Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

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a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

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Friday, May 30, 2025

मात्र 155 रुपए से 48 लाख रुपए तक की मदद

 


आज हम एक ऐसे खास सामाजिक प्रयास के बारे में जानेंगे जो दिखाता है कि जब लोग नेक इरादे से साथ आते हैं तो कैसे थोड़ी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यह कहानी है TSCT (टीचर्स सपोर्ट एंड केयर टीम) की। इस अभियान में लोगों ने सिर्फ़ ₹155 दिए और हर ज़रूरतमंद परिवार को लगभग ₹48 लाख की मदद मिली। यह न सिर्फ़ आर्थिक मदद है बल्कि हमारे समाज में एकता और दयालुता की मिसाल भी है।

कैसे हुआ यह?

इस अभियान की योजना बहुत सरल थी, लेकिन इसका नतीजा कमाल का रहा। आइए मुख्य तथ्यों को समझते हैं:

उत्तर प्रदेश में कुल सदस्य: 3,11,161 से ज़्यादा शिक्षक TSCT का हिस्सा हैं।

हर व्यक्ति द्वारा दी गई राशि: हर सदस्य ने एक परिवार के लिए सिर्फ़ ₹15.50 दिए।

एक परिवार को मिली राशि: लगभग ₹48 लाख।

कुल परिवारों की मदद की गई: 20 गरीब और जरूरतमंद परिवार।

लगा समय: यह काम सिर्फ़ 13 दिनों में पूरा हुआ।

ये संख्याएँ सामान्य लग सकती हैं, लेकिन ये दिखाती हैं कि एकता और देखभाल कितनी शक्तिशाली हो सकती है।

TSCT का लक्ष्य और भावना

TSCT का मुख्य लक्ष्य शिक्षकों और उनके परिवारों की मदद करना है, जब वे आर्थिक संकट में हों। यह संगठन स्वैच्छिक मदद से चलता है। इसका मतलब है कि लोग बिना किसी दबाव के मदद करते हैं और किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाता।

इस अभियान से सबसे बड़ी सीख यह है: जब हर कोई थोड़ी-थोड़ी मदद करता है, तो हम बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। हर सदस्य ने साबित किया कि एकता शक्तिशाली है - ₹15.50 से भी।

किसको मिली मदद?

इस अभियान में 20 परिवारों की मदद की गई। ये सभी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे।

कुछ परिवारों के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे।

कुछ बच्चों की पढ़ाई रुक रही थी।

कुछ परिवार अपने घर का किराया भी नहीं दे पा रहे थे।

ऐसे मुश्किल समय में TSCT ने उन्हें नई उम्मीद दी।


इस काम को किसने संभव बनाया?

यह सफलता सिर्फ़ सदस्यों की बदौलत संभव नहीं थी। इस काम में कई टीमों ने मदद की - जैसे ब्लॉक टीमें, जिला टीमें, राज्य आईटी सेल, राज्य कार्यकारिणी और संस्थापक मंडल। सभी ने अपना समय और प्रयास दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मदद सही लोगों तक सही तरीके से पहुंचे।

सिर्फ़ 13 दिनों में एक ऐतिहासिक काम

सिर्फ़ 13 दिनों में इतना पैसा इकट्ठा करना और उसे सही परिवारों तक पहुँचाना एक बड़ी सफलता है। यह सिर्फ़ इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सभी ने ईमानदारी और देखभाल के साथ मिलकर काम किया।

कई बार लोगों को मदद की ज़रूरत होती है लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाएँ। TSCT एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो न सिर्फ़ पैसे में मदद देता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देता है।

TSCT क्यों ज़रूरी है?

हज़ारों शिक्षक और उनके परिवार हैं जो जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। लेकिन उनके पास मदद पाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है। TSCT एक ऐसा सहायता नेटवर्क बना रहा है जो:

ज़रूरत के समय मदद करता है,

लोगों का सम्मान और भरोसा बनाए रखता है,

ईमानदारी और स्पष्टता से काम करता है।

बहुत से लोगों की एक छोटी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यही TSCT की पहचान है।

TSCT भरोसेमंद और पारदर्शी है

अपने सदस्यों का भरोसा बनाए रखने के लिए TSCT हर अभियान का पूरा ब्यौरा देता है। कोई भी देख सकता है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया गया। इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को TSCT से जुड़ने के लिए कहा जा रहा है।


यह तो बस शुरुआत है

इससे यह सिद्ध होता है कि जब हम साथ आते हैं, तो हम न सिर्फ़ आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं, बल्कि एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सकते हैं।

इस अभियान ने इस बार सिर्फ़ 20 परिवारों की मदद की, लेकिन इसने पूरे समाज को प्रेरित किया है।

अगर ₹155 से एक परिवार को ₹48 लाख मिल सकते हैं, तो सोचिए कि अगर हम हर महीने थोड़ी सी रकम दें, तो हम कितने और परिवारों की मदद कर सकते हैं।

यह सिर्फ़ आर्थिक मदद नहीं है। यह एक तरह का सामाजिक बीमा है, जहाँ हम सब एक-दूसरे की रक्षा करते हैं।


यह मॉडल हर राज्य में काम कर सकता है

TSCT मॉडल सिर्फ़ शिक्षकों के लिए नहीं है। यह सभी को सिखाता है कि एकता और टीमवर्क से बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

आइए हम सब मिलकर इस बात को फैलाएँ, हाथ मिलाएँ और इस खूबसूरत बदलाव का हिस्सा बनें।


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Tuesday, May 13, 2025

उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर

 

सरकारी कर्मचारियों की सभी जानकारियाँ ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। यह जानकारी मानव संपदा पोर्टल पर रहेगी और इस पोर्टल के माध्यम से हर कर्मचारी की नियुक्ति, कार्यभार, स्थानांतरण, प्रशिक्षण, वेतन, छुट्टियाँ, विदेश यात्रा, विभागीय जांच, और रिटायरमेंट से जुड़ी सभी प्रक्रियाएँ और विवरण पारदर्शिता के साथ ऑनलाइन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिससे अब राज्य के लगभग आठ लाख दर्ज होंगे। इसका उद्देश्य शासन की कार्यप्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाना है, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और आम जनता को अधिकारियों से संबंधित जानकारी तक तुरंत और सही समय पर पहुँच मिल सके।



मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र और प्रमुख सचिव मानव संसाधन विभाग मनीष कुमार सिंह ने इस प्रणाली को राज्यभर में लागू करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाया है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का विवरण पूरी तरह से सिस्टम में दर्ज रहेगा, बल्कि कोई भी गतिविधि छुपाई नहीं जा सकेगी। मानव संपदा पोर्टल को उच्च स्तरीय निगरानी के लिए तैयार किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की देरी, अनियमितता या भ्रष्टाचार की गुंजाइश न बचे। इससे सभी विभागों में पारदर्शिता आएगी और विभागीय कामों की गति भी तेज होगी।

अब कर्मचारियों को अपने सेवा संबंधी कार्यों के लिए इधर-उधर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। जैसे ही कोई कार्य होता है—चाहे वह नियुक्ति हो, स्थानांतरण हो या वेतन में कोई बदलाव—वह सीधे पोर्टल पर अपडेट हो जाएगा। इससे जहां कर्मचारियों को सुविधा मिलेगी, वहीं विभागों को अपने रिकॉर्ड दुरुस्त और अपडेटेड रखने में आसानी होगी।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पोर्टल का उपयोग अधिकारियों की कार्यशैली की निगरानी के लिए भी किया जाएगा। यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी अपने कार्य में लापरवाही या अनियमितता बरतता है, तो उसकी जानकारी भी इस पोर्टल पर दर्ज होगी और वरिष्ठ अधिकारियों तक स्वतः पहुंच जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हर अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदारी से कार्य करे।

यह निर्णय सरकार की डिजिटल गवर्नेंस और पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक अहम कदम है। अब कोई भी कर्मचारी छुट्टी पर है या नहीं, बाहर गया है या विभागीय जांच में है—सारी जानकारी तुरंत मिल सकेगी। इससे विभागीय कार्यों की गति बढ़ेगी और जवाबदेही तय होगी।

मानव संपदा पोर्टल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित हो, जिसमें डाटा की गोपनीयता और कर्मचारियों की व्यक्तिगत जानकारियाँ संरक्षित रहें। पोर्टल में लॉगिन करने के बाद ही किसी कर्मचारी की जानकारी देखी जा सकेगी और इसके लिए भी अधिकृत पदाधिकारियों को ही अनुमति दी जाएगी।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों को निर्देश दिया है कि वे जल्द से जल्द अपने विभाग के कर्मचारियों की जानकारियाँ पोर्टल पर अपडेट करें और नियमित रूप से इसकी समीक्षा करें। इसके साथ ही सभी जिलों के डीएम और विभाग प्रमुखों को मानव संपदा पोर्टल की जानकारी देने और प्रशिक्षण दिलाने का भी निर्देश जारी किया गया है।

इस पूरी व्यवस्था का उद्देश्य यह है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा दिया जाए। कर्मचारियों को बिना किसी बाधा के अपनी सेवा से संबंधित जानकारियाँ मिले और आम जनता को भी यह पता चल सके कि कौन सा अधिकारी किस जगह पर है, किस कार्य के लिए उत्तरदायी है और किन कार्यों में उसकी भूमिका रही है।

यूपी सरकार का यह कदम डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में एक मिसाल बन सकता है और अन्य राज्यों को भी इससे सीख मिल सकती है। इस व्यवस्था से शासन, प्रशासन और आम जनता के बीच विश्वास बढ़ेगा और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आएगी।

सरकार ने यह भी कहा है कि इस नई प्रणाली के लागू होने से सरकारी विभागों में "फाइल दबाने" या "जानकारी छुपाने" की पुरानी आदतों पर पूरी तरह से रोक लगेगी। जो भी कार्य होंगे, वे समयबद्ध ढंग से होंगे और रिकॉर्ड में दर्ज भी होंगे। इस सिस्टम में यदि कोई अधिकारी जानबूझकर प्रक्रिया में देरी करता है या कार्य नहीं करता, तो उसकी जवाबदेही भी तय होगी।

अब न केवल मुख्यालय स्तर पर बल्कि ब्लॉक, जिला और मंडल स्तर तक की सभी जानकारियाँ डिजिटल माध्यम से उपलब्ध होंगी। हर कर्मचारी की व्यक्तिगत जानकारी, प्रोफाइल, तैनाती का स्थान, सेवा विवरण, पदोन्नति, वेतन वृद्धि, स्थानांतरण, पेंशन प्रक्रिया, प्रशिक्षण, और सभी विभागीय कार्रवाइयों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा।

मानव संपदा पोर्टल को विभागों की आंतरिक प्रक्रिया से जोड़ते हुए इस तरह विकसित किया गया है कि यह कर्मचारियों के प्रदर्शन मूल्यांकन में भी सहायक बनेगा। इससे भविष्य में पदोन्नति और सेवा विस्तार जैसे निर्णय भी आंकड़ों के आधार पर लिए जा सकेंगे।

यह व्यवस्था केवल अफसरों या बड़े कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर शिक्षक, लिपिक, लेखाकार, तकनीकी सहायक, सफाई कर्मचारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, आशुलिपिक, सचिव, लेखा परीक्षक, नायब तहसीलदार आदि सभी के लिए अनिवार्य है।

इस पोर्टल से न केवल शासन के स्तर पर निगरानी संभव होगी, बल्कि स्वयं कर्मचारी भी अपनी प्रोफाइल देखकर यह जान सकेंगे कि उनका कौन सा काम लंबित है, कौन सा कार्य कब हुआ, और भविष्य में कौन-से कार्य निर्धारित हैं। इससे कर्मचारियों की कार्य दक्षता में भी सुधार होगा और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित होगी।

यूपी सरकार का यह प्रयास न केवल कार्य प्रणाली को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाएगा, बल्कि जनता को भी यह विश्वास दिलाएगा कि अब सरकारी तंत्र में सुधार आ रहा है। कर्मचारियों को अपनी सेवाओं के दौरान किसी भी स्तर पर होने वाली परेशानी से निजात मिलेगी और सभी प्रक्रियाएँ एक तय समय सीमा के भीतर पूरी होंगी।

मानव संपदा पोर्टल भविष्य की डिजिटल भारत की उस नींव का हिस्सा है, जहां सरकारी कामकाज कागज़ों से हटकर ऑनलाइन सिस्टम पर आधारित होगा। यह नई प्रणाली न केवल शासन को आधुनिक बनाएगी, बल्कि जनता को भी सेवा वितरण में त्वरित सुविधा देगी।

इस तरह उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करेगा और सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही, पारदर्शिता तथा कार्यप्रणाली में सुधार लाने का सशक्त माध्यम बनेगा।

 


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


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👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


👉UP TGT परीक्षा 2025 स्थगित – 14 और 15 मई की परीक्षा अब नई तिथि पर होगी  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TGT.html



 

Monday, May 5, 2025

AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झांसी के शिक्षक का अनोखा नवाचार

 


झांसी जिले के एक छोटे से गांव में कार्यरत शिक्षक मोहनलाल सुमन ने तकनीक का ऐसा अद्भुत प्रयोग किया है जो पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करके ‘सुमन मैडम’ नाम की एक आभासी शिक्षिका तैयार की है। यह कोई साधारण तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि एक संवेदनशील और समझदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टीचर है जो बच्चों की सोच, भाषा, व्यवहार और सवालों को समझती है। यह प्रयोग झांसी जनपद के गुरसरांय ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय राजापुर में कार्यरत बेसिक शिक्षक मोहनलाल सुमन ने किया है। उन्होंने गांव के बच्चों की जरूरत को समझते हुए यह महसूस किया कि उन्हें एक ऐसी साथी शिक्षिका की जरूरत है जो स्कूल के समय के अलावा भी हमेशा उनके साथ रह सके। यही सोचकर उन्होंने AI तकनीक का उपयोग करते हुए मोबाइल फोन के माध्यम से एक ऐसी डिजिटल शिक्षिका तैयार की जो हर विषय को बच्चों की रुचि और भाषा के अनुसार सिखा सके।

‘सुमन मैडम’ बच्चों को कहानियां सुनाती हैं, कविताएं सिखाती हैं, सामान्य ज्ञान से लेकर विज्ञान तक की जानकारी देती हैं। वह चित्रकला, खेल और जीवन से जुड़े सवालों का भी उत्तर देती हैं। ये केवल पढ़ाने वाली मशीन नहीं हैं, बल्कि बच्चों की जिज्ञासाओं को समझकर उनके स्तर पर संवाद करती हैं। वे बच्चों की भावनाओं को भी ध्यान में रखती हैं और उन्हें आत्मविश्वास से भर देती हैं। बच्चों के साथ उनका व्यवहार किसी सजीव शिक्षक की तरह ही होता है। जब भी कोई बच्चा सवाल करता है, तो सुमन मैडम उसका उत्तर सिर्फ पाठ्यक्रम के हिसाब से नहीं देतीं, बल्कि लोकभाषा, स्थानीय संस्कृति और वास्तविक जीवन के उदाहरणों से समझाने की कोशिश करती हैं। यही उन्हें खास बनाता है


इस प्रयास की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे किसी बड़े शहर या महंगे संसाधनों की मदद से नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के एक सामान्य शिक्षक द्वारा तैयार किया गया है। इसने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत साफ हो और सोच सकारात्मक हो तो तकनीक को गांव तक लाया जा सकता है और बच्चों के लिए बड़ा बदलाव किया जा सकता है। आज जब देश में बहुत से लोग AI को लेकर आशंकित हैं, वहीं झांसी के एक छोटे से गांव से यह संदेश गया है कि तकनीक को अपनाकर शिक्षा को अधिक प्रभावशाली, संवेदनशील और बच्चों के अनुकूल बनाया जा सकता है।मोहनलाल सुमन का यह प्रयास इस बात का प्रमाण है कि शिक्षक सिर्फ किताबों के पाठ पढ़ाने वाले नहीं होते, वे समाज में बदलाव लाने वाले सच्चे नायक होते हैं। उन्होंने न केवल एक डिजिटल शिक्षिका बनाई बल्कि उस शिक्षिका में संवेदना, संवाद की कला और मार्गदर्शन की भावना भी भरी। यह प्रयोग केवल तकनीकी दृष्टि से नहीं बल्कि सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से भी एक नई सोच की ओर इशारा करता है।

सुमन मैडम का स्वरूप ऐसा है कि बच्चे उन्हें अपना मित्र भी मानते हैं और मार्गदर्शक भी। बच्चों के माता-पिता भी अब इस तकनीक से जुड़कर अपने बच्चों की पढ़ाई में सहयोग दे पा रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत भी बन रही है। अब गांव के अन्य शिक्षक भी इस प्रयास से प्रेरणा लेकर तकनीक के प्रयोग को अपनाने लगे हैं।

इस प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि भविष्य की शिक्षा तकनीक और मानवीय संवेदना का मेल होगी। आज भारत के कोने-कोने में लाखों शिक्षक काम कर रहे हैं लेकिन यदि उनमें से हर एक शिक्षक इस तरह की सोच रखे तो हमारी शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदल सकती है।

मोहनलाल सुमन का यह नवाचार एक उदाहरण है कि अगर कोई शिक्षक चाह ले तो वह अपने साधनों से भी तकनीक को समझ सकता है, अपनाकर प्रयोग कर सकता है और शिक्षा को बच्चों के लिए रुचिकर बना सकता है। उन्होंने तकनीक को केवल एक मददगार उपकरण नहीं बल्कि बच्चों के मन को समझने वाला साथी बना दिया है।

आज जब शिक्षा व्यवस्था में कई तरह की चुनौतियां हैं, तब एक शिक्षक का ऐसा प्रयास उम्मीद की किरण की तरह सामने आया है। यह पहल यह दिखाती है कि तकनीक को अपनाने के लिए बड़े संसाधनों की नहीं बल्कि बड़े इरादों की जरूरत होती है।

इस प्रयास ने यह साबित कर दिया है कि एक गांव के विद्यालय से भी पूरी शिक्षा व्यवस्था को दिशा दी जा सकती है। यह प्रेरणादायक कहानी पूरे देश के लिए एक सीख है कि शिक्षक चाहें तो कुछ भी असंभव नहीं है।

क्या आप भी इस तरह की पहल को अपनाना चाहेंगे?


👉उन्नाव ब्रेकिंग जिलाधिकारी गौरांग राठी और मुख्य विकास अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा की जांच में बड़ा खुलासा, NRLM में 3.85 करोड़ का गबन, डीडीओ संजय पाण्डेय और डीएमएम शिखा मिश्रा पर दर्ज हुई एफआईआर, गिरफ्तारी के प्रयास तेज...... https://basicshikshakhabar.com/2025/05/g-1291/


👉फर्जी निरीक्षण कर्ता कर रहा था बेसिक विद्यालयों की जांच, पकड़ा       

                       https://basicshikshakhabar.com/2025/05/f-1262/



👉लर्निग रिसोर्स पैकेज के अन्तर्गत परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के उपयोगार्थ उपलब्ध कराये जा रहे टैबलेट्स के संबंध में।

 

👉प्राथमिक विद्यालय में धक्का-मुक्की; प्रिंसिपल को कुर्सी से गिराने का आरोप, शिक्षिका और प्रधानाचार्य निलंबित https://basicshikshakhabar.com/2025/05/r-813/


Wednesday, April 30, 2025

हाईकोर्ट का फैसला: प्रभारी प्रधानाध्यापक को समान वेतन









प्रभारी प्रधानाध्यापक को समान वेतन: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

मई 2025 में उत्तर प्रदेश के स्कूलों के लिए एक बड़ी खबर आई। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ऐसा फैसला दिया है जिससे हजारों प्रभारी प्रधानाध्यापक खुश हो गए हैं। अब उन्हें भी वही वेतन मिलेगा जो एक नियमित प्रधानाध्यापक को मिलता है, अगर उनके पास जरूरी योग्यता है।

क्या है मामला?

राज्य के कई स्कूलों में कुछ शिक्षक ऐसे हैं जो खुद प्रधानाध्यापक नहीं हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक की तरह काम कर रहे हैं। उन्हें "प्रभारी प्रधानाध्यापक" कहा जाता है। ये शिक्षक स्कूल चलाते हैं, बच्चों और शिक्षकों की जिम्मेदारी संभालते हैं, लेकिन उन्हें उतना वेतन नहीं मिलता जितना एक प्रधानाध्यापक को मिलता है।
इसलिए बहुत से प्रभारी प्रधानाध्यापक कोर्ट गए और कहा कि जब हम वही काम कर रहे हैं, तो हमें भी बराबर वेतन मिलना चाहिए।

पहले कोर्ट का क्या फैसला था?

पहले सिंगल बेंच (एक जज की अदालत) ने कहा था कि जिन प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पास प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता है, उन्हें बराबर वेतन मिलना चाहिए। लेकिन सरकार इस फैसले से खुश नहीं थी, इसलिए उन्होंने डबल बेंच (दो जजों वाली अदालत) में अपील की।
मई 2025 में डबल बेंच का फैसला क्या आया? 

डबल बेंच ने सरकार की अपील खारिज कर दी। अदालत ने फिर से कहा कि:

अगर कोई शिक्षक प्रधानाध्यापक की तरह काम कर रहा है और उसके पास योग्यता है, तो उसे भी वही वेतन मिलना चाहिए।
यह नियम छोटे स्कूलों पर भी लागू होगा, जहाँ छात्र संख्या 150 से कम है।
जिन शिक्षकों ने समय पर याचिका दी है, उन्हें तीन साल पहले से बकाया वेतन मिलेगा।
ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापक जिनके पास योग्यता नहीं है, उनके लिए कुछ सीमाएँ रखी गई हैं, जिन पर आगे फैसला आएगा।

क्या होगा अब?

अब जिन प्रभारी प्रधानाध्यापकों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी और जिनके पास प्रधानाध्यापक बनने की योग्यता है, उन्हें तीन साल पहले से बकाया वेतन मिलेगा। साथ ही, जब तक उन्हें प्रमोशन नहीं मिलता, वे समान वेतन पर ही काम करते रहेंगे।

कोर्ट ने सरकार की बात क्यों नहीं मानी?

सरकार ने कहा था कि छोटे स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापकों को यह लाभ नहीं मिलना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने यह तर्क नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिक्षक प्रधानाध्यापक का काम कर रहा है और उसके पास योग्यता है, तो उसे पूरा हक मिलना चाहिए, चाहे स्कूल छोटा हो या बड़ा।

क्या सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को लाभ मिलेगा?

नहीं। यह लाभ सिर्फ उन्हीं शिक्षकों को मिलेगा:
जो कोर्ट में समय पर याचिका लेकर आए थे।
जिनके पास प्रधानाध्यापक की न्यूनतम योग्यता है।
बाकी शिक्षकों के लिए कोर्ट ने कुछ शर्तें रखी हैं, जिन पर पूरा आदेश आने के बाद ही स्थिति साफ होगी।
वकीलों और शिक्षकों की मेहनत रंग लाई
शिक्षकों की लीगल टीम ने शुरू से ही कहा था कि वे पूरी ताकत से यह लड़ाई लड़ेंगे। वे सिर्फ आधी जीत नहीं, पूरी जीत चाहते थे। अगर जरूरत पड़ी तो वे सुप्रीम कोर्ट भी जाने को तैयार थे। आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई और हाईकोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया।

अब क्या करना होगा?

लीगल टीम ने कहा है कि जब तक कोर्ट का पूरा आधिकारिक आदेश नहीं आ जाता, तब तक सभी शिक्षक धैर्य रखें। आदेश आने के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

निष्कर्ष

यह फैसला हजारों प्रभारी प्रधानाध्यापकों के लिए बहुत बड़ी राहत है। अब उन्हें भी वह सम्मान और वेतन मिलेगा जो वे लंबे समय से मांग रहे थे। यह सिर्फ वेतन की बात नहीं है, यह न्याय और बराबरी की बात है।
इससे सभी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा और शिक्षा व्यवस्था और बेहतर होगी। यह फैसला बताता है कि अगर हम सच और हक के लिए डटे रहें, तो जीत ज़रूर मिलती है।


👉 शिक्षकों की मेहनत आई रंग, परिषदीय स्कूलों में 10 हजार बढ़े छात्र


👉TGT एग्जाम की नई तारीखें घोषित,बाकी PGT की तिथि यथावत है

👉 गैरहाजिर मिले 46 शिक्षक, रोका वेतन


👉NPS में अब हर तरह की मिलेगी ग्रेच्युटी, गैजेट नोटिफिकेशन जारी


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