प्रभारी प्रधानाध्यापक को समान वेतन: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
मई 2025 में उत्तर प्रदेश के स्कूलों के लिए एक बड़ी खबर आई। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ऐसा फैसला दिया है जिससे हजारों प्रभारी प्रधानाध्यापक खुश हो गए हैं। अब उन्हें भी वही वेतन मिलेगा जो एक नियमित प्रधानाध्यापक को मिलता है, अगर उनके पास जरूरी योग्यता है।
राज्य के कई स्कूलों में कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो खुद प्रधानाध्यापक नहीं हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक की तरह काम कर रहे हैं। उन्हें "प्रभारी प्रधानाध्यापक" कहा जाता है। ये शिक्षक स्कूल चलाते हैं, बच्चों और शिक्षकों की जिम्मेदारी संभालते हैं, लेकिन उन्हें उतना वेतन नहीं मिलता जितना एक प्रधानाध्यापक को मिलता है।
इसलिए बहुत से प्रभारी प्रधानाध्यापक कोर्ट गए और कहा कि जब हम वही काम कर रहे हैं, तो हमें भी बराबर वेतन मिलना चाहिए।
पहले कोर्ट का क्या फैसला था?
पहले सिंगल बेंच (एक जज की अदालत) ने कहा था कि जिन प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पास प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता है, उन्हें बराबर वेतन मिलना चाहिए। लेकिन सरकार इस फैसले से खुश नहीं थी, इसलिए उन्होंने डबल बेंच (दो जजों वाली अदालत) में अपील की।
मई 2025 में डबल बेंच का फैसला क्या आया?
डबल बेंच ने सरकार की अपील खारिज कर दी। अदालत ने फिर से कहा कि:
अगर कोई शिक्षक प्रधानाध्यापक की तरह काम कर रहा है और उसके पास योग्यता है, तो उसे भी वही वेतन मिलना चाहिए।
यह नियम छोटे स्कूलों पर भी लागू होगा, जहाँ छात्र संख्या 150 से कम है।
जिन शिक्षकों ने समय पर याचिका दी है, उन्हें तीन साल पहले से बकाया वेतन मिलेगा।
ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापक जिनके पास योग्यता नहीं है, उनके लिए कुछ सीमाएँ रखी गई हैं, जिन पर आगे फैसला आएगा।
अब जिन प्रभारी प्रधानाध्यापकों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी और जिनके पास प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता है, उन्हें तीन साल पहले से बकाया वेतन मिलेगा। साथ ही, जब तक उन्हें प्रमोशन नहीं मिलता, वे समान वेतन पर ही काम करते रहेंगे।
कोर्ट ने सरकार की बात क्यों नहीं मानी?
सरकार ने कहा था कि छोटे स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापकों को यह लाभ नहीं मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने यह तर्क नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिक्षक प्रधानाध्यापक का काम कर रहा है और उसके पास योग्यता है, तो उसे पूरा हक मिलना चाहिए, चाहे स्कूल छोटा हो या बड़ा।
क्या सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को लाभ मिलेगा?
नहीं। यह लाभ सिर्फ उन्हीं शिक्षकों को मिलेगा:
जो कोर्ट में समय पर याचिका लेकर आए थे।
जिनके पास प्रधानाध्यापक की न्यूनतम योग्यता है।
बाकी शिक्षकों के लिए कोर्ट ने कुछ शर्तें रखी हैं, जिन पर पूरा आदेश आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
वकीलों और शिक्षकों की मेहनत रंग लाई
शिक्षकों की लीगल टीम ने शुरू से ही कहा था कि वे पूरी ताकत से यह लड़ाई लड़ेंगे। वे सिर्फ आधी जीत नहीं, पूरी जीत चाहते थे। अगर जरूरत पड़ी तो वे सुप्रीम कोर्ट भी जाने को तैयार थे। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया।
लीगल टीम ने कहा है कि जब तक कोर्ट का पूरा आधिकारिक आदेश नहीं आ जाता, तब तक सभी शिक्षक धैर्य रखें। आदेश आने के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी।
यह फैसला हजारों प्रभारी प्रधानाध्यापकों के लिए बहुत बड़ी राहत है। अब उन्हें भी वह सम्मान और वेतन मिलेगा जो वे लंबे समय से मांग रहे थे। यह सिर्फ वेतन की बात नहीं है, यह न्याय और बराबरी की बात है।
इससे सभी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और शिक्षा व्यवस्था और बेहतर होगी। यह फैसला बताता है कि अगर हम सच और हक के लिए डटे रहें, तो जीत ज़रूर मिलती है।