स्कूल चलो मिशन 2025 उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य यह है कि हर बच्चा स्कूल जाए और पढ़ाई से वंचित न रहे। यह योजना खासकर गरीब, पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है ताकि वे भी शिक्षा का अधिकार पा सकें। यह मिशन उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चलाया जा रहा है और इसका मकसद सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ना है।
उत्तर प्रदेश की सरकार यह मानती है कि जब तक हर बच्चा स्कूल नहीं जाएगा, तब तक समाज और देश का विकास अधूरा रहेगा। इसीलिए सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि 2025 तक राज्य का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे। इसके लिए गांव-गांव और मोहल्लों में जाकर अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजें। कई जगहों पर शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधानों की मदद से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है|
स्कूल चलो मिशन 2025 में कई योजनाओं को जोड़ा गया है जिससे बच्चों को स्कूल आने में किसी तरह की परेशानी न हो। बच्चों को मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म, जूते-मोज़े और बैग दिए जा रहे हैं। साथ ही मिड-डे मील योजना के तहत दोपहर का भोजन भी स्कूलों में दिया जा रहा है। इससे गरीब परिवारों के लिए अपने बच्चों को स्कूल भेजना आसान हो गया है क्योंकि अब उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खाना और जरूरी सामान भी स्कूल से मिल रहा है।
सरकार ने यह भी तय किया है कि जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, उन्हें दोबारा शिक्षा से जोड़ा जाए। इसके लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। शिक्षक और अधिकारी उन बच्चों के घर जाकर उनसे और उनके माता-पिता से बात करते हैं और उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाने का प्रयास करते हैं। खासकर बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि कई बार लड़कियों को घरेलू कामों में लगा दिया जाता है और उनकी पढ़ाई छूट जाती है। अब सरकार लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए भी विशेष योजनाएं बना रही है।
स्कूल चलो मिशन के तहत सभी स्कूलों में नामांकन अभियान चलाया गया है। इसमें बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया जाता है और हर बच्चे की जानकारी दर्ज की जाती है। अगर कोई बच्चा स्कूल से गायब होता है या नहीं आता, तो उसके बारे में जांच की जाती है और उसे वापस स्कूल लाने की कोशिश की जाती है। शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने क्षेत्र के सभी बच्चों की जानकारी रखें और सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे।
इस योजना में तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। कई स्कूलों में अब डिजिटल हाजिरी की जा रही है जिससे यह पता चलता है कि कितने बच्चे नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। साथ ही शिक्षा विभाग एक ऐप के माध्यम से हर स्कूल की जानकारी इकट्ठा कर रहा है ताकि योजना को सफल बनाया जा सके। यह ऐप यह भी दिखाता है कि कहां पर बच्चों की संख्या कम है और कहां पर और काम करने की जरूरत है।
स्कूल चलो मिशन 2025 में पंचायतों, नगर निकायों, शिक्षकों, समाजसेवियों और स्थानीय लोगों की भी मदद ली जा रही है। स्कूल चलो रैलियां, प्रभात फेरियां और जनजागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि शिक्षा कितनी जरूरी है। छोटे-छोटे बच्चे हाथों में तख्तियां लेकर जब गांवों में निकलते हैं और नारे लगाते हैं "पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया", तो लोगों का ध्यान इस ओर जाता है और वे भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने लगते हैं।
सरकार यह भी चाहती है कि सरकारी स्कूलों की छवि सुधरे ताकि माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में भेजने को तैयार हों। इसके लिए स्कूलों की इमारतें सुधारी जा रही हैं, शौचालय बनवाए जा रहे हैं, पीने का साफ पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और कंप्यूटर शिक्षा की सुविधा भी दी जा रही है। जब स्कूल अच्छा और साफ-सुथरा होगा, तो बच्चे भी वहां जाना पसंद करेंगे और पढ़ाई में रुचि लेंगे।
स्कूल चलो मिशन में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। खेल-कूद, चित्रकला, गायन, नृत्य और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अपनी रुचियों को भी पहचान सकें। शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे बच्चों को प्यार और स्नेह से पढ़ाएं ताकि बच्चा स्कूल आने से डरे नहीं बल्कि खुशी से आए।
यह मिशन केवल सरकार का नहीं, बल्कि हम सबका है। जब तक हर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजेंगे, तब तक यह मिशन सफल नहीं हो सकता। समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा और शिक्षा के इस अभियान में योगदान देना होगा। स्कूल चलो मिशन 2025 हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबें पढ़ना नहीं है, बल्कि यह बच्चों का भविष्य है, और एक पढ़ा-लिखा बच्चा ही कल एक अच्छा नागरिक बन सकता है।
बेसिक शिक्षा विभाग का यह प्रयास सराहनीय है कि वह हर साल इस योजना को और मजबूत बना रहा है। पहले जहां स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या अधिक थी, वहीं अब धीरे-धीरे यह संख्या घट रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब माता-पिता भी शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। उन्हें यह समझ में आने लगा है कि अगर उनके बच्चे पढ़-लिख जाएंगे तो वे एक अच्छा जीवन जी पाएंगे।
अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जैसे कुछ इलाकों में स्कूल दूर होने के कारण बच्चे नहीं जा पाते, कुछ जगहों पर शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं, तो कहीं स्कूलों में सुविधा कम है। लेकिन सरकार इन सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रही है। नए स्कूल खोले जा रहे हैं, शिक्षक बहाल किए जा रहे हैं और स्कूलों को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों को सही तरीके से पढ़ाया जाए और उनकी पढ़ाई में कोई कमी न हो।
स्कूल चलो मिशन 2025 का लक्ष्य बड़ा है लेकिन अगर सभी लोग मिलकर प्रयास करें तो यह जरूर सफल हो सकता है। यह मिशन न केवल बच्चों को शिक्षा देगा बल्कि हमारे देश को एक उज्जवल भविष्य भी देगा। जब हर बच्चा पढ़ेगा, तो वह अपने परिवार, गांव और देश के विकास में योगदान देगा। एक पढ़ा-लिखा समाज ही सशक्त समाज बन सकता है।
इसलिए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने आस-पास के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे, उनकी मदद करेंगे और इस मिशन को सफल बनाने में अपना योगदान देंगे। स्कूल चलो मिशन 2025 केवल एक योजना नहीं है, यह एक आंदोलन है – शिक्षा का आंदोलन, भविष्य निर्माण का आंदोलन। आइए हम सब मिलकर इस मिशन को सफल बनाएं और उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाएं।
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