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Tuesday, May 20, 2025

उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल

 


अकबरपुर, कानपुर देहात में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल के तहत एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल का निर्माण होने जा रहा है। यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। सरकार का उद्देश्य है कि गांवों और कस्बों के बच्चों को भी उन्हीं सुविधाओं से युक्त शिक्षा मिले, जो महानगरों के निजी स्कूलों में बच्चों को मिलती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में बनने वाले इस स्कूल के निर्माण पर कुल 22 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। पहले चरण में बनने वाले भवन के लिए 11 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है और यह भवन दो वर्षों के भीतर तैयार कर लिया जाएगा। इस स्कूल के लिए जो भूमि चिह्नित की गई है, वह अकबरपुर के शुभम तालाब के निकट है और इसका कुल क्षेत्रफल 10 एकड़ में फैला होगा। शांत और शिक्षण के अनुकूल वातावरण में इस स्कूल का निर्माण एक आदर्श स्थान पर किया जाएगा।
यह स्कूल सरकारी स्कूलों की तर्ज़ पर संचालित होगा, लेकिन इसकी सुविधाएं किसी भी निजी विद्यालय से कम नहीं होंगी। इसमें स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब, खेल मैदान, संगीत और कला की कक्षाएं, छात्रावास, स्वच्छ शौचालय, पीने का स्वच्छ पानी, सौर ऊर्जा आधारित बिजली व्यवस्था और हरा-भरा परिसर जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। सरकार की मंशा है कि शिक्षा में गुणवत्ता और समानता लाकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी जीवन में आगे बढ़ने के उचित अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
इस विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई होगी। प्रवेश मेरिट के आधार पर या चयन परीक्षा के ज़रिए होगा ताकि योग्य और प्रतिभाशाली बच्चों को इस विद्यालय में प्रवेश मिल सके। यह स्कूल विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता रखते हैं। मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित होगा, जिसमें केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि नैतिक शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारी का भी बोध कराया जाएगा। शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा।
प्रदेश सरकार का यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समानता स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकारी और निजी स्कूलों के बीच की खाई को पाटने का यह प्रयास उन लाखों परिवारों के लिए राहतभरा संदेश है, जिनके बच्चे केवल संसाधनों की कमी के कारण पीछे रह जाते हैं। यह स्कूल उन होनहार छात्रों के सपनों को नया आयाम देगा, जिन्हें अभी तक उपयुक्त संसाधन नहीं मिल पा रहे थे। जिला प्रशासन भी इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए पूरी सक्रियता से कार्य कर रहा है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को सौंपी गई है और जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि काम समय से पूरा हो और गुणवत्ता में कोई कमी न हो।
यह स्कूल न केवल शिक्षा का नया केंद्र बनेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों, ठेकेदारों और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं को रोजगार मिलेगा, वहीं विद्यालय के संचालन के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य स्टाफ की भी भर्ती की जाएगी। इससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और शिक्षा का स्तर बेहतर होने से सामाजिक विकास को भी गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल एक ऐसा प्रयास है, जिससे सरकारी शिक्षा प्रणाली में लोगों का भरोसा फिर से कायम होगा। यह विद्यालय न केवल पढ़ाई के लिए एक उत्कृष्ट स्थल होगा, बल्कि संस्कार, संस्कृति और सामाजिक उत्तरदायित्व की शिक्षा देने का केंद्र भी बनेगा। यहां से पढ़े छात्र भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज और देश की सेवा करेंगे। यह स्कूल क्षेत्र के बच्चों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करेगा।
इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस प्रकार निष्पक्षता और पारदर्शिता से लागू किया जाता है। सरकार ने इस दिशा में एक मजबूत और दूरदर्शी पहल की है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिलेगा। यह विद्यालय उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में पहले से चल रहे अभ्युदय स्कूलों की श्रेणी में एक महत्वपूर्ण और आदर्श उदाहरण बनेगा।
अकबरपुर में बनने वाला यह विद्यालय राज्य की शिक्षा नीति को मजबूती देने वाला और सामाजिक न्याय की दिशा में अग्रसर एक महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और सुलभता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई यह पहल न केवल सराहनीय है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो सकती है। इस स्कूल से निकलने वाले छात्र भविष्य में न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करेंगे। यह विद्यालय एक ऐसा केंद्र बनेगा जहाँ से न केवल शिक्षा का प्रकाश फैलेगा, बल्कि समाज के विकास की नई रेखाएं भी खिंचेंगी।
सरकार का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव रखेगा। जब एक गांव या कस्बा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा से जुड़ता है, तो उसका प्रभाव केवल शैक्षणिक स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी दिखाई देता है। अभ्युदय स्कूल जैसे प्रयास इस दिशा में एक मजबूत और सकारात्मक बदलाव का संकेत हैं। यह विद्यालय आने वाले वर्षों में हजारों बच्चों की तकदीर को संवारने वाला स्थान बन जाएगा।
इस तरह, मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल का निर्माण न केवल कानपुर देहात के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व और प्रेरणा का कारण होगा। यह एक ऐसा सपना है जिसे सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर साकार कर रहे हैं। जब यह विद्यालय पूर्ण रूप से कार्य करना शुरू करेगा, तब यह साबित करेगा कि सरकारी शिक्षा भी आधुनिक, सशक्त और प्रेरणादायक हो सकती है। यह विद्यालय आने वाली पीढ़ियों के सपनों को पंख देने वाला केंद्र बनेगा, और शिक्षा के उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश का प्रतीक होगा।

 


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 👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।

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👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


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Sunday, May 11, 2025

शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक

 

शिक्षक केवल किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं होते, वे समाज के मार्गदर्शक, संस्कारों के संरक्षक और भावी पीढ़ियों के शिल्पकार होते हैं। “शिक्षक: सिर्फ पढ़ाते नहीं, जीना सिखाते हैं, हर मुश्किल राह में बनते हैं साहस” — इस शीर्षक के साथ प्रकाशित यह समाचार कानपुर देहात के शिक्षकों के सामाजिक योगदान, नैतिक नेतृत्व और जीवन निर्माण में उनकी भूमिका को उजागर करता है। यह लेख शिक्षक दिवस जैसे अवसरों की गरिमा को और भी गहरा करता है क्योंकि इसमें शिक्षक की भूमिका केवल कक्षा तक सीमित नहीं मानी गई, बल्कि उनके जीवन मूल्यों, प्रेरणा, संघर्ष और समर्पण को दर्शाया गया है।

कानपुर देहात में शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने तक सीमित नहीं हैं, वे अपने विद्यार्थियों के जीवन को संवारने में निरंतर सक्रिय रहते हैं। चाहे जीवन की कठिन परिस्थितियाँ हों या समाज में व्याप्त चुनौतियाँ, शिक्षक अपने अनुभव, संवेदनशीलता और परिश्रम से न केवल विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हैं, बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। यह रिपोर्ट इसी बात की पुष्टि करती है कि शिक्षक शिक्षा से बढ़कर जीवन का पाठ पढ़ाते हैं।

समाचार में यह बताया गया है कि शिक्षक विद्यार्थियों के लिए केवल शिक्षक नहीं बल्कि मित्र, मार्गदर्शक और संरक्षक की भूमिका भी निभाते हैं। वे अपने जीवन के अनुभवों से बच्चों को न केवल किताबों की जानकारी देते हैं, बल्कि उन्हें जीवन की कठिनाइयों से जूझने का साहस और समाधान ढूंढने की कला भी सिखाते हैं। जब बच्चे निराशा, असफलता या मानसिक दबाव में आते हैं, तब यही शिक्षक उन्हें सहारा देते हैं और उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि एक आदर्श शिक्षक वही होता है जो अपने विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाए, उन्हें अच्छे-बुरे में फर्क करना सिखाए और उनके अंदर निर्णय लेने की क्षमता विकसित करे। शिक्षक अपने कार्य के माध्यम से विद्यार्थियों में सामाजिक जिम्मेदारी, नैतिक मूल्यों और करुणा की भावना भी भरते हैं, जिससे वे आगे चलकर समाज के अच्छे नागरिक बन सकें।

इस समाचार में कुछ शिक्षकों के उदाहरण भी दिए गए हैं, जिन्होंने अपने प्रयासों से न केवल स्कूलों में बल्कि समाज में भी बदलाव की लहर चलाई है। उन्होंने शिक्षा को केवल विषयों की जानकारी देने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि शिक्षा को जीवन से जोड़ा है। ऐसे शिक्षक अपने विद्यार्थियों के सपनों को पहचानते हैं और उन्हें साकार करने में मदद करते हैं।

समाचार यह भी दर्शाता है कि एक शिक्षक का सबसे बड़ा गुण उसका सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। वह अपने विद्यार्थियों के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचान कर उसे विकसित करता है। शिक्षक के अंदर करुणा, धैर्य, सहनशीलता, और हर बच्चे को अपनाने की भावना होती है। यही गुण उन्हें एक साधारण व्यक्ति से समाज निर्माता बना देते हैं।

शिक्षकों की भूमिका तकनीकी युग में और भी महत्वपूर्ण हो गई है। आज जब सोशल मीडिया, इंटरनेट और मोबाइल बच्चों के मन-मस्तिष्क पर प्रभाव डाल रहे हैं, तब शिक्षक ही हैं जो उन्हें सही दिशा में सोचने, निर्णय लेने और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। यह समाचार उसी विचार को और गहराई देता है कि डिजिटल युग में भी मानवीय मूल्यों की शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है और शिक्षक उसका प्रमुख स्रोत हैं।

इस रिपोर्ट में एक संदेश यह भी छिपा है कि शिक्षक समाज के सभी वर्गों को जोड़ने वाला एक मजबूत पुल हैं। वे जाति, धर्म, भाषा या वर्ग के भेद से ऊपर उठकर सभी बच्चों को एक समान दृष्टि से देखते हैं और उन्हें सशक्त बनाते हैं। जब शिक्षक समाज सेवा, सहयोग और नैतिक आचरण की मिसाल पेश करते हैं, तब विद्यार्थी भी उन्हीं मूल्यों को अपने जीवन में अपनाते हैं।

यह लेख शिक्षक समुदाय के समर्पण, परिश्रम और आत्मबल को एक सम्मान के रूप में प्रस्तुत करता है। यह हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि समाज को बदलने की शुरुआत स्कूलों से और खासकर शिक्षकों से होती है। एक शिक्षक यदि चाहे तो किसी बच्चे की जिंदगी बदल सकता है और बदली हुई जिंदगी से पूरा समाज प्रभावित हो सकता है।

समाचार में इस बात को भी विशेष रूप से रेखांकित किया गया है कि शिक्षक सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी और सेवा है। शिक्षक वही नहीं जो सिर्फ विषय समझाए, बल्कि वह है जो जीवन जीना सिखाए, जो बच्चे को भावनात्मक, मानसिक और नैतिक रूप से मज़बूत बनाए।

कुल मिलाकर यह समाचार यह संदेश देता है कि शिक्षक समाज के सच्चे हीरो हैं। वे प्रेरणा हैं, शक्ति हैं और मार्गदर्शक हैं। उनका काम केवल परीक्षा पास कराना नहीं, बल्कि बच्चों को ज़िंदगी की हर परीक्षा के लिए तैयार करना है। ऐसे शिक्षक ही समाज के निर्माण में नींव का पत्थर होते हैं। यह लेख सभी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें अपने शिक्षकों का सम्मान केवल एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन करना चाहिए और उनकी शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करना चाहिए।


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शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद

 


शिक्षकों ने निभाई समाज सेवा की भूमिका – गरीब की बेटी की शादी के लिए जुटाया गृहस्थी का सामान

 


देशभर में जब-जब समाज सेवा की बात होती है, तो उसमें अक्सर डॉक्टरों, समाजसेवियों, सरकारी संस्थाओं या राजनीतिक नेताओं की चर्चा होती है। परंतु इस बार उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के संदलपुर ब्लॉक शिक्षकों ने समाज सेवा की एक ऐसी मिसाल पेश की है जो हर दिल को छू लेने वाली है।

यह घटना एक गरीब परिवार की बेटी की शादी से जुड़ी है, जो कि झोपड़ी में रहकर जैसे-तैसे जीवन व्यतीत कर रहा था। लड़की के पिता के पास न तो आय का कोई निश्चित साधन था और न ही वह अपनी बेटी की शादी का खर्च उठा पाने की स्थिति में थे। जब यह बात शिक्षकों को पता चली, तो उन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के, अपने निजी स्तर पर इस परिवार की मदद करने का फैसला किया।

शिक्षकों ने इस गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति और बेटी की शादी की जरूरत को समझते हुए, गृहस्थी के लगभग सभी जरूरी सामान जैसे बर्तन, पलंग, गद्दा, गैस सिलेंडर, अलमारी, कपड़े, टेबल पंखा, कूलर, बाल्टी, ड्रम, बिछावन, चादरें, तकिए आदि जुटाए और उन तक पहुँचा दिए। सिर्फ सामान ही नहीं, उन्होंने लड़की की शादी में आर्थिक सहायता भी प्रदान की, ताकि वह विवाह बिना किसी बाधा के सम्पन्न हो सके।

इस पुनीत कार्य में भाग लेने वाले शिक्षक सिर्फ अपने विषय की शिक्षा नहीं दे रहे, बल्कि मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं की भी शिक्षा समाज को दे रहे हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि शिक्षक समाज के निर्माण में केवल विद्यालय की चारदीवारी के भीतर ही नहीं, बल्कि समाज के हर जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन में रोशनी देने वाले दीपक हैं।

इस नेक पहल की अगुवाई करते हुए शिक्षकों ने कहा कि जब तक शिक्षक समाज से जुड़कर, समाज की समस्याओं को समझकर उनके समाधान में भागीदारी नहीं निभाएंगे, तब तक शिक्षा का उद्देश्य अधूरा रहेगा।

इस प्रयास में भाग लेने वाले प्रमुख शिक्षकों में शामिल रहे – दीपक कटियार, संदीप कटियार, विवेक कुमार, शशिकांत बिंदल, मनीष चौधरी, डॉ. राकेश त्रिपाठी, रमेश चौरसिया, गौरव सिंह राजपूत, प्रभात गुप्ता, सुभाष किशोर, सत्येंद्र सिंह, अमरेंद्र गुप्ता, प्रदीप तिवारी, मनीष श्रीवास्तव, रामकृष्ण पाल, विवेक शुक्ला, विनय त्रिपाठी, मयंक पांडेय, रमेश यादव, अंकुर वर्मा, योगेश त्रिपाठी, अशोक यादव आदि।

गौर करने योग्य बात यह भी है कि इस घटना की जानकारी जब आस-पास के ग्रामीणों और समाज के अन्य लोगों को हुई, तो वे भी शिक्षकों की इस पहल की सराहना करने लगे। लोगों ने इसे समाज में एक नई दिशा देने वाला प्रयास बताया। यह घटना एक उदाहरण है कि यदि प्रत्येक नागरिक अपने-अपने स्तर पर समाज की मदद के लिए तैयार हो जाए, तो कोई भी व्यक्ति अभावग्रस्त नहीं रहेगा।

इस पहल से शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी खुशी जताई और कहा कि ऐसे शिक्षक वास्तव में विभाग का गौरव हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयास अन्य शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।

इस कार्यक्रम को शिक्षकों ने किसी औपचारिकता या दिखावे के रूप में नहीं, बल्कि पूर्ण रूप से मानवीय कर्तव्य समझकर निभाया। उन्होंने यह कार्य न तो मीडिया में दिखाने के लिए किया और न ही किसी प्रकार की प्रसिद्धि पाने के लिए, बल्कि सिर्फ इसलिए किया ताकि एक गरीब बेटी की शादी बिना किसी रुकावट के हो सके और उसके माता-पिता की चिंता कुछ हद तक कम हो जाए।

गांव के लोगों ने भी शिक्षकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज के समय में जब हर कोई सिर्फ अपने स्वार्थ के बारे में सोचता है, तब ऐसे लोग समाज की सच्ची धरोहर हैं। शिक्षक, जो शिक्षा का दीप जलाते हैं, वही समाज में सेवा का भी उदाहरण बन सकते हैं – यह घटना उसका सटीक उदाहरण है।

इस पूरी घटना ने समाज को यह भी सिखाया कि एक शिक्षक का कार्य सिर्फ विद्यार्थियों को पढ़ाना नहीं होता, बल्कि वह समाज के कमजोर वर्गों को सहारा देने का माध्यम भी बन सकता है। शिक्षकों का यह कार्य न सिर्फ मानवता की सेवा है, बल्कि उनके पेशे की गरिमा को भी नई ऊंचाई देता है।

इस प्रेरणादायक समाचार से यह स्पष्ट होता है कि यदि शिक्षकों की सोच समाज-सेवा की हो, तो वे ना केवल भविष्य के नागरिकों को शिक्षित कर सकते हैं, बल्कि वर्तमान समाज की समस्याओं को भी हल करने में योगदान दे सकते हैं। शिक्षकों का यह योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐसी मिसाल बन सकता है, जिससे वे सीखें कि इंसानियत और मदद का जज़्बा ही सच्ची शिक्षा का सार है।


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Sunday, May 4, 2025

टीचर्स ऑफ द ईयर 2025 सम्मान समारोह | नवाचारी शिक्षकों को मिला मंच

 



टीचर्स ऑफ द ईयर 2025 शिक्षक सम्मान समारोह एक ऐसा आयोजन था जिसमें शिक्षकों की मेहनत, लगन और नवाचार को पहचान मिली। शिक्षक हमारे समाज की रीढ़ होते हैं। वे बच्चों को न केवल पढ़ाते हैं, बल्कि उनके जीवन को सही दिशा में ले जाते हैं। जब ऐसे शिक्षकों को सम्मान मिलता है, तो उनका मनोबल बढ़ता है और वे और भी अच्छा करने की प्रेरणा पाते हैं। स्टडी हॉल एजुकेशन फाउंडेशन ने इसी सोच के साथ यह आयोजन किया, ताकि उन शिक्षकों को पहचाना जा सके जो पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की सोच और समझ को भी निखार रहे हैं।

यह कार्यक्रम "आरोही – एजुकेटिंग चिल्ड्रन फॉर जेंडर जस्टिस" नाम की पहल के अंतर्गत हुआ। इसका मकसद था उन शिक्षकों को सम्मान देना, जो अपने काम में कुछ नया कर रहे हैं और बच्चों की पढ़ाई को रोचक और आसान बना रहे हैं। यह आयोजन लखनऊ विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ और इसकी अगुवाई की स्टडी हॉल एजुकेशन फाउंडेशन की प्रमुख डॉ. उर्वशी सैनी ने की।

इस समारोह के लिए प्रतियोगिता फरवरी 2025 में शुरू हुई थी। इसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के कुल 117 शिक्षकों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों को अपनी किसी खास शिक्षण पद्धति या नवाचार पर एक वीडियो बनाकर वेबसाइट पर भेजना था। इन वीडियो में दिखाया गया कि शिक्षक किस तरह बच्चों को पढ़ा रहे हैं, क्या नया तरीका अपना रहे हैं, और बच्चों पर उसका क्या असर हो रहा है। फिर एक टीम ने उन वीडियो को देखा और सबसे अच्छे शिक्षकों को चुना।

इस प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के डॉ. त्रिलोकचंद को द्वितीय स्थान मिला। वे सिविलियन उच्च प्राथमिक विद्यालय ओरिया में सहायक अध्यापक हैं। उन्होंने विज्ञान को बच्चों के लिए आसान और मजेदार बनाने के नए तरीके बताए, जिससे बच्चे प्रयोग करके सीखते हैं। निर्णायक मंडल को यह तरीका बहुत अच्छा लगा।

पहला स्थान मिला उत्तर प्रदेश के ही कानपुर देहात की प्राथमिक विद्यालय नाही की शिक्षिका श्रीमती अवंतिका सिंह को। उन्होंने लड़कियों की पढ़ाई में नए प्रयोग किए और समावेशी शिक्षा की मिसाल पेश की। तीसरे स्थान पर रहीं कानपुर नगर की सहायक अध्यापिका श्रीमती रेखा गुप्ता, जिन्होंने बच्चों के व्यक्तित्व विकास को ध्यान में रखकर शिक्षा दी।

सम्मान समारोह 21 अप्रैल 2025 को हुआ। इसमें कई खास लोग मौजूद थे। मुख्य अतिथि थीं उत्तर प्रदेश सरकार की ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्रीमती विजयलक्ष्मी गौतम। उनके साथ मंच पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक चंद्र राय, समग्र शिक्षा अभियान की प्रमुख श्रीमती एकता जैन, कस्तूरबा विद्यालय के डीसी श्री मुकेश और माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधिकारी श्री विष्णु कांत पांडे भी थे।

इन सभी खास मेहमानों ने मंच पर आकर चुने गए शिक्षकों को सम्मानित किया। उन्हें प्रशंसा पत्र, मेडल, स्मृति चिन्ह और नकद पुरस्कार दिए गए। डॉ. त्रिलोकचंद को ₹20,000 का चेक, एक प्रशंसा पत्र, मेडल और स्मृति चिन्ह मिला। यह उनके लिए बहुत गर्व की बात थी।

जब डॉ. त्रिलोकचंद ने मंच से अपनी बात कही, तो उन्होंने कहा कि यह सम्मान उनके लिए बहुत प्रेरणादायक है। उन्होंने अपने जिले के शिक्षा अधिकारी श्री अजय मिश्रा, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्री अजब सिंह यादव और अपने स्कूल के पूरे स्टाफ को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान सिर्फ उनका नहीं, बल्कि उन सभी शिक्षकों का है जो मेहनत से पढ़ाते हैं।

जब वे अपने विद्यालय लौटे, तो छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। स्कूल में खुशी का माहौल था और सबने मिलकर उनके सम्मान में कार्यक्रम भी किया।

इस आयोजन में सिर्फ "टीचर्स ऑफ द ईयर" के विजेता ही नहीं, बल्कि साल भर में हुई अन्य प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों और उनके शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया। इनमें बाल साहित्य लेखन, चित्रकला, नुक्कड़ नाटक, विज्ञान प्रदर्शनी और बाल संसद जैसी प्रतियोगिताएं शामिल थीं। बच्चों के साथ-साथ उनके गाइड शिक्षकों को भी सम्मान मिला, क्योंकि उनके प्रयास से ही बच्चे इन आयोजनों में भाग ले पाए।

इस तरह के आयोजनों का समाज में बहुत बड़ा असर होता है। जब शिक्षकों को उनके अच्छे काम के लिए पहचाना जाता है, तो वे और भी लगन से काम करते हैं। वे बच्चों की पढ़ाई को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हैं।

इस आयोजन में उन शिक्षकों को खासतौर पर महत्व दिया गया जो लड़कियों और वंचित वर्ग के बच्चों को पढ़ाने में जुटे हैं। इससे समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा मिलता है।

अंत में यही कहा जा सकता है कि "टीचर्स ऑफ द ईयर 2025" जैसे कार्यक्रम शिक्षा क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाते हैं। ये न केवल शिक्षकों को सम्मानित करते हैं, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश देते हैं कि अच्छे कार्य की पहचान जरूर होती है। डॉ. त्रिलोकचंद जैसे शिक्षक हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बना रहे हैं। ऐसे आयोजन शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और प्रेरणा का स्रोत बनते हैं।

 

👉यूपी में छह आईएएस अफसरों के तबादले

https://www.updatemarts.com/2025/05/blog-post_125.html


👉UP: पहलगाम में मृत अफसर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी..! पोस्ट साझा करने पर शिक्षिका जेब अफरोज निलंबित; BSA ने लिया एक्शन..!

https://www.updatemarts.com/2025/05/up-bsa.html


👉जनपद में एनसीईआरटी की किताबें नहीं चलाने पर 33 स्कूलों पर लगाया एक-एक लाख रुपये का अर्थ दंड।

https://www.updatemarts.com/2025/05/33.html


 👉अंतर्जनपदीय म्यूच्यूअल ट्रांसफर स्पेशल

https://www.updatemarts.com/2025/05/blog-post_81.html


 


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