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Friday, May 30, 2025

मात्र 155 रुपए से 48 लाख रुपए तक की मदद

 


आज हम एक ऐसे खास सामाजिक प्रयास के बारे में जानेंगे जो दिखाता है कि जब लोग नेक इरादे से साथ आते हैं तो कैसे थोड़ी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यह कहानी है TSCT (टीचर्स सपोर्ट एंड केयर टीम) की। इस अभियान में लोगों ने सिर्फ़ ₹155 दिए और हर ज़रूरतमंद परिवार को लगभग ₹48 लाख की मदद मिली। यह न सिर्फ़ आर्थिक मदद है बल्कि हमारे समाज में एकता और दयालुता की मिसाल भी है।

कैसे हुआ यह?

इस अभियान की योजना बहुत सरल थी, लेकिन इसका नतीजा कमाल का रहा। आइए मुख्य तथ्यों को समझते हैं:

उत्तर प्रदेश में कुल सदस्य: 3,11,161 से ज़्यादा शिक्षक TSCT का हिस्सा हैं।

हर व्यक्ति द्वारा दी गई राशि: हर सदस्य ने एक परिवार के लिए सिर्फ़ ₹15.50 दिए।

एक परिवार को मिली राशि: लगभग ₹48 लाख।

कुल परिवारों की मदद की गई: 20 गरीब और जरूरतमंद परिवार।

लगा समय: यह काम सिर्फ़ 13 दिनों में पूरा हुआ।

ये संख्याएँ सामान्य लग सकती हैं, लेकिन ये दिखाती हैं कि एकता और देखभाल कितनी शक्तिशाली हो सकती है।

TSCT का लक्ष्य और भावना

TSCT का मुख्य लक्ष्य शिक्षकों और उनके परिवारों की मदद करना है, जब वे आर्थिक संकट में हों। यह संगठन स्वैच्छिक मदद से चलता है। इसका मतलब है कि लोग बिना किसी दबाव के मदद करते हैं और किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाता।

इस अभियान से सबसे बड़ी सीख यह है: जब हर कोई थोड़ी-थोड़ी मदद करता है, तो हम बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। हर सदस्य ने साबित किया कि एकता शक्तिशाली है - ₹15.50 से भी।

किसको मिली मदद?

इस अभियान में 20 परिवारों की मदद की गई। ये सभी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे।

कुछ परिवारों के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे।

कुछ बच्चों की पढ़ाई रुक रही थी।

कुछ परिवार अपने घर का किराया भी नहीं दे पा रहे थे।

ऐसे मुश्किल समय में TSCT ने उन्हें नई उम्मीद दी।


इस काम को किसने संभव बनाया?

यह सफलता सिर्फ़ सदस्यों की बदौलत संभव नहीं थी। इस काम में कई टीमों ने मदद की - जैसे ब्लॉक टीमें, जिला टीमें, राज्य आईटी सेल, राज्य कार्यकारिणी और संस्थापक मंडल। सभी ने अपना समय और प्रयास दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मदद सही लोगों तक सही तरीके से पहुंचे।

सिर्फ़ 13 दिनों में एक ऐतिहासिक काम

सिर्फ़ 13 दिनों में इतना पैसा इकट्ठा करना और उसे सही परिवारों तक पहुँचाना एक बड़ी सफलता है। यह सिर्फ़ इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सभी ने ईमानदारी और देखभाल के साथ मिलकर काम किया।

कई बार लोगों को मदद की ज़रूरत होती है लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाएँ। TSCT एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो न सिर्फ़ पैसे में मदद देता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देता है।

TSCT क्यों ज़रूरी है?

हज़ारों शिक्षक और उनके परिवार हैं जो जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। लेकिन उनके पास मदद पाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है। TSCT एक ऐसा सहायता नेटवर्क बना रहा है जो:

ज़रूरत के समय मदद करता है,

लोगों का सम्मान और भरोसा बनाए रखता है,

ईमानदारी और स्पष्टता से काम करता है।

बहुत से लोगों की एक छोटी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यही TSCT की पहचान है।

TSCT भरोसेमंद और पारदर्शी है

अपने सदस्यों का भरोसा बनाए रखने के लिए TSCT हर अभियान का पूरा ब्यौरा देता है। कोई भी देख सकता है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया गया। इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को TSCT से जुड़ने के लिए कहा जा रहा है।


यह तो बस शुरुआत है

इससे यह सिद्ध होता है कि जब हम साथ आते हैं, तो हम न सिर्फ़ आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं, बल्कि एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सकते हैं।

इस अभियान ने इस बार सिर्फ़ 20 परिवारों की मदद की, लेकिन इसने पूरे समाज को प्रेरित किया है।

अगर ₹155 से एक परिवार को ₹48 लाख मिल सकते हैं, तो सोचिए कि अगर हम हर महीने थोड़ी सी रकम दें, तो हम कितने और परिवारों की मदद कर सकते हैं।

यह सिर्फ़ आर्थिक मदद नहीं है। यह एक तरह का सामाजिक बीमा है, जहाँ हम सब एक-दूसरे की रक्षा करते हैं।


यह मॉडल हर राज्य में काम कर सकता है

TSCT मॉडल सिर्फ़ शिक्षकों के लिए नहीं है। यह सभी को सिखाता है कि एकता और टीमवर्क से बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

आइए हम सब मिलकर इस बात को फैलाएँ, हाथ मिलाएँ और इस खूबसूरत बदलाव का हिस्सा बनें।


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Thursday, May 15, 2025

TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा

 


TSCT द्वारा एक ज़रूरतमंद परिवार को पक्की छत – शिक्षकों की मदद से बदल रही है एक ज़िंदगी

TSCT (Teachers Social Contribution Team) ने अपने चार साल के सफर में अनेक जरूरतमंद परिवारों की मदद की है, लेकिन इस बार की पहल विशेष है। इस बार सहयोग एक ऐसे परिवार के लिए किया जा रहा है जो आज भी छप्पर के नीचे जिंदगी बिता रहा है। यह परिवार आजमगढ़ जिले के पवई ब्लॉक के मझरिया गाँव में रहने वाले स्वर्गीय जोगेंद्र राजभर का है, जो शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत थे। उनके निधन के बाद परिवार बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रहा है।

इस कठिन समय में TSCT ने आगे बढ़कर यह निर्णय लिया है कि इस परिवार को कम से कम एक पक्की छत प्रदान की जाए, जिससे वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा, TSCT की ओर से इस परिवार की रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए कुछ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी, ताकि उनके जीवन यापन में कुछ सहूलियत आ सके।

TSCT द्वारा की जा रही इस मदद में हर शिक्षक साथी की भागीदारी आवश्यक है। आज जब शिक्षामित्र साथी TSCT के हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं, तो यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके किसी जरूरतमंद परिवार के लिए भी हम सब मिलकर कुछ करें। यह सहयोग सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सेवा भाव का प्रतीक है।

आप कल्पना कीजिए कि सिर्फ 300-310 रुपए का छोटा सा सहयोग किसी के जीवन में कितनी बड़ी राहत बन सकता है। यह सिर्फ दान नहीं, बल्कि एक पुण्य कार्य है। आप जब किसी को छत देते हैं, तो सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि सुरक्षा, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी देते हैं। एक शिक्षक होने के नाते जब आप किसी दूसरे शिक्षक के परिवार को संबल देते हैं, तो यह शिक्षा जगत की एकजुटता और मानवीयता का जीता-जागता उदाहरण बन जाता है।

TSCT का उद्देश्य केवल भवन बनवाना नहीं है, बल्कि ऐसे परिवारों की जिंदगी में स्थायित्व और सम्मान वापस लाना है। एक शिक्षामित्र जो वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देता रहा, उसके परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का प्रयास हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। यह प्रयास दिखाता है कि शिक्षक समाज केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए सच्ची सेवा भावना रखता है।

TSCT की इस पहल में सभी शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि वे आगे आएं और इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें। यह एक ऐसा अवसर है जिसमें हम अपने सहयोग से किसी की जिंदगी संवार सकते हैं। 300 रुपए का यह योगदान न केवल एक पक्की छत बनेगा, बल्कि यह उन बच्चों के भविष्य की नींव भी मजबूत करेगा जो उस घर में रहेंगे।

इस सहयोग के माध्यम से TSCT यह भी दिखा रहा है कि शिक्षक समाज के भीतर भी जब कोई संकट में होता है, तो हम सब एक परिवार की तरह एकजुट होते हैं। शिक्षकों की यह एकता और सेवा भावना ही TSCT की सबसे बड़ी ताकत है। TSCT केवल एक संगठन नहीं, बल्कि वह भावना है जो शिक्षक के भीतर छिपे सेवा भाव को समाज के सामने लाती है।

इस पूरी व्यवस्था को पारदर्शिता के साथ संचालित किया जा रहा है। जितना भी सहयोग एकत्र किया जाएगा, उसका पूरा विवरण TSCT द्वारा सार्वजनिक किया जाएगा। घर निर्माण की प्रक्रिया, खर्च, और हर गतिविधि की जानकारी सोशल मीडिया और ग्रुपों के माध्यम से साझा की जाएगी, ताकि सभी को यह विश्वास रहे कि उनका योगदान सही दिशा में जा रहा है।

इस नेक कार्य में भाग लेने से न केवल आत्मसंतोष मिलता है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा और भाईचारे का वातावरण भी बनता है। जो लोग आर्थिक रूप से बहुत बड़ा योगदान नहीं दे सकते, वे भी 300 रुपए जैसे छोटे सहयोग से इस अभियान में शामिल होकर बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं।

यह पहल केवल आजमगढ़ के एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश और देश के शिक्षक समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। जब एक शिक्षक समुदाय किसी साथी के परिवार के लिए इस तरह खड़ा होता है, तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मबल दोनों ही बढ़ते हैं।

TSCT की यह कोशिश बताती है कि हम केवल पढ़ाई नहीं करवाते, हम समाज की रीढ़ हैं। हम जरूरतमंदों का सहारा हैं और हम वे लोग हैं जो अपने कर्म और संवेदना से बदलाव ला सकते हैं। जब हम सब मिलकर किसी को छत देंगे, तो वह केवल उसका घर नहीं होगा, बल्कि पूरे शिक्षक समाज का गर्व और आत्मसम्मान भी उसमें समाहित होगा।

आइए, हम सब मिलकर इस नेक कार्य को सफल बनाएं। TSCT की इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बनकर हम न केवल एक परिवार को राहत देंगे, बल्कि एक नई परंपरा की नींव भी रखेंगे, जिसमें शिक्षक केवल ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि समाज सेवा का भी प्रतीक होगा।

आपका छोटा सा योगदान, किसी के जीवन का सबसे बड़ा सहारा बन सकता है।

TSCT – जहाँ शिक्षक समाज बनाता है एक बेहतर कल।

अब आपकी बारी है – चलिए मिलकर किसी को पक्की छत दें।


👉पीटीएम बैठक अप्रैल 2025 - अभिभावकों और शिक्षकों के सहयोग से छात्र उन्नति पर जोर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/PTM.html

 

👉TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी…. https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/tsct.html

 

👉प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का सशक्त संदेश  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/pm.html


👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


Monday, April 28, 2025

टीचर्स सेल्फ केयर टीम का शानदार सहयोग अभियान: 20 दिवंगत परिवारों को 9.61 करोड़ से अधिक की मदद

 

                                              


शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद! सहयोग अलर्ट 62 के तहत एक बार फिर से मदद का रिकॉर्ड बन गया है। सम्मानित साथियों, आप सभी ने मिलकर जो कार्य किया है, वह वाकई में प्रशंसनीय है। आपने अपने 20 दिवंगत साथियों के परिवारों को 9 करोड़ 61 लाख रुपये से अधिक की सहायता राशि पहुँचाई है। प्रत्येक परिवार को औसतन 48 लाख रुपये से अधिक की मदद मिली है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है। इस अद्भुत सहायता के लिए आप सभी दानवीर साथियों का दिल से हार्दिक धन्यवाद किया जाता है।

यह सब आपके अथक प्रयासों, समर्पण और सेवा भावना के कारण ही संभव हो पाया है। ब्लॉक टीमों ने स्थानीय स्तर पर सहयोग जुटाया, जिला टीमों ने समन्वय किया, रिसेट प्रभारी ने सभी जानकारी को एकत्रित कर सही दिशा में भेजा, प्रदेश आईटी सेल ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया, प्रदेश टीम ने पूरे अभियान को नेतृत्व दिया और सह संस्थापकों ने मार्गदर्शन किया। सभी की मेहनत और ईमानदारी से ही यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई।

इस पूरे अभियान के दौरान सभी सदस्यों ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इरादा नेक हो और टीम भावना मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता। दिवंगत साथियों के परिवारों को समय पर आर्थिक सहायता पहुँचाकर आपने न सिर्फ उनकी आर्थिक परेशानी को कम किया बल्कि उन्हें यह भी अहसास कराया कि शिक्षक समाज उनके दुख में साथ खड़ा है।

सहयोग अलर्ट 62 का यह प्रयास एक प्रेरणा बन गया है। इससे पहले भी कई सहयोग कार्यक्रम चलाए गए थे, लेकिन इस बार जो समर्पण और उत्साह दिखा, वह अद्वितीय था। सभी दानदाता साथियों ने दिल खोलकर सहयोग किया, चाहे वह छोटा योगदान रहा हो या बड़ा। सबका उद्देश्य एक ही था — दिवंगत साथियों के परिवारों की मदद करना और उनका भविष्य सुरक्षित बनाना।

दान देने वालों में वरिष्ठ शिक्षक भी थे और नए शिक्षक भी। कुछ शिक्षकों ने अपनी एक महीने की तनख्वाह तक दान कर दी। कुछ साथियों ने अपने परिवार के सदस्यों से भी इस नेक कार्य के लिए सहयोग जुटाया। छात्र-छात्राओं ने भी अपने छोटे-छोटे दान से इस अभियान में भाग लिया। इस प्रकार यह अभियान जन-आंदोलन जैसा बन गया।

ब्लॉक टीमों ने गांव-गांव जाकर शिक्षकों से संपर्क किया, उन्हें इस अभियान की जानकारी दी और सहयोग के लिए प्रेरित किया। जिला टीमों ने पूरे जिले में विभिन्न स्तर पर बैठकों का आयोजन किया और दान एकत्र किया। रिसेट प्रभारियों ने तकनीकी रूप से हर जानकारी को सही समय पर सही स्थान तक पहुँचाया। प्रदेश आईटी सेल ने फंड एकत्र करने, रिकॉर्ड रखने और वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाया। प्रदेश टीम ने लगातार निगरानी रखी और किसी भी समस्या को तुरंत सुलझाया। सह संस्थापकों ने दिशा और समर्थन देकर पूरे अभियान को गति दी।

इन सभी प्रयासों का नतीजा यह रहा कि बहुत कम समय में इतनी बड़ी सहायता राशि एकत्र की जा सकी। दिवंगत परिवारों को जब यह मदद पहुँची तो उनकी आँखों में आभार के आंसू थे। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षक समाज उन्हें भूला नहीं है। यह सहायता केवल धनराशि नहीं थी, बल्कि प्यार, सम्मान और साथ का प्रतीक थी।

टीचर्स सेल्फ केयर टीम का यह प्रयास यह भी दिखाता है कि शिक्षकों में केवल पढ़ाई का ही नहीं, बल्कि सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी भाव होता है। सहयोग अलर्ट 62 से यह सिद्ध हुआ कि शिक्षक समुदाय जब ठान ले तो असंभव को भी संभव कर सकता है।

यह सहायता अभियान न केवल एक आर्थिक सहयोग था बल्कि एक सामाजिक संदेश भी था कि दुःख की घड़ी में हम अपने साथियों को अकेला नहीं छोड़ते। जब एक परिवार पर दुख आता है तो पूरा शिक्षक समाज उसे अपने परिवार जैसा समझता है और उसे सहारा देता है।

यह अभियान भविष्य में भी प्रेरणा का स्रोत रहेगा। टीचर्स सेल्फ केयर टीम ने यह निर्णय लिया है कि इस प्रकार के सहयोग अलर्ट आगे भी जारी रहेंगे। हर वर्ष दिवंगत साथियों के परिवारों के लिए विशेष सहायता कार्यक्रम चलाए जाएंगे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। इसके लिए एक स्थायी राहत कोष भी बनाने की योजना है जिसमें सभी शिक्षक नियमित रूप से योगदान देंगे।

भविष्य में जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। बीमार परिवारजनों के लिए स्वास्थ्य बीमा सहायता की भी व्यवस्था की जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवाएँ भी शुरू की जाएँगी ताकि परिवारजनों को भावनात्मक सहारा मिल सके।

यह पूरा अभियान एकता, समर्पण और सहयोग की मिसाल बन गया है। इसने यह दिखा दिया कि जब हम सब मिलकर चलते हैं तो कोई भी बाधा हमारे रास्ते को नहीं रोक सकती।

सहयोग अलर्ट 62 में मिली सफलता के बाद सभी टीमों ने तय किया है कि अब हर ब्लॉक, हर जिला और हर प्रदेश स्तर पर सहयोग समितियाँ बनाई जाएंगी जो समय-समय पर सहयोग एकत्र करेंगी और जरूरतमंदों तक पहुँचाएंगी।

टीचर्स सेल्फ केयर टीम का उद्देश्य केवल सहायता देना नहीं है, बल्कि दिवगंत परिवारों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना है। उन्हें यह भरोसा दिलाना है कि शिक्षक समाज उनका हमेशा साथ देगा।

इस अभियान में शामिल हर शिक्षक, हर दानदाता, हर ब्लॉक टीम, जिला टीम, रिसेट प्रभारी, प्रदेश आईटी सेल, प्रदेश टीम और सह संस्थापक एक सच्चे नायक हैं। आप सभी ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाएगा।

सहयोग अलर्ट 62 के तहत जितनी बड़ी राशि एकत्र हुई, वह सिर्फ संख्या नहीं है। वह हर उस भावना का प्रतीक है जो आपने अपने दिवंगत साथियों के लिए दिखाई है। यह विश्वास का प्रतीक है, सेवा भाव का प्रतीक है और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है।

आप सभी का समर्पण और सहयोग एक मिसाल बन चुका है। आपने यह दिखाया है कि शिक्षक केवल किताबों के पाठ नहीं पढ़ाते, बल्कि सेवा, करुणा और भाईचारे का पाठ भी पढ़ाते हैं। आपने यह दिखाया कि शिक्षकों का समाज सच्चे अर्थों में एक परिवार है।

भविष्य में भी इसी भावना के साथ हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे। हम हर जरूरतमंद साथी और उनके परिवार के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

एक बार फिर से आप सभी दानवीरों को, ब्लॉक टीमों को, जिला टीमों को, रिसेट प्रभारियों को, प्रदेश आईटी सेल को, प्रदेश टीम को और सह संस्थापकों को हार्दिक धन्यवाद और साधुवाद।

आप सभी के सहयोग और समर्पण से ही यह ऐतिहासिक कार्य संभव हो पाया है।

आप सभी को एक बार फिर से दिल से धन्यवाद!

शानदार! जबरदस्त! जिंदाबाद!

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Saturday, April 26, 2025

TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी….

 

TSCT एक ऐसा संगठन है जो शिक्षकों की मदद के लिए बनाया गया है। जब कोई शिक्षक साथी किसी परेशानी में होता है, जैसे कि बीमारी, दुर्घटना या अचानक निधन हो जाता है, तब TSCT उसकी और उसके परिवार की सहायता करता है। TSCT का पूरा नाम Teachers Social Contribution Team होता है। इस संगठन का काम है कि जब भी किसी शिक्षक को मदद की जरूरत हो, तो तुरंत सहायता दी जाए। अगर कोई शिक्षक साथी दुनिया से चला जाता है, तो उसके परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।

TSCT में कई शिक्षक भाई-बहन जुड़े हुए हैं। सभी साथी समय-समय पर अपनी तरफ से छोटा-छोटा सहयोग करते हैं। इस तरह जब भी कोई मुसीबत आती है, तो संगठन के पास पहले से पैसा जमा होता है और तुरंत मदद दी जा सकती है। TSCT का नियम है कि मदद देने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए, ताकि परेशान परिवार को जल्दी सहारा मिल सके। संगठन के सभी काम पारदर्शी तरीके से होते हैं यानी जो भी सहयोग आता है या दिया जाता है, उसकी पूरी जानकारी सभी सदस्यों को दी जाती है।

TSCT में कोई भी शिक्षक भाई-बहन शामिल हो सकता है। इसमें कोई जबरदस्ती नहीं होती। जो अपनी इच्छा से समाज सेवा करना चाहते हैं, वही इसमें जुड़ते हैं। संगठन के पास एक मोबाइल ऐप भी है, जिससे मदद भेजना और जानकारी लेना आसान हो जाता है। आज के समय में जब सब कुछ मोबाइल से हो रहा है, TSCT ने भी अपनी सेवा को तेज और आसान बना दिया है।

यह संगठन इसलिए भी खास है क्योंकि यहां किसी सरकारी मदद का इंतजार नहीं करना पड़ता। जब कोई संकट आता है, तो TSCT तुरंत मदद कर देता है। शिक्षक समाज को मजबूत बनाने के लिए यह संगठन बहुत जरूरी है। जब शिक्षकों को सुरक्षा और सहारा मिलेगा, तभी वे भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकेंगे और समाज को आगे बढ़ा सकेंगे।

TSCT में शामिल होने से हर सदस्य को यह भरोसा होता है कि अगर भविष्य में उसे भी कोई परेशानी आई, तो संगठन उसके साथ खड़ा रहेगा। संगठन सभी सदस्यों का सम्मान भी करता है और समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम जैसे रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच, सम्मान समारोह आदि भी कराता है।

अब तक TSCT ने कई ऐसे परिवारों की मदद की है जिनके घर के सदस्य शिक्षक साथी अचानक बीमार हुए या दुनिया से चले गए। कई बार ऐसे दुखद समय में सरकारी मदद आने में देर लगती है, लेकिन TSCT बिना देरी के मदद करता है। बहुत से शिक्षक साथी कहते हैं कि TSCT ने मुश्किल समय में उन्हें एक परिवार की तरह सहारा दिया। सभी शिक्षक मिलकर जब थोड़ा-थोड़ा सहयोग करते हैं, तो बड़ी मदद बन जाती है। यही TSCT की असली ताकत है।

भविष्य में TSCT और भी बड़े स्तर पर काम करना चाहता है। संगठन की योजना है कि जरूरतमंद शिक्षकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति दी जाए, आवासीय सहायता मिले, पेंशन न पाने वाले शिक्षकों को मदद दी जाए और सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा भी कराया जाए। TSCT यह भी चाहता है कि शिक्षकों के लिए एक ऐसा माहौल बने जिसमें वे खुद को सुरक्षित महसूस करें और बिना किसी डर के अपना जीवन आगे बढ़ा सकें।

TSCT मानता है कि शिक्षक केवल पढ़ाने का काम ही नहीं करते, बल्कि समाज के निर्माण में भी बड़ा योगदान देते हैं। इसलिए TSCT ने कई सामाजिक काम भी किए हैं जैसे गरीब बच्चों को किताबें देना, पेड़ लगाना और लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देना। ऐसे काम करके TSCT यह बताता है कि शिक्षक समाज के हर क्षेत्र में बदलाव ला सकते हैं।

आज TSCT उन सभी शिक्षकों के लिए एक उम्मीद बन चुका है जो किसी संकट में पड़ जाते हैं। यह संगठन न केवल आर्थिक सहायता करता है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी लोगों का सहारा बनता है। जब कोई शिक्षक दुखी होता है, तो TSCT उसे यह भरोसा दिलाता है कि वह अकेला नहीं है। संगठन का हर सदस्य एक दूसरे के साथ खड़ा रहता है।

अगर हम चाहते हैं कि शिक्षक समाज मजबूत हो, तो हमें भी ऐसे संगठनों को सहयोग देना चाहिए। जो सहयोग हम आज करेंगे, वही कल हमारे लिए एक मजबूत सुरक्षा बन सकता है। इसीलिए हमें समय रहते TSCT से जुड़ना चाहिए और इसमें अपना योगदान देना चाहिए। संगठन की ताकत सभी सदस्यों के सहयोग से बढ़ती है। जब सभी मिलकर साथ चलते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती। आज का छोटा सा योगदान कल किसी के जीवन में बहुत बड़ा सहारा बन सकता है।

आइए, हम सब मिलकर TSCT को और मजबूत बनाएं। एक दूसरे की मदद करें और शिक्षक समाज को गर्व के साथ आगे बढ़ाएं। जब हम मिलकर काम करेंगे, तभी हमारा समाज और देश भी मजबूत बनेगा। TSCT हमारे लिए एक परिवार की तरह है, जिसमें हर सदस्य का सुख-दुख बांटा जाता है। इस परिवार को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।


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