच्चों का भविष्य कैसे सुरक्षित रह पाएगा? बेसिक शिक्षा विभाग अब इन शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है। सिर्फ निलंबन ही नहीं, बल्कि उनकी नौकरी तक खतरे में है। अगर दोष साबित हुआ, तो इनकी सेवा समाप्त भी की जा सकती है।

इस पूरे मामले से एक और सच्चाई सामने आई है – कुछ शिक्षक अपनी ड्यूटी के प्रति बिल्कुल लापरवाह हो गए हैं। उन्हें न बच्चों की पढ़ाई की चिंता है और न ही अपने कर्तव्यों की। वे सिर्फ पैसे कमाने की सोच में लगे हैं, चाहे वह तरीका गलत ही क्यों न हो। ये शिक्षक यह भूल गए हैं कि एक शिक्षक सिर्फ स्कूल में पढ़ाता नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक आदर्श भी होता है। जब समाज का यह आदर्श खुद गलत रास्ते पर चले, तो समाज का क्या होगा?

पुलिस अब इस मामले में तकनीकी सहायता भी ले रही है। मोबाइल चैट्स, कॉल रिकॉर्ड्स, बैंक ट्रांजैक्शन, व्हाट्सएप ग्रुप्स और मोबाइल पेमेंट ऐप्स की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि और कितने लोग इस सट्टेबाजी में शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस ने यह भी बताया है कि जो शिक्षक स्कूल नहीं जा रहे थे, उनका रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। अगर कोई शिक्षक लगातार अनुपस्थित रहा है और फिर भी वेतन ले रहा है, तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी कहा है कि वे इस पूरे मामले को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। बीएसए कार्यालय से यह निर्देश जारी किया गया है कि सभी बीईओ अपने-अपने ब्लॉक के स्कूलों की हाजिरी और शिक्षकों की उपस्थिति की रिपोर्ट दें। यह देखा जाएगा कि कौन-कौन से शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं और कौन गायब रहते हैं।

इस घटना ने साफ कर दिया है कि शिक्षा विभाग को अब और सख्ती बरतनी होगी। शिक्षकों की भर्ती से लेकर उनकी निगरानी तक हर स्तर पर पारदर्शिता लानी होगी। साथ ही यह भी जरूरी है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई हो, ताकि गलत काम करने वालों को सबक मिले और बाकी शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारी समझें।

यह भी जरूरी है कि समाज के लोग और अभिभावक भी इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाएं। स्कूल बच्चों का दूसरा घर होता है और शिक्षक उनके मार्गदर्शक। अगर वही शिक्षक गलत राह पर चलें, तो बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।

इस पूरे प्रकरण से हमें यह सिखने को मिलता है कि चाहे कोई भी पेशा हो, अगर उसमें ईमानदारी न हो, तो उसका समाज पर बुरा असर पड़ता है। शिक्षक का काम सिर्फ नौकरी नहीं है, वह एक मिशन है, एक जिम्मेदारी है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि इस तरह के मामलों पर जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई हो और ऐसे शिक्षक जो इस पवित्र पेशे को बदनाम कर रहे हैं, उन्हें उनके किए की सजा मिले।



SMC बैठक मई 2025

 



 

  

👉शिक्षकों को 20 फीसदी नामांकन बढ़ाने का बीएसए ने दिया लक्ष्य
https://www.updatemarts.com/2025/04/20_29.html


शिक्षकों की मेहनत आई रंग, परिषदीय स्कूलों में 10 हजार बढ़े छात्र


Monday, April 28, 2025

पहले देश, फिर मांगें: पहलगाम शहीदों को श्रद्धांजलि और राष्ट्रहित का संकल्प

 

पहले देश, फिर मांगें: पहलगाम शहीदों को श्रद्धांजलि और राष्ट्रहित का संकल्प......

 



देश से बड़ा कुछ नहीं होता। जब भी कोई मुश्किल समय आता है, हमें अपने निजी हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सबसे पहले रखना चाहिए। हाल ही में जो दर्दनाक घटना हमारे देश में घटी, उसने पूरे देशवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में किए गए भीषण आतंकी हमले में हमारे 27 निर्दोष भारतीय भाई-बहनों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस हादसे ने देश को गहरे शोक और आक्रोश से भर दिया है। इस कठिन समय में, अटेवा संगठन ने एक बहुत ही समझदारी भरा फैसला लिया है। उन्होंने 1 मई को दिल्ली के जंतर मंतर पर पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रस्तावित धरना स्थगित कर दिया है। यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता दिखाता है बल्कि राष्ट्र के प्रति सच्ची निष्ठा का प्रमाण भी है।

जब देश संकट में हो, तो अपने हक और अधिकारों की लड़ाई को कुछ समय के लिए रोकना ही असली देशभक्ति है। देश रहेगा, तभी हम रहेंगे। अगर हमारे देश की सुरक्षा खतरे में होगी, तो हमारे अधिकार, हमारी सुविधाएं, हमारी पेंशन, सब कुछ अर्थहीन हो जाएगा। सेना में कार्यरत लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी इस हमले में वीरगति को प्राप्त हुए। सेना में आज भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू है, लेकिन पेंशन का लाभ तभी लिया जा सकता है जब व्यक्ति जीवित रहे। शांति और सुरक्षा के बिना न पेंशन का कोई मतलब रह जाता है और न ही किसी सुविधा का।

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने हमें यह सिखाया है कि सबसे पहले देश की रक्षा जरूरी है। हमारे नागरिकों की जान बचाना जरूरी है। हमारा भविष्य तभी सुरक्षित है जब हमारा देश सुरक्षित है। अगर देश के नागरिक असुरक्षित होंगे तो किसी भी प्रकार की मांग, आंदोलन, सुविधाएं सब व्यर्थ हैं। इसलिए इस समय हम सबकी पहली प्राथमिकता देश की एकता और अखंडता को बचाना है। हमें यह समझना चाहिए कि व्यक्तिगत हितों की लड़ाई बाद में लड़ी जा सकती है, लेकिन राष्ट्रहित सर्वोपरि है।

आज भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जवाबी कार्यवाही का ऐलान किया है। यह समय है कि हम सब भारतवासियों को सरकार और सुरक्षाबलों का पूर्ण समर्थन करना चाहिए। आतंकवाद का सामना एकजुट होकर ही किया जा सकता है। हमें अपने दुख, अपनी मांगों को कुछ समय के लिए भूलकर शहीदों के परिवारों के साथ खड़ा होना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि जो लोग देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं, उनके कारण ही हम सुरक्षित रह पाते हैं।

शिक्षक, कर्मचारी, सैनिक, किसान, व्यापारी — सभी देश की उन्नति में अपना योगदान देते हैं। लेकिन इन सबका योगदान तभी अर्थपूर्ण होता है जब देश का वातावरण शांत और सुरक्षित हो। कोई भी विकास तभी संभव है जब देश की सीमाएं सुरक्षित हों, जब देश के भीतर शांति हो। इसलिए इस समय जरूरी है कि हम राष्ट्रहित को प्राथमिकता दें।

जब देश की रक्षा में लगे जवान अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, तब हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने छोटे-छोटे हितों को भूलकर राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए काम करें। इस समय आंदोलन, धरना, प्रदर्शन का समय नहीं है। यह समय है देश के साथ खड़े होने का, आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का।

आज हमारे 27 भाई-बहन आतंकी हमले में शहीद हो गए। उनके घरों में मातम पसरा है। उनके परिवारों का दुख शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन परिवारों का दर्द समझना और उनके साथ खड़ा होना हम सबका नैतिक दायित्व है। जब देश पर हमला होता है तो वह केवल एक जगह या कुछ लोगों पर हमला नहीं होता, वह हम सब पर हमला होता है।

अटेवा द्वारा धरना स्थगित करने का निर्णय एक उदाहरण है कि कैसे देशहित को निजी मांगों से ऊपर रखा जा सकता है। हमें इस निर्णय से प्रेरणा लेकर हमेशा यह याद रखना चाहिए कि देश सबसे पहले है। अगर देश सुरक्षित है तो हम अपनी सभी मांगें भविष्य में पूरी कर सकते हैं। लेकिन अगर देश ही सुरक्षित नहीं रहा तो कोई आंदोलन, कोई मांग, कोई सुविधा बच नहीं पाएगी।

देशभक्ति केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने से पूरी नहीं होती। असली देशभक्ति तो तब होती है जब हम कठिन समय में अपने निजी हितों को त्याग कर देश के साथ खड़े होते हैं। जब हम शहीदों के बलिदान को याद करते हैं और उनके सपनों का भारत बनाने के लिए काम करते हैं।

आज आतंकवाद केवल गोली चलाकर नहीं लड़ रहा, बल्कि वह हमारे समाज में डर फैलाकर हमें तोड़ने की कोशिश कर रहा है। अगर हम अपने छोटे-छोटे स्वार्थों में उलझकर एकता भूल जाएंगे तो आतंकवादी अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन अगर हम एकजुट रहेंगे, अपने मतभेदों को भूलकर देश के साथ खड़े रहेंगे तो कोई भी ताकत हमें हरा नहीं सकती।

पहलगाम के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनका बलिदान व्यर्थ न जाने दें। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम हर परिस्थिति में देश को सर्वोपरि रखेंगे। देशहित में जो भी त्याग करना पड़े, हम करेंगे।

हमें यह भी समझना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई एक दिन की नहीं है। यह एक लंबी लड़ाई है जिसमें धैर्य, एकता और समर्पण की जरूरत है। हमें अपने सैनिकों, अपने सुरक्षाबलों पर भरोसा रखना चाहिए और उन्हें अपना पूर्ण समर्थन देना चाहिए।

जब देश सुरक्षित रहेगा, जब देश में अमन रहेगा, तब ही हम अपने हक और अधिकारों के लिए लड़ सकते हैं। तब ही हम पेंशन बहाली की लड़ाई को भी सही तरीके से आगे बढ़ा सकते हैं।

आज का दिन हमें यह सिखाता है कि पहले देश, फिर अन्य मांगें। राष्ट्र सबसे पहले। व्यक्तिगत हित बाद में।

आइए, हम सब मिलकर पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करें और यह संकल्प लें कि हम हर हाल में देश के साथ खड़े रहेंगे। हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहेंगे। हम अपने निजी स्वार्थों को देशहित के सामने छोटा मानेंगे।

भारत माता की जय! जय हिंद! वंदे मातरम्!



 

👉जनपद के भीतर BEO के बदले विकास खण्ड

https://www.updatemarts.com/2025/04/beo_28.html

👉हर सप्ताह परखी जाएगी विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता

👉समस्त डायट प्राचार्य, AD BASIC, BSA, BEO, DCs, SRG, ARP एवं शिक्षक संकुल कृपया ध्यान दें

👉95 हजार विद्यार्थियों के अभिभावकों के खातों में शीघ्र जाएगी यूनिफॉर्म की रकम https://basicshikshakhabar.com/2025/04/ff-715/


 


Saturday, April 26, 2025

कानपुर देहात: स्कूल से कोल्डड्रिंक लाते समय छात्र की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत, परिवार में मातम

 



कानपुर देहात जिले के अमराहत थाना क्षेत्र के सिहुरा गाँव में शुक्रवार को एक बेहद दुखद और दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। गाँव के साविलियन विद्यालय के आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र हर्ष कुमार की तेज रफ्तार ट्रैक्टर से कुचलकर मौके पर ही मौत हो गई। हर्ष कुमार रोज की तरह स्कूल गया था। स्कूल में पढ़ाई के बीच उसके शिक्षक ने उसे कोल्डड्रिंक मंगाने के लिए गाँव की दुकान पर भेजा। हर्ष दुकान से कोल्डड्रिंक लेकर जैसे ही लौट रहा था, तभी गाँव के काली माता मंदिर मोड़ के पास पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उसे रौंद दिया। हादसा इतना भयानक था कि हर्ष की मौके पर ही मौत हो गई।

गाँव वालों ने हादसा होते ही शोर मचाया और दौड़कर हर्ष के घरवालों को सूचना दी। घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, इसलिए सभी लोग खुशी के माहौल में थे, लेकिन यह खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। हर्ष की माँ निर्मला देवी, बहन कुशमा देवी, वीरवती, कमला और हसना आदि रोते-बिलखते घटनास्थल पर पहुँचीं। माँ के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बहनों की चीख-पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई। जो घर शादी के गीतों से गूंज रहा था, वहाँ अब मातम पसरा हुआ है।

हर्ष कुमार अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। परिवार में उसकी सबसे बड़ी बहन गुनवती की पहले ही शादी हो चुकी थी। अब छोटी बहन कुशमा की शादी 5 मई को होनी थी। घर में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। रिश्तेदार बुलाए जा रहे थे, घर में हल्दी और मेहंदी की तैयारियाँ चल रही थीं, लेकिन इस हादसे ने सारी खुशियाँ छीन लीं। अब घर में सिर्फ आँसू और मातम रह गया है। परिवार वालों का कहना है कि हर्ष बहुत होशियार और समझदार लड़का था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था और अपने माता-पिता का सपना था कि वह बड़ा होकर कुछ बनकर उनका नाम रोशन करेगा।

हादसे के बाद ट्रैक्टर चालक गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गया। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर को घेर लिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। थाना प्रभारी सुरजीत सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुँचे। उन्होंने हर्ष के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया और ट्रैक्टर को कब्जे में ले लिया। पुलिस ने ट्रैक्टर चालक की पहचान कर ली है और उसकी तलाश में दबिश दे रही है। थाना प्रभारी ने कहा कि जल्द ही आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

हर्ष के पिता शिवसागर निषाद और गाँव के अन्य लोगों ने बताया कि साविलियन विद्यालय में शिक्षक अक्सर बच्चों को स्कूल के काम के अलावा निजी काम के लिए भी भेजते हैं। कभी चाय मंगवाते हैं, कभी कोल्डड्रिंक और कभी अन्य सामान। इसी तरह शुक्रवार को भी शिक्षक ने हर्ष को कोल्डड्रिंक लाने के लिए भेजा था। यदि शिक्षक बच्चों को निजी काम के लिए बाहर न भेजते तो शायद यह हादसा टल सकता था और हर्ष आज जीवित होता। गाँव वालों ने शिक्षकों के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की माँग की है।

राजपुर खंड शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने कहा कि इस पूरे मामले की जाँच कराई जाएगी। यदि जाँच में शिक्षक दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई के समय बच्चों से निजी काम करवाना नियमों के खिलाफ है। बच्चों को स्कूल में सिर्फ पढ़ाई और गतिविधियों में ही लगाया जाना चाहिए। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

गाँव के बुजुर्गों और समाज के अन्य लोगों ने भी इस दुखद हादसे पर दुख जताया और कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है। वहाँ बच्चों से सामान मंगवाना या निजी काम करवाना बहुत गलत है। इस तरह की घटनाएँ बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना सभी शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि शिक्षक ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहेंगे तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगेंगे।

गाँव में अभी भी मातम पसरा हुआ है। हर कोई हर्ष की मौत पर दुखी है। गाँव के लोग हर्ष के परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुँच रहे हैं, लेकिन कोई भी शब्द उनके दुख को कम नहीं कर पा रहा। माँ-बाप की आँखों में आँसू और दिल में अपने बेटे को खोने का दर्द साफ नजर आ रहा है। बहन कुशमा, जिसकी शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, अब भाई के बिना कैसे शादी करेगी, यह सोचकर हर किसी की आँखें भर आ रही हैं।

पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से भी जाँच शुरू कर दी गई है। गाँव के लोग भी इस मामले में न्याय की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और मासूम बच्चा ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

यह हादसा पूरे समाज के लिए एक बड़ा सबक है। बच्चों को स्कूल भेजने का मतलब है कि वे सुरक्षित रहेंगे और पढ़ाई करेंगे, न कि कि वे किसी निजी काम में भेजे जाएंगे। बच्चों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना चाहिए। इस घटना से सबको यह सीख लेनी चाहिए कि बच्चों के साथ कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी कीमत पर बच्चों से गैरशैक्षणिक कार्य नहीं करवाना चाहिए।

हर्ष कुमार की असमय मौत ने पूरे गाँव, जिले और समाज को झकझोर कर रख दिया है। उसकी मासूम मुस्कान, उसके सपने और उसके माता-पिता की उम्मीदें सब कुछ एक झटके में खत्म हो गईं। अब सिर्फ उसकी यादें रह गई हैं, जो उसके परिवार और गाँव वालों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। हर्ष की मौत ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपने बच्चों को वाकई सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं।

इस दुखद घटना से यह भी साफ हो गया है कि स्कूलों में बच्चों के अधिकारों का सम्मान करना कितना जरूरी है। शिक्षा का अधिकार सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और गरिमा का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस तरह की घटनाएँ रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए और उनका पालन कड़ाई से होना चाहिए।

आज हर्ष कुमार हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी मौत एक सवाल छोड़ गई है - क्या हम भविष्य में अपने बच्चों को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण माहौल दे पाएंगे? इस सवाल का जवाब हमें ढूँढना ही होगा। प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्कूलों के शिक्षक और समाज को मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि अब कोई भी बच्चा स्कूल के दौरान ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

हर्ष कुमार की आत्मा को शांति मिले और उसके परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति मिले। यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।





सोशल मीडिया पोस्ट से फंसा सरकारी शिक्षक, पहलगाम हमले को बताया प्रोपेगेंडा, पुलिस ने किया गिरफ्तार


पहुलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या


अंतर्जनपदीय म्यूच्यूअल ट्रांसफर स्पेशल
https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_856.html



Thursday, April 24, 2025

8वां वेतन आयोग: सरकारी वेतन और पेंशन में बदलाव की तैयारी

 

                

              वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी लाएगा 8वां वेतन आयोग, केंद्र सरकार की तैयारी तेज



भारत में सरकारी कर्मचारी देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। केंद्र सरकार समय-समय पर उनके वेतन और पेंशन में बदलाव करती है ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें और अपने काम में मन लगाकर योगदान दे सकें। इसी उद्देश्य से हर 10 साल में एक वेतन आयोग (Pay Commission) बनाया जाता है। अब भारत सरकार 8वां वेतन आयोग (8th Pay Commission) बनाने जा रही है, जिसकी तैयारी जोरों पर है।

सरकार ने 8वें वेतन आयोग के कार्यक्षेत्र (Terms of Reference - ToR) को तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। उम्मीद है कि अगले दो से तीन हफ्तों के भीतर आयोग के कार्यक्षेत्र को अधिसूचित कर दिया जाएगा और इसके साथ ही आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के नाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। इससे पहले इस प्रक्रिया में कई महीने की देरी हो चुकी थी, लेकिन अब सरकार ने इसे प्राथमिकता देते हुए तेज़ी से आगे बढ़ाया है।

सरकारी कर्मचारियों का वेतन समय के साथ बढ़ाना जरूरी होता है क्योंकि महंगाई बढ़ती रहती है, चीजों की कीमतें बदलती हैं और जीवन की आवश्यकताएं भी बढ़ती हैं। ऐसे में कर्मचारियों का वेतन यदि पुराना ही बना रहता है, तो वे अपनी और अपने परिवार की जरूरतें पूरी नहीं कर पाते। इसीलिए हर दशक में एक वेतन आयोग बनाया जाता है, जो यह तय करता है कि वर्तमान समय में वेतन और पेंशन की दरें क्या होनी चाहिए।

8वें वेतन आयोग का काम होगा कि वह सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करके एक रिपोर्ट तैयार करे। इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) और कर्मचारी संगठनों के साथ बातचीत की जाएगी। आयोग को यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए कम से कम एक वर्ष का समय मिल सकता है। रिपोर्ट 2026 के मध्य में आने की संभावना है। इसके बाद सरकार रिपोर्ट पर निर्णय लेकर 1 जनवरी 2026 से नए वेतन और पेंशन लागू करेगी। इसका लाभ सभी कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलेगा और उन्हें पिछली तारीख से बकाया राशि भी दी जाएगी।

यह आयोग लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को सीधे प्रभावित करेगा। इन कर्मचारियों में सेना, अर्धसैनिक बल, रेलवे, डाक, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन जैसे विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के लाखों कर्मचारी भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे क्योंकि वे भी केंद्र सरकार के वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाते हैं।

सरकार ने हाल ही में व्यय विभाग (Department of Expenditure) के माध्यम से एक विज्ञापन भी जारी किया है जिसमें 8वें वेतन आयोग के लिए 35 पदों को प्रतिनियुक्ति (deputation) के आधार पर भरने की बात कही गई है। इससे साफ है कि सरकार आयोग की स्थापना में तेजी ला रही है।

7वां वेतन आयोग 28 फरवरी 2014 को गठित हुआ था और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गई थीं। उस समय आयोग की अध्यक्षता जस्टिस अशोक कुमार माथुर ने की थी। 7वें आयोग ने वेतन और पेंशन में औसतन 23.55% की वृद्धि की थी। इससे कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया था और अधिकतम वेतन 90,000 रुपये से बढ़कर 2.5 लाख रुपये प्रति माह हो गया था। उस समय महंगाई भत्ता 119% था, जिसे नए वेतन में जोड़ दिया गया था।

7वें वेतन आयोग ने एक नई "वेतन मैट्रिक्स" भी प्रस्तावित की थी जिसमें पुरानी "पे बैंड" और "ग्रेड पे" की जगह एक सरल वेतन संरचना बनाई गई थी। इसमें हर स्तर पर वेतन तय कर दिया गया था और कर्मचारियों को उनके स्तर के अनुसार वेतन मिलने लगा था। आयोग ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया था, जिसका अर्थ था कि पुराने वेतन को 2.57 गुना करके नया वेतन तय किया गया।

अब 8वां वेतन आयोग भी ऐसा ही कोई नया फिटमेंट फैक्टर तय करेगा। यह तय करने में आयोग महंगाई, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI), जीवन यापन की लागत और कर्मचारियों की खरीदने की शक्ति को ध्यान में रखेगा। जैसे 2016-17 में जब 7वां वेतन आयोग लागू हुआ था, तो सरकार के राजस्व खर्च में 9.9% की वृद्धि हो गई थी, जबकि इससे पहले यह केवल 4.8% थी। इससे सरकार के लिए पूंजीगत व्यय (capital expenditure) पर असर पड़ा था।

हालांकि, वेतन आयोग की सिफारिशों से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है, लेकिन इसका फायदा भी होता है। जब कर्मचारियों के पास अधिक पैसा आता है, तो वे ज्यादा खरीदारी करते हैं, जिससे बाजार में रौनक बढ़ती है और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। इससे व्यापार और उद्योग को भी लाभ होता है।

लेकिन राज्यों और सार्वजनिक उपक्रमों के लिए यह हमेशा आसान नहीं होता। उन्हें भी केंद्र के समान वेतन लागू करना पड़ता है जिससे उन पर भी आर्थिक दबाव बढ़ जाता है। इसलिए वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से पहले हर सरकार को अपने वित्तीय संसाधनों का आंकलन करना पड़ता है।

सरकार की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के असर को नई मध्यम अवधि की वित्तीय योजनाओं और 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों में भी जोड़ा जाएगा। 16वां वित्त आयोग वर्ष 2027 से शुरू होने वाले पांच सालों के लिए केंद्रीय करों के वितरण और राज्यों को मिलने वाले अनुदानों के बारे में सिफारिशें करेगा।

वेतन आयोग न केवल कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो सामाजिक और आर्थिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। जब सरकारी कर्मचारियों को अच्छा वेतन मिलता है, तो वे बेहतर जीवन जी पाते हैं, उनका मनोबल बढ़ता है और वे अपने काम में और मेहनत करते हैं। इससे सरकार की योजनाओं को जमीन पर लागू करने में भी मदद मिलती है।

8वें वेतन आयोग से लाखों कर्मचारियों को उम्मीदें हैं। वे चाहते हैं कि उन्हें उचित वेतन मिले, ताकि वे अपने परिवार की जरूरतें अच्छी तरह पूरी कर सकें। महंगाई के इस दौर में जब सब कुछ महंगा होता जा रहा है, वेतन में वृद्धि समय की मांग है। सरकार भी जानती है कि यदि कर्मचारियों को संतोषजनक वेतन नहीं मिला, तो उनका प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

इसलिए 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें केवल वेतन और पेंशन का मामला नहीं हैं, यह कर्मचारियों की मेहनत को सम्मान देने और देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देने का एक जरिया भी है


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