Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

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a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

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NIPUN Bharat helps young children read and do basic math with understanding and confidence.

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Mission to uplift education, honor teachers, and promote human welfare through dialogue.

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Saturday, May 3, 2025

लू और हीट वेव से बचाव के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की गाइडलाइन

 





👉हाईकोर्ट में 6 मई 2025 को होगी पुरानी पेंशन के लिए सुनवाई: 28 मार्च 2005 से पूर्व नियुक्त शिक्षामित्रों को उम्मीद


👉शैक्षिक सत्र 2025-26 में (डी०बी०टी०) के माध्यम से सीधे छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों के खाते में अन्तरित करने हेतु आवश्यक तैयारियों के सम्बन्ध में।


👉यू-डायस+ 2024-25 के अन्तर्गत परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की स्टूडेण्ट प्रोफाइल तथा ड्रापबाक्स सम्बन्धी समीक्षा बैठक के सम्बन्ध में।


👉MDM : मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत कनवर्जन कास्ट व फल लागत की दरें एवं खाद्यान्न की मात्रा, योजना की शुरुआत से अबतक








Wednesday, April 30, 2025

महिलाओं के लिए शिक्षक पद: शिक्षा क्षेत्र में आदर्श करियर

 

                                             

हमारे समाज में शिक्षक का स्थान बहुत ऊँचा माना जाता है। खासकर जब कोई महिला शिक्षक बनती है, तो वह न केवल शिक्षा का कार्य करती है, बल्कि वह समाज की सोच को भी बदलने का काम करती है। एक महिला जब कक्षा में जाती है, तो वह सिर्फ किताबें नहीं पढ़ाती, वह बच्चों को जीवन के मूल्यों, संस्कारों और इंसानियत का पाठ भी पढ़ाती है। एक महिला शिक्षक अपने धैर्य, ममता और समझदारी से बच्चों को सिखाने का जो तरीका अपनाती है, वह बच्चों के मन पर गहरा असर छोड़ता है।

कानपुर देहात जैसे क्षेत्र में जहां पारिवारिक जीवन और सामाजिक जिम्मेदारियाँ महिलाओं पर अधिक होती हैं, वहां शिक्षक की नौकरी उनके लिए एक वरदान जैसी होती है। शिक्षक का पेशा महिलाओं को वह सम्मान और स्थिरता देता है जिसकी उन्हें जरूरत होती है। यह नौकरी उन्हें घर और कार्य के बीच संतुलन बनाए रखने का अवसर देती है। स्कूल के निश्चित समय, छुट्टियों की सुविधा और बच्चों के साथ एक सकारात्मक वातावरण उन्हें शांति और संतोष प्रदान करता है। जब एक महिला अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बाद खुद भी एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जाती है, तो वह अपने परिवार के साथ-साथ समाज के बच्चों के भविष्य को भी सँवारने का कार्य करती है।

एक महिला शिक्षक केवल एक विषय की जानकार नहीं होती, वह बच्चों की मार्गदर्शक, सहारा और प्रेरणा भी होती है। बच्चों के मन को समझना, उन्हें प्यार से पढ़ाना, और हर बच्चे के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानना एक महिला शिक्षक की सबसे बड़ी विशेषता होती है। वह बच्चों को डांटने के बजाय उन्हें समझाने में विश्वास रखती है। एक माँ की तरह वह हर विद्यार्थी को अपनी संतान समझकर पढ़ाती है। यही कारण है कि बच्चों को महिला शिक्षक अधिक प्रिय लगती हैं। उनकी बातों में मिठास होती है और उनके व्यवहार में अपनापन होता है।

महिला शिक्षकों का धैर्य, उनकी कोमलता और व्यवहारिक समझ उन्हें इस पेशे के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है। वे न केवल पढ़ाने का कार्य करती हैं, बल्कि विद्यालय की व्यवस्था, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेलकूद और अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहती हैं। एक महिला शिक्षक बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में कार्य करती है। वह यह सुनिश्चित करती है कि हर बच्चा आत्मविश्वास से भरा हो, अच्छे संस्कारों के साथ बड़ा हो और समाज में एक अच्छा नागरिक बने।

आजकल कई महिलाएं शादी के बाद या माँ बनने के बाद घर की जिम्मेदारियों में उलझ जाती हैं, लेकिन शिक्षक की नौकरी उन्हें फिर से आत्मनिर्भर और सक्रिय बनाने का माध्यम बनती है। वह सुबह बच्चों को तैयार करती है, खुद विद्यालय जाती है, और समय पर घर लौटती है। स्कूल के समय और घर के काम के बीच एक अच्छा तालमेल बन जाता है। इससे उन्हें न केवल मानसिक संतुलन मिलता है, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता भी प्राप्त होती है। उन्हें अपनी मेहनत की कमाई मिलती है, जिससे उनका आत्मविश्वास और आत्मसम्मान दोनों बढ़ता है।

महिला शिक्षक होने का एक और बड़ा लाभ यह है कि वह समाज में एक आदर्श बन जाती हैं। जब एक गाँव या कस्बे की लड़की यह देखती है कि उनकी दीदी या आंटी स्कूल में पढ़ाने जाती हैं, तो उनके मन में भी शिक्षक बनने की प्रेरणा जागती है। एक महिला शिक्षक अपने कार्य और व्यवहार से समाज की अन्य महिलाओं के लिए उदाहरण बनती है। वह दिखाती हैं कि एक महिला सिर्फ रसोई या घर तक सीमित नहीं है, वह बच्चों के भविष्य की निर्माता भी बन सकती है।

एक महिला शिक्षक जब बच्चों को पढ़ाती है, तो वह हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास करती है। वह जानती है कि हर बच्चा अलग है, और हर बच्चे को अलग तरीके से समझाना पड़ता है। उसके पास धैर्य होता है, सहनशीलता होती है और एक सच्चा मन होता है। वह बच्चों की सफलता में अपनी खुशी ढूंढती है। जब कोई बच्चा परीक्षा में अच्छे अंक लाता है या मंच पर आत्मविश्वास से बोलता है, तो उसे लगता है कि उसकी मेहनत सफल हो गई। यह संतोष और खुशी शायद ही किसी अन्य पेशे में इतनी सच्चाई से मिलती हो।

महिला शिक्षक का यह कार्य सिर्फ स्कूल तक ही सीमित नहीं होता। वह बच्चों के अभिभावकों से भी मिलती है, उन्हें बच्चों की प्रगति की जानकारी देती है, और जरूरत पड़ने पर परामर्श भी देती है। वह समाज और परिवार के बीच एक पुल की तरह काम करती है। एक अच्छा शिक्षक न केवल किताबों का ज्ञान देता है, बल्कि बच्चों को अच्छा इंसान भी बनाता है। और जब यह कार्य एक महिला करती है, तो उसमें संवेदना, अपनापन और ममता और भी अधिक जुड़ जाती है।

सरकारी विद्यालयों में महिला शिक्षकों की संख्या बढ़ना हमारे समाज के लिए शुभ संकेत है। इससे न केवल शिक्षा का स्तर सुधरता है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ती है। वे अपनी प्रतिभा और ज्ञान से समाज को सशक्त बनाती हैं। सरकार भी अब महिला शिक्षकों को बढ़ावा दे रही है, क्योंकि यह देखा गया है कि जब महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आती हैं, तो बच्चों के प्रति अनुशासन और संवेदनशीलता दोनों में सुधार होता है। महिलाएं बच्चों के साथ ज्यादा जुड़ाव बना लेती हैं और उन्हें सकारात्मक दिशा में प्रेरित कर सकती हैं।

शिक्षक की नौकरी में सबसे अच्छी बात यह होती है कि इसमें हर दिन कुछ नया होता है। हर दिन नया पाठ, नई गतिविधि, और नई बातें। महिला शिक्षक इन सभी में उत्साह के साथ भाग लेती हैं। उन्हें स्कूल के बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों और प्रधानाचार्य के साथ भी अच्छा तालमेल बनाना होता है। वे सबकी बातें सुनती हैं, समझती हैं और स्कूल के वातावरण को खुशनुमा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं।

कई बार जब बच्चों के माता-पिता व्यस्त होते हैं या शिक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते, तब महिला शिक्षक बच्चों की विशेष देखभाल करती हैं। वह न केवल पढ़ाई बल्कि व्यवहार, साफ-सफाई और नैतिक मूल्यों के बारे में भी सिखाती हैं। वह बच्चों को अपनेपन से सुधारती हैं। यही कारण है कि बच्चों को अपनी 'मैम' सबसे प्यारी लगती हैं। वे उनके साथ अपनी बातें साझा करते हैं, उनसे प्रेरणा लेते हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।

महिला शिक्षक का जीवन सरल होते हुए भी महान होता है। वह सुबह तैयार होकर विद्यालय जाती है, बच्चों को सिखाती है, उन्हें जीवन के लिए तैयार करती है और शाम को घर लौटकर अपने परिवार की देखभाल भी करती है। वह हर जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाती है। वह कभी थकती नहीं, क्योंकि उसे पता है कि उसका कार्य केवल एक नौकरी नहीं है, यह सेवा है – देश सेवा, समाज सेवा और मानव सेवा।

महिलाओं को शिक्षक बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह न केवल उनके लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक करियर है, बल्कि समाज के निर्माण में भी उनकी भागीदारी सुनिश्चित करता है। जब एक महिला शिक्षिका बनती है, तो वह एक पीढ़ी को सिखाती है, संवारती है और मजबूत बनाती है। यह पेशा उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है, उन्हें एक पहचान देता है और समाज में उनका स्थान ऊँचा करता है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि महिला शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ हैं। वे शिक्षा के माध्यम से समाज को संवारती हैं, बच्चों को संस्कार देती हैं, और आने वाले कल को बेहतर बनाती हैं। उनका योगदान अमूल्य है। हर महिला जो शिक्षक बनना चाहती है, वह समाज के लिए एक प्रेरणा है। शिक्षक की नौकरी उसके लिए केवल आजीविका का साधन नहीं है, बल्कि यह उसके जीवन का मिशन बन जाता है। ऐसी महिला शिक्षिकाओं को हम सभी का नमन और सम्मान मिलना चाहिए।

 

👉विगत दस वर्षों (अप्रैल, 2016 से मार्च 2025) में नियुक्त शिक्षकों के सम्बन्ध में सूचना उपलब्ध कराये जाने विषयक।‌

https://www.updatemarts.com/2025/04/2016-2025.html


👉म्यूच्यूअल ट्रांसफर अपडेट

https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_728.html


👉फैसला: निजी स्कूलों को फीस वृद्धि से पहले अनुमति लेनी होगी

https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_805.html


Monday, April 21, 2025

पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन | 1 मई 2025 जंतर-मंतर चलो अभियान

 


सरकारी कर्मचारियों के हक की लड़ाई! पुरानी पेंशन बहाली के लिए 1 मई 2025 को जंतर-मंतर, दिल्ली चलें। एकजुटता दिखाएं, भविष्य सुरक्षित बनाएं।



पेंशन एक ऐसी चीज़ है, जो हर सरकारी कर्मचारी के जीवन में बहुत ज़रूरी होती है। जब कोई इंसान अपने पूरे जीवन का सबसे अच्छा समय नौकरी में लगा देता है, दिन-रात मेहनत करता है, अपने परिवार से दूर रहकर, कई बार खतरों का सामना करके देश और समाज के लिए काम करता है, तो उसके बुढ़ापे का सहारा वही पेंशन होती है। पेंशन एक ऐसी लाठी है, जो बुढ़ापे में इंसान को सहारा देती है। जब शरीर जवाब देने लगता है, काम करने की ताकत नहीं रहती, तब यही पेंशन हर महीने एक उम्मीद लेकर आती है कि अब भी हमारा जीवन सम्मान से चल सकेगा।

आज देशभर में बहुत से कर्मचारी इस पेंशन के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। नई पेंशन योजना के आने के बाद से पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई, और कर्मचारियों को एक ऐसे सिस्टम में डाल दिया गया, जिसमें बुढ़ापे में उन्हें ये भरोसा नहीं रहता कि उनका जीवन बिना किसी चिंता के चलेगा। अब कर्मचारियों को यह डर सताने लगा है कि जब हम बूढ़े हो जाएंगे, तब कौन हमारी मदद करेगा? हमारी पेंशन तो अब तय ही नहीं है, बाजार के उतार-चढ़ाव पर चलने वाली रकम पर हम कैसे अपना भविष्य सुरक्षित मानें? इसी बात ने हजारों कर्मचारियों को एकजुट किया है, और वे अब पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं।

कई राज्यों में इस मुद्दे पर धरने-प्रदर्शन हो चुके हैं। हिमाचल प्रदेश ने इस लड़ाई को बखूबी लड़ा और वहां की सरकार को पुरानी पेंशन योजना लागू करनी पड़ी। यह सब हुआ कर्मचारियों की एकजुटता और हिम्मत के कारण। उन्होंने अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सड़कों पर आंदोलन किया, अपनी आवाज़ को बुलंद किया और आखिरकार अपना हक पाया। अब वही उम्मीद देश के दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को भी है। सबको यह लगने लगा है कि अगर हम भी एकजुट होकर अपनी बात कहें, तो सरकार को हमारी बात माननी पड़ेगी।

इसी सिलसिले में 1 मई 2025 को जंतर-मंतर, दिल्ली में एक बड़ा आंदोलन होने जा रहा है। यह केवल एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक मिशन है। इसमें भाग लेना हर उस कर्मचारी का फर्ज़ है, जो अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा चाहता है। यह लड़ाई केवल आज की नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की भी है। अगर आज हम चुप रहेंगे, तो आने वाले समय में हमारे बच्चे और उनके बाद की पीढ़ी भी इसी समस्या से जूझती रहेगी।

कई लोग सोचते हैं कि मैं नहीं जाऊंगा तो क्या फर्क पड़ेगा। पर असली बात यही है कि जब हर कोई यही सोचेगा, तो कोई भी नहीं जाएगा। अगर आप नहीं जाएंगे, तो दूसरा क्यों जाएगा? जब हर कोई ये सोचने लगेगा कि मेरे पास समय नहीं है, मुझे काम है, पत्नी भी नौकरी करती है, बच्चों को देखना है, तो फिर इस लड़ाई को कौन लड़ेगा? ये सोच सही नहीं है। हम चुनाव ड्यूटी करने जाते हैं, स्कूल भी जाते हैं, ऑफिस का सारा काम भी करते हैं, तो फिर अपने हक के लिए क्यों नहीं? अगर आप दो पेंशन लेना चाहेंगे, तो आंदोलन में भी दो लोग जाने चाहिए, आप और आपकी पत्नी। क्योंकि पेंशन दोनों को चाहिए।

बहाने बहुत हो चुके। कोई कहता है कि मैं अगली बार जाऊंगा। पर अगली बार कभी नहीं आती। जो लड़ाई आज लड़नी है, वो आज ही लड़नी पड़ेगी। कोई भी दूसरा आपके लिए लड़ने नहीं आएगा। जब तक आप खुद अपने हक के लिए खड़े नहीं होंगे, तब तक कुछ भी नहीं बदलेगा। महिलाओं का भी ये सवाल है कि हम कैसे जाएं? लेकिन वही महिलाएं स्कूल भी जाती हैं, ऑफिस भी जाती हैं, चुनाव ड्यूटी भी करती हैं। तो फिर अपने हक के लिए जाना क्यों मुश्किल है? पेंशन आपको भी चाहिए, तो उसके लिए लड़ाई भी आपको ही लड़नी होगी। अपने बच्चों के भविष्य के लिए हमें एक बार फिर से हिमाचल की मातृशक्ति की तरह आगे आना होगा।

कई बार लोग कहते हैं कि हमारे पास समय नहीं है, या हमें गैरसैण नहीं जाना, जिला मुख्यालय नहीं जाना, देहरादून नहीं जाना। तो कब जाओगे? ये बहाने कब तक चलते रहेंगे? क्या जब सबकुछ खत्म हो जाएगा, तब? तब तो कोई फायदा नहीं। पेंशन वो चीज है, जो हर महीने मिलती है। लड़ाई भी उसी तरह लगातार लड़ी जानी चाहिए। जब तक पेंशन नहीं मिलेगी, तब तक धरने भी लगेंगे, प्रदर्शन भी होंगे। जब तक पेंशन बहाल नहीं होगी, हमें चैन से बैठना नहीं है।

जो साथी इस आंदोलन को लड़ रहे हैं, उन्हें भी वही एक पेंशन मिलेगी। वो भी आपके ही जैसे कर्मचारी हैं। उन्होंने अपने विभागीय संगठनों में जिम्मेदारी ली है और अब ये उनका परम कर्तव्य बनता है कि वे इस मिशन में बढ़-चढ़कर भाग लें। अगर वे आपके भविष्य के लिए सड़क पर खड़े हो सकते हैं, तो क्या आप उनके साथ नहीं खड़े हो सकते? ये केवल उनकी लड़ाई नहीं है, ये हम सबकी लड़ाई है।

इस बार सवाल-जवाब और बहानेबाजी बहुत हो गई। अब एक ही जवाब है — 1 मई 2025 को जंतर-मंतर पर चलना है। पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन को मजबूत करना है। हमें अपने हक की इस लड़ाई को और तेज़ करना है। अगर हिमाचल के साथियों ने अपने बच्चों को गोद में लेकर आंदोलन किया और जीत हासिल की, तो हम क्यों नहीं कर सकते? हमें भी आलस छोड़कर, बहानेबाजी छोड़कर, निष्क्रियता और नकारात्मकता से बाहर निकलकर, अपने भविष्य के लिए डटकर खड़ा होना होगा।

यह लड़ाई सिर्फ पैसों की नहीं है, यह सम्मान की भी है। जब कोई रिटायर होता है, तो वह चाहता है कि उसे सम्मान के साथ, बिना किसी चिंता के जीवन जीने का हक़ मिले। अगर आज हम खामोश रहेंगे, तो कल कोई हमारी आवाज़ नहीं सुनेगा। कल कोई हमारा हाल भी पूछने नहीं आएगा। इसी लिए आज उठ खड़े होना जरूरी है।

हिमाचल ने दिखा दिया कि जब कर्मचारी एकजुट हो जाएं, तो कोई भी सरकार उनकी मांगें मानने को मजबूर हो जाती है। हमें भी वही करना है। 1 मई 2025 को हमें दिल्ली के जंतर-मंतर पर इकट्ठा होकर इतिहास रचना है। हर कर्मचारी को वहां पहुंचना है। सिर्फ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने से कुछ नहीं होगा। हमें सड़कों पर उतरना होगा। अपने नेताओं को आगे लाना होगा। जनजागरूकता फैलानी होगी। हर किसी को बताना होगा कि पेंशन हमारा अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे।

एकजुटता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जब हम सब एकजुट होंगे, तो हमारी आवाज़ दूर तक जाएगी। सरकार भी तब सुनेगी, जब उसे लगेगा कि अब कर्मचारी शांत बैठने वाले नहीं हैं। इसलिए समय आ गया है, जब हमें अपना हक खुद लेना है। 1 मई 2025 को दिल्ली चल पड़ना है।

हमारे पास अब ज्यादा समय नहीं है। हमें अपने परिवार, अपने बच्चों और अपने बुढ़ापे की चिंता खुद करनी होगी। ये सोचिए कि अगर पुरानी पेंशन नहीं मिली, तो बुढ़ापे में जब तनख्वाह नहीं मिलेगी और इलाज, घर के खर्च, बच्चों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी, तब क्या होगा? यही सोचिए और इसी सोच के साथ अपनी पूरी इच्छाशक्ति जुटाकर इस आंदोलन में भाग लीजिए।

1 मई को जंतर-मंतर पर एक ऐसी ज्वाला जलानी है, जो हर कर्मचारी के दिल में पेंशन की लड़ाई की आग को और तेज़ कर दे। यह लड़ाई केवल आज के लिए नहीं है, यह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है। इस लड़ाई को जीतना ही होगा।

हर कर्मचारी को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। कोई पीछे नहीं रहे। नेता भी आगे आएं। सोशल मीडिया का सही तरीके से इस्तेमाल करें। वीडियो बनाएं, मैसेज भेजें, पोस्टर बनाएं। हर गली, हर मोहल्ले में इस आंदोलन की बात होनी चाहिए। सबको बताइए कि पेंशन हमारा हक है और हम इसे लेकर रहेंगे।

याद रखिए — एकजुटता ही हमारी ताकत है। पेंशन हमारा अधिकार है। हमें मिलकर, एकजुट होकर, बिना डरे, बिना रुके, लगातार लड़ाई लड़नी है। जब तक जीत नहीं मिलती, तब तक लड़ते रहना है। 1 मई 2025 को चलो दिल्ली — जंतर-मंतर पर इतिहास रचने।


 पेंशन है बुढ़ापे का सहारा,
हर महीने मिलने वाला हमारा।
अपने हक के लिए अब लड़ना है,
जंतर-मंतर जाकर कहना है।
सब मिलकर आवाज़ उठाएँगे,
अपना अधिकार वापस लाए 
1 मई को सब चल पड़ेंगे,
पुरानी पेंशन फिर से लेंगे।

 

 



 


Saturday, April 19, 2025

स्कूल चलो मिशन 2025-26: हर बच्चा स्कूल जाएगा, सपनों को सच बनाएगा।




स्कूल चलो मिशन 2025 – एक शिक्षित उत्तर प्रदेश की दिशा में कदम



स्कूल चलो मिशन 2025 उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य यह है कि हर बच्चा स्कूल जाए और पढ़ाई से वंचित न रहे। यह योजना खासकर गरीब, पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है ताकि वे भी शिक्षा का अधिकार पा सकें। यह मिशन उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा चलाया जा रहा है और इसका मकसद सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ना है।

उत्तर प्रदेश की सरकार यह मानती है कि जब तक हर बच्चा स्कूल नहीं जाएगा, तब तक समाज और देश का विकास अधूरा रहेगा। इसीलिए सरकार ने यह लक्ष्य रखा है कि 2025 तक राज्य का कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे। इसके लिए गांव-गांव और मोहल्लों में जाकर अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है कि वे अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजें। कई जगहों पर शिक्षकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधानों की मदद से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है|



स्कूल चलो मिशन 2025 में कई योजनाओं को जोड़ा गया है जिससे बच्चों को स्कूल आने में किसी तरह की परेशानी न हो। बच्चों को मुफ्त किताबें, यूनिफॉर्म, जूते-मोज़े और बैग दिए जा रहे हैं। साथ ही मिड-डे मील योजना के तहत दोपहर का भोजन भी स्कूलों में दिया जा रहा है। इससे गरीब परिवारों के लिए अपने बच्चों को स्कूल भेजना आसान हो गया है क्योंकि अब उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खाना और जरूरी सामान भी स्कूल से मिल रहा है।

सरकार ने यह भी तय किया है कि जो बच्चे स्कूल छोड़ चुके हैं, उन्हें दोबारा शिक्षा से जोड़ा जाए। इसके लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। शिक्षक और अधिकारी उन बच्चों के घर जाकर उनसे और उनके माता-पिता से बात करते हैं और उन्हें स्कूल में दाखिला दिलाने का प्रयास करते हैं। खासकर बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि कई बार लड़कियों को घरेलू कामों में लगा दिया जाता है और उनकी पढ़ाई छूट जाती है। अब सरकार लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए भी विशेष योजनाएं बना रही है।

स्कूल चलो मिशन के तहत सभी स्कूलों में नामांकन अभियान चलाया गया है। इसमें बच्चों को स्कूल में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया जाता है और हर बच्चे की जानकारी दर्ज की जाती है। अगर कोई बच्चा स्कूल से गायब होता है या नहीं आता, तो उसके बारे में जांच की जाती है और उसे वापस स्कूल लाने की कोशिश की जाती है। शिक्षकों को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपने क्षेत्र के सभी बच्चों की जानकारी रखें और सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे।

इस योजना में तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। कई स्कूलों में अब डिजिटल हाजिरी की जा रही है जिससे यह पता चलता है कि कितने बच्चे नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। साथ ही शिक्षा विभाग एक ऐप के माध्यम से हर स्कूल की जानकारी इकट्ठा कर रहा है ताकि योजना को सफल बनाया जा सके। यह ऐप यह भी दिखाता है कि कहां पर बच्चों की संख्या कम है और कहां पर और काम करने की जरूरत है।

स्कूल चलो मिशन 2025 में पंचायतों, नगर निकायों, शिक्षकों, समाजसेवियों और स्थानीय लोगों की भी मदद ली जा रही है। स्कूल चलो रैलियां, प्रभात फेरियां और जनजागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि शिक्षा कितनी जरूरी है। छोटे-छोटे बच्चे हाथों में तख्तियां लेकर जब गांवों में निकलते हैं और नारे लगाते हैं "पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया", तो लोगों का ध्यान इस ओर जाता है और वे भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने लगते हैं।

सरकार यह भी चाहती है कि सरकारी स्कूलों की छवि सुधरे ताकि माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों के बजाय सरकारी स्कूलों में भेजने को तैयार हों। इसके लिए स्कूलों की इमारतें सुधारी जा रही हैं, शौचालय बनवाए जा रहे हैं, पीने का साफ पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और कंप्यूटर शिक्षा की सुविधा भी दी जा रही है। जब स्कूल अच्छा और साफ-सुथरा होगा, तो बच्चे भी वहां जाना पसंद करेंगे और पढ़ाई में रुचि लेंगे।

स्कूल चलो मिशन में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है। खेल-कूद, चित्रकला, गायन, नृत्य और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अपनी रुचियों को भी पहचान सकें। शिक्षकों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है कि वे बच्चों को प्यार और स्नेह से पढ़ाएं ताकि बच्चा स्कूल आने से डरे नहीं बल्कि खुशी से आए।

यह मिशन केवल सरकार का नहीं, बल्कि हम सबका है। जब तक हर माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजेंगे, तब तक यह मिशन सफल नहीं हो सकता। समाज के हर वर्ग को आगे आना होगा और शिक्षा के इस अभियान में योगदान देना होगा। स्कूल चलो मिशन 2025 हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा केवल किताबें पढ़ना नहीं है, बल्कि यह बच्चों का भविष्य है, और एक पढ़ा-लिखा बच्चा ही कल एक अच्छा नागरिक बन सकता है।

बेसिक शिक्षा विभाग का यह प्रयास सराहनीय है कि वह हर साल इस योजना को और मजबूत बना रहा है। पहले जहां स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या अधिक थी, वहीं अब धीरे-धीरे यह संख्या घट रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अब माता-पिता भी शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं। उन्हें यह समझ में आने लगा है कि अगर उनके बच्चे पढ़-लिख जाएंगे तो वे एक अच्छा जीवन जी पाएंगे।

अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जैसे कुछ इलाकों में स्कूल दूर होने के कारण बच्चे नहीं जा पाते, कुछ जगहों पर शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं, तो कहीं स्कूलों में सुविधा कम है। लेकिन सरकार इन सभी समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रही है। नए स्कूल खोले जा रहे हैं, शिक्षक बहाल किए जा रहे हैं और स्कूलों को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों को सही तरीके से पढ़ाया जाए और उनकी पढ़ाई में कोई कमी न हो।

स्कूल चलो मिशन 2025 का लक्ष्य बड़ा है लेकिन अगर सभी लोग मिलकर प्रयास करें तो यह जरूर सफल हो सकता है। यह मिशन न केवल बच्चों को शिक्षा देगा बल्कि हमारे देश को एक उज्जवल भविष्य भी देगा। जब हर बच्चा पढ़ेगा, तो वह अपने परिवार, गांव और देश के विकास में योगदान देगा। एक पढ़ा-लिखा समाज ही सशक्त समाज बन सकता है।

इसलिए हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने आस-पास के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करेंगे, उनकी मदद करेंगे और इस मिशन को सफल बनाने में अपना योगदान देंगे। स्कूल चलो मिशन 2025 केवल एक योजना नहीं है, यह एक आंदोलन है – शिक्षा का आंदोलन, भविष्य निर्माण का आंदोलन। आइए हम सब मिलकर इस मिशन को सफल बनाएं और उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाएं।


Friday, April 4, 2025

गर्मी के प्रकोप से नन्हे मुन्ने हुए बेहाल

 

गर्मी व लू को देखते हुए अब स्कूलों में प्रात: कालीन सत्र चलाएं......


लखनऊ। प्रमुख सचिव राजस्व पी. गुरुप्रसाद ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि गर्मी व लू को देखते हुए दैनिक मजदूरों के काम समय में अपराह्न 12 से 3 बजे के बीच छूट दी जाए और स्कूलों के समय में परिवर्तन कर प्रातः कालीन सत्र चलाए जाएं। बचाव के लिए दवाओं का भी इंतजाम रखने के भी निर्देश दिए। उन्होंने गुरुवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि तापमान में वृद्धि हो रही है इसलिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। भीषण गर्मी व लू को देखते हुए प्रमुख मार्गों और अन्य प्रमुख स्थानों पर पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। लोगों को बीमारी की स्थिति में चिकित्सा सुविधा तत्काल उपलब्ध कराया जाए।





👉संगठनों ने परिषदीय स्कूलों का समय बदलने की मांग की है। देखने के लिए 

    https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/blog-post_6.html


अनावश्यक बिजली की कटौती न की जाए।

उन्होंने कहा कि मौसम विभाग द्वारा जारी की जाने वाली पूर्व चेतावनियों के आधार पर अलर्ट रहकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने बुन्देलखण्ड विवि  के जिलों द्वारा मौसम संबंधी अलर्ट पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया। बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र के जिलों में पेयजल संकट के दृष्टिगत टैंकर्स के माध्यम से जलापूर्ति के निर्देश दिए। टैंकरों की निगरानी जीपीएस टैªकर डिवाइस से की जाए। खुले पार्कों में छाया की समुचित व्यवस्था की जाए।


राहत आयुक्त भानु चंद्र गोस्वामी ने कहा कि हीटवेव के दृष्टिगत सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ लगवाए जाएं। हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए छायादार स्थलों को विकसित किया जाए। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों में भीषण गर्मी व लू के कारण अचानक भर्ती होने वाले मरीजों के लिए उपयुक्त दवाओं का समुचित स्टाक रखें।

👉गर्मी में बाहेर निकलने से बचें जब अति आवश्यक हो तभी बाहेर निकलें 

👉गर्मी से बचने के लिए आवश्यक मात्र में पानी अवश्य पियें साथ में ग्लूकोस ,एलेक्ट्रोल् आदि का सेवन भी किया जाये 

👉लू से बचने के लिए बाहेर निकलने पर टोपी, छाता या गमछा साथ में अवश्य ले केर चलें

👉स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर ओआरएस पैकेट की समुचित व्यवस्था की जाए। शॉर्ट सर्किट व चिंगारी से आग लगने की घटनाओं की संभावनाओं के दृष्टिगत अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को अत्यधिक सचेत रहने का निर्देश दिया।




    ➰आधार नहीं होने से परिषदीय स्कूलों में दाखिले का संकट, बिना आधार के सरकारी                  योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा👇

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  लू लगना क्या है?

  जो अत्यधिक गर्मी के कारण लगती  है। यह तब होता है जब शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है और शरीर उसे नियंत्रित नहीं कर पाता। लू लगने से शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान हो सकता है, खासकर मस्तिष्क को |


लू लगने के प्रमुख  कारण....

1. धूप में अधिक समय बिताना - यदि आप अत्यधिक गर्मी में बिना किसी बाहरी  सुरक्षा के ज्यादा समय बिताते  हैं, तो शरीर में  गर्मी  बढ़ जाती है।

2. पानी की कमी (Dehydration)- पानी की कमी के कारण शरीर का पानी पसीने या अन्य प्रकार से  शरीर से  बाहर निकलने लगता है, जिससे शरीर कि गर्मी  को नियंत्रित करना बड़ा कठिन  हो जाता है।

3. अत्यधिक शारीरिक श्रम- जब बहुत अधिक मेहनत का काम,अधिक गर्मी में व्यायाम में किया जाता है, तो शरीर को का तापमान बढ़ जाता है।

4. मदिरापान  और ड्रग्स का सेवन- अल्कोहल या अन्य ड्रग्स के लेने से शरीर का तापमान नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हो जाती  है।

5. बूढ़े , बच्चे और बीमार - कमजोर इम्यून वाले  और बीमार लोग लू से अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

                     लू लगने  के लक्षण.....

1. लू लगने से व्यक्ति को उलझन होने लगती है और बेहोशी का अहसास हो सकता है।

2.  शरीर का तापमान 40°C (104°F) या उससे ऊपर बढ़ सकता है।

3.  लू लगने के कारण पसीना आना बंद हो सकता या कम हो जाता  है, जो आमतौर पर शरीर की गर्मी  को नियंत्रित  करता  है।

4.  शरीर  गर्म और सूखा  हो सकती है, क्योंकि पसीना रुक जाता है।

5.  तेज सांस लेने लगता है  या सांस में दिक्कत  महसूस होती है|

6.  हार्ट बीट  बढ़ सकती है, जिससे घबराहट महसूस हो सकती है।

7. हाँथ ,पेरों में ऐठन या कमजोरी लगती है|


                                लू से होने वाली समस्याएं.....

· लू से मस्तिष्क में गंभीर को बहुत नुकशान  हो सकता है, जो मानसिक भ्रम, दौरे (seizures) और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को उत्पन्न केर सकता है|

·  लू लगने से किडनी, लिवर, और हृदय आदि महेत्व्पूर्ण अंग प्रभावेत हो सकतें हैं|

·  पानी की कमी के कारण शरीर के अंग सही से काम करना बंद कर सकते हैं।


                       लू से बचाव और इलाज......

1. लू लगने के बाद, व्यक्ति को तुरंत ठन्डे स्थान पर ले जाएं और उसके शरीर को गीले कपड़े से पोंछते रहें  

2. मरीज को तुरंत पानी या नारियल पानी दें। पानी की कमी होने कि स्थिति में ओआरएस (ORS) या इलेक्ट्रोलाइट्स वाले पेय पदार्थ दें।

3.  मरीज को ठन्डे और हवादार स्थान पर रखें|

4.  अगर मरीज की  स्थिति जादा  गंभीर लगे, तो तुरंत डॉक्ट से संपर्क करें|


     5  हल्के, ढीले और लाइट कलर के सूती कपड़े पहनें। दोपहर में बाहर जाने से बचें|

6.  नियमित रूप से पानी अधिक पिएं, खासकर गर्मी में।

7.  बाहर जाने की बजाय छांव या ठंडी जगह पर रहें।

8.  ताजे फल, सब्जियां और ठंडी चीज़ों का सेवन ज्यादा से ज्याद करें। तली-भुनी और मसालेदार चीजों से बचें

 लू से बचने के उपाए......

लू से बचने के लिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है| गर्मी केदिनों में जब तापमान बहुत अधिक हो जाता है। तब लू लगने से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं क्यों कि इलाज़ से अच्छा और सस्ता बचाव होता है .....

1. पानी की भरपूर मात्रा लें .

·  गर्मी में शरीर से अधिक पसीना निकलता है, जिससे पानी की कमी होना स्वभाविक है। इसे रोकने के लिए एक निश्चित अन्तराल पर पानी पीते रहें।

·  केवल पानी ही नहीं, बल्कि नारियल पानी, लस्सी, फलों का रस और इलेक्ट्रोलाइट्स  भी साथ में लेते रहें । इससे शरीर में पानी कि कमी न हो|

·  अत्यधिक गर्मी या मेहनत के बाद पसीना बहुत ज्यादा बह जाता है,तो ओआरएस (ORS) का सेवन अवश्य करें, जिससे कि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी न हो।

2. बाहर जाने से बचें....

·  दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच जब सूरज सबसे तेज़ होता है, बाहर जाने से बचें। इस समय में सूर्य की किरणें बहुत तीव्र होती हैं और शरीर जल्दी गर्म हो सकता है।

·  अगर बाहर जाना ही हो, तो छाता, टोपी,गमछा या दुपट्टा ले केर ही निकलें|

· गर्मी से बचने के लिए ठंडी और हवादार जगह पर रहना सबसे बेहतर है।

3. हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें....

·  हल्के रंग के कपड़े गर्मी में अच्छे रहते हैं क्योंकि वे सूर्य की किरणों को अवशोषित नहीं करते।

·  सूती कपड़े में पसीने को सोखते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं। ढीले कपड़े पहनेंजिससे कि शरीर में पर्याप्त हवा लागे|

·  टाईट कपड़े गर्मी में न पहनें क्योंकि ये पसीने को शोख नहीं पाते और शरीर को गर्म करते हैं।

4. सर्दी-गर्म के अंतर को नियंत्रित करें

·  रोज़  ठंडे पानी से नहाना जरुर चाहिए , ताकि शरीरकी गर्मी निकलती रहे।

·  गर्म पानी से स्नान करने से शरीर का तापमान और बढ़ सकता है, इसलिए हमेशा ठंडे पानी से ही स्नान करें।

5. सूरज की सीधी किरणों से बचें....

·  धूप से बचने के लिए टोपी या गमछा का इस्तेमाल करें और धूप से बचने के लिए सनग्लासेस का उपयोग करें।

· अगर आपको बाहर निकलना है, तो पुरे कपडे पहेनकर ही निकलें,अपनी त्वचा पर सनस्क्रीन (SPF 30+ या उससे अधिक) लगाएं ताकि त्वचा जलने से बच सके और धूप से बचाव हो सके।

6. शारीरिक श्रम कम करें

· अत्यधिक मेहनत या जिम करना गर्मी में शरीर को और ज्यादा गर्म करता है । अगर व्यायाम करना जरूरी हो, तो सुबह या शाम के समय करें|

· अगर आप बाहर खुले में काम कर रहे हैं, तो बीच-बीच में ठंडा पानी पीते रहें और साथ में आराम जरुर  करें और खुद को ठंडा रखें।

7. स्वस्थ आहार लें

· बॉडी  को ठंडा रखने के लिए ताजे और मौसमी फल (जैसे तरबूज, खीरा, संतरा, नारंगी) और मौसमी  सब्जियाँ खाएं|

·  तला-भुना और ज्यादा मसालेदार भोजन करने से बचें और अधिक गर्मी आ सकती है। हल्का और ताजगी से भरपूर आहार लें।

· दही,रायता और लस्सी पाचन को ठीक रखते हैं और बॉडी को ठंडा रखते हैं।

8. मौसम की जानकारी रखें

· जब भी घर से बाहर निकलें, तो मौसम के बारे में पूरी जानकारी अवश्य लें| ताकि आप उचित समय पर बाहर निकल सकें।

· अत्यधिक गरम मौसम हो तो  इस दौरान घर से बाहर न निकलें|

9. बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें

· बच्चों और बुजुर्गों में अधिक सतर्कता की आवश्यकता होती है।क्योंकि इनके शरीर में तापमान को  नियंत्रित करने की क्षमता दुर्बल होती है, इसलिए ऐसी जगह पर रखें जहाँ ठंडी हो| और उन्हें पानी खूब पिलाएं।

· गर्मी में ज़मीन गर्म हो सकती है, इसलिए बाहर जाते समय हल्के और आरामदायक जूते या चप्पल अवश्य पहनें।

10. लू के लक्षणों का पता लगाएं और तुरंत प्रतिक्रिया करें

· अगर लू के लक्षण (जैसे अत्यधिक पसीना रुकना, त्वचा का सूखा और गर्म होना, सिर दर्द, उलझन या चक्कर आना) दिखें, तो तुरंत प्राथमिक उपचार करें।

· ठंडी जगह पर रखें, पानी पिलाएं, और चिकित्सकीय सहायता लें यदि लक्षण गंभीर हों






गर्मी से बचने के लिए क्या करें ?


1. पानी का सेवन बढ़ाएं:

· गर्मी में शरीर में पानी की कमी जल्दी हो सकती है, इसलिए दिनभर पानी पीते रहें। इसके अलावा, नारियल पानी, लस्सी, और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर पेय पदार्थ भी पी सकते हैं।

· ताजे फलों का रस (जैसे तरबूज, नारंगी, खीरा) पीना भी शरीर को ठंडा करता है।

2. हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें:

· हल्के रंग के और सूती कपड़े पहनें। ये कपड़े पसीने को अवशोषित करते हैं और शरीर को ठंडा रखने में मदद करते हैं।

· ढीले कपड़े पहनने से पसीना बाहर निकलने में मदद मिलती है और शरीर में ठंडक बनी रहती है।

3. शरीर को ठंडा रखें:

· अगर बाहर गर्मी बहुत अधिक है, तो शेड या किसी ठंडी जगह पर रहें।

· चेहरे और शरीर को गीले कपड़े से पोंछने से भी आराम मिलता है।

· अगर संभव हो तो एसी या कूलर का इस्तेमाल करें, और फैन का उपयोग भी करें।

· सिर, गर्दन और कलाई पर ठंडे पानी से सिंकाई करें।

4. अधिक गर्मी में बाहर न निकलें:

· दिन के सबसे गर्म समय (दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक) में बाहर जाने से बचें। अगर बाहर जाना जरूरी हो, तो सिर पर टोपी या दुपट्टा रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें।

· धूप में चलने से पहले सनस्क्रीन लगाना भी मददगार हो सकता है।

5. आहार में बदलाव करें:

· हल्का और ताजे फल-सब्जियों से भरपूर आहार लें। मिर्च-मसालेदार भोजन से बचें, क्योंकि ये शरीर को अधिक गर्म कर सकते हैं।

· दही, खीरा, और ताजे फलों को अपने आहार में शामिल करें, क्योंकि ये ठंडे और हाइड्रेटिंग होते हैं।

6. व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों में कमी करें:

· गर्मी में अधिक शारीरिक गतिविधि से बचें, क्योंकि इससे शरीर में गर्मी और अधिक बढ़ जाती है।

· हल्का व्यायाम या योग करना अच्छा है, लेकिन अधिक पसीना न बहाएं।

7. आइस पैक का उपयोग करें:

· आप शरीर के कुछ हिस्सों (जैसे गले, माथे, और हाथों) पर आइस पैक रख सकते हैं ताकि शरीर को ठंडक मिले।

8. गर्म पानी से स्नान न करें:

· गर्मी में गरम पानी से स्नान करने से शरीर और अधिक गर्म हो सकता है, इसलिए ठंडे पानी से स्नान करें।

9. घरेलू नुस्खे:

· तुलसी के पत्तों का रस: तुलसी के पत्तों को पीसकर उसका रस पिएं, यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है।

· नींबू पानी: नींबू का रस, पानी में मिला कर पीने से भी शरीर ठंडा रहता है।

· पुदीना: पुदीने की पत्तियों से बना पानी शरीर को ठंडा करता है। आप इसे पानी में डालकर पी सकते हैं या पुदीना का रस भी पी सकते हैं।

गर्मी से बचने के इन उपायों को अपनाकर आप शरीर को ठंडा और स्वस्थ रख सकते हैं।







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लू से बचने ले लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदम ....


 लू से बचने के लिए सरकारों ने  समय-समय पर विभिन्न कदम उठाये हैं ताकि लोगों को लू से सुरक्षित रखा जा सके और  लू से होने वाली बीमारियों को कम किया जा सके। यहां कुछ महत्वपूर्ण कदम हैं जो लू से बचेने में मदद करती हैं|

1. मौसम का पूर्वानुमान और चेतावनियाँ........

·  मौसम विभाग द्वारा नियमित रूप से लू  की चेतावनी  जारी की जाती हैं, जिससे लोग सतर्क रहें और गर्मी में बाहर न निकलें| सरकार इस जानकारी को मीडिया, मोबाइल ऐप, रेडियो, टीवी और अन्य माध्यम से जनता तक पहुंचाने का प्रयाश करती है|

·  विशेष मौसम केंद्र स्थापित किए गयेहैं जो गर्मी के दिनों में तापमान और नमी की निगरानी करते हैं और आवश्यक चेतावनियाँ समय-समय पर जारी करते हैं।

2. पानी और जल आपूर्ति की व्यवस्था......

·  गर्मी के दिनों में पानी की भारी मांगको पूरा करती है| इसके लिए विशेष उपाय करती हैं। जैसे, जलाशयों, कुओं और नलों से पानी की सप्लाई बढ़ाना।

·  प्रमुख सार्वजनिक स्थानों और बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों पर पानी के बूथ लगाए जाते हैं, जहां लोग मुफ्त में पानी पी सकते हैं।

·  सरकारें कभी-कभी विशेष कार्यक्रमों के तहत सार्वजनिक स्थलों पर नारियल पानी, लस्सी, ठंडे पेय पदार्थ आदि वितरित करवाती  हैं।

3. स्वास्थ्य जागरूकता और शिक्षा अभियान.......

· सरकारें और स्वास्थ्य विभाग मीडिया (टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया) के माध्यम से लू से बचाव के उपायों के बारे में जागरूकता करते हैं। इसमें पानी पीने, हल्के कपड़े पहनने, जैसे संदेश दिए जाते हैं।

·  स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाते हैं,जिससे लोग   लू से संबंधित समस्याओं के बारे में मदद ले सकें।

·  सरकार डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को गर्मी से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए विशेष ट्रेनिंग देती हैं और इलाज के लिए गाइडलाइन जारी करती हैं।

4. आकस्मिक चिकित्सा सेवाएँ.....

·   स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष आपातकालीन सेवाएं शुरू की जाती हैं ताकि लू के शिकार लोगों को तुरंत उपचार मिल सके। मेडिकल यूनिट्स भी गर्मी में दूर-दराज के इलाकों में भेजी जाती हैं।

·  गर्मी के मौसम में लोगों को राहत देने के लिए सरकारें अस्थायी ठंडे शेल्टर या "कूलिंग सेंटर" स्थापित करती हैं, जहां लोग गर्मी से बचने के लिए ठंडी जगह पर आराम कर सकते हैं।

5. शहरी योजनाएँ और हरे-भरे क्षेत्र.....

· शहरी इलाकों में हरियाली बढ़ाने के लिए सरकारें वृक्षारोपण अभियान चलाती हैं और पार्कों का विकास करती हैं, जिससे शहर में ठंडी छांव बनी रहती है और वातावरण में ठंडक बनी रहती है।

· सार्वजनिक स्थानों पर ठंडक देने के लिए पंखे और कूलर आदि लगाए जाते हैं| 

6. कृषि विभाग द्वारा कदम.....

·  कृषि विभाग की तरफ से किसानों को मौसम के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि वे अपनी फसलें गर्मी के मौसम के अनुसार सही समय पर काट सकें और नुकसान से बच सकें।

·  लू के दौरान फसलों को  क्षति से बचने के लिए सरकारें किसानों को राहत पैकेज और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, ताकि वे अपनी कृषि गतिविधियों को नुकसान से बचा सकें।

8. विशेष अभियान और राहत कार्य.....

· सरकार गर्मी  गर्मी के दिनों में गरीब और बेघर लोगों को राहत प्रदान करने के लिए ठंडे पानी, चश्मे, टोपी, और छाते जैसी राहत सामग्री वितरित करती हैं।

·  जब गर्मी के कारणकुछ विशेष क्षेत्रों में संकट अधिक  बढ़ जाता है, तो सरकार राहत कार्य भी शुरू करती है, जैसे चिकित्सा सहायता, ठंडे पेय पदार्थ आदि |

9. नियंत्रण और निगरानी......

·  सरकारें और संबंधित एजेंसियां लू के दौरान वाली मौतों और स्वास्थ्य समस्याओं की निगरानी करती हैं। प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके राहत और चिकित्सा सेवाओं का प्रबंधन किया जाता है।

·  लू से बचाव के लिए राज्य और केंद्र सरकार आपातकालीन योजनाओं की तैयारी करती हैं|

 

 



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