Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

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a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

NIPUN Bharat Mission

NIPUN Bharat helps young children read and do basic math with understanding and confidence.

Nurturing Nature, Growing Futures

Green mission by students to make earth clean and fresh.

Mission Shikshan Samvad – For Education and Teacher Respect

Mission to uplift education, honor teachers, and promote human welfare through dialogue.

Monday, April 28, 2025

भविष्य के स्कूलों में एआई टीचर का आगमन: शिक्षक और मानवता का महत्व

 


हमारा और हमारे विद्यालयों का भविष्य अब तेजी से बदल रहा है। आने वाला समय ऐसा होगा, जब हमारे स्कूलों में इंसान नहीं, बल्कि एआई टीचर पढ़ाएंगे। एआई टीचर यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने शिक्षक होंगे, जिन्हें न सैलरी देनी होगी, न भत्ते, न ही पेंशन देना पड़ेगा। ये टीचर कभी छुट्टी नहीं मांगेंगे, बीमार नहीं पड़ेंगे और हमेशा समय पर पढ़ाई कराएंगे। लेकिन क्या ये एआई टीचर बच्चों को वह सच्चा मार्गदर्शन दे पाएंगे जो एक इंसानी शिक्षक देता है? आज के शिक्षक बच्चों को केवल पढ़ाई ही नहीं कराते, बल्कि उन्हें संस्कार, समझदारी और जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। जब बच्चे किसी परेशानी में होते हैं तो एक इंसानी शिक्षक उन्हें समझता है, सहारा देता है। लेकिन एआई टीचर केवल मशीन की तरह काम करेंगे। वे बच्चों के दुख, खुशी, डर या सपनों को नहीं समझ पाएंगे। सरकारों के लिए एआई टीचर सुविधाजनक हो सकते हैं क्योंकि इससे पैसे बचेंगे, लेकिन क्या इससे बच्चों का सही विकास हो पाएगा? गाँवों और कस्बों में आज भी बच्चे अपने शिक्षकों से जीवन के बड़े सबक सीखते हैं। अगर भविष्य में केवल मशीनें बच्चों को पढ़ाएंगी, तो बच्चों में संवेदनशीलता, करुणा और समझ कम हो सकती है। वे केवल जानकारी के भंडार बन जाएंगे, पर इंसानी भावना से खाली हो सकते हैं। स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं हैं, वे बच्चों के व्यक्तित्व को संवारने का स्थान हैं। एक इंसानी शिक्षक अपने अनुभव, ज्ञान और प्यार से बच्चों को जीवन का सही रास्ता दिखाता है। एआई टीचर केवल तय कार्यक्रम के अनुसार पढ़ाएंगे। वे बच्चों के सवालों के पीछे छुपी जिज्ञासा को नहीं समझ पाएंगे, न ही बच्चों के विचारों को उड़ान दे पाएंगे। इसलिए तकनीक का उपयोग हमें शिक्षकों की सहायता के लिए करना चाहिए, न कि उनकी जगह लेने के लिए। आज डिजिटल बोर्ड, ऑनलाइन क्लास जैसे साधनों ने शिक्षा को आसान बनाया है, लेकिन इंसानी शिक्षक की जगह कभी नहीं ले सकते। इंसानी शिक्षक बच्चों की आँखों से उनका मन पढ़ सकते हैं, उनकी समस्याएं समझ सकते हैं। एक मशीन कभी यह नहीं कर सकती। अगर पूरी शिक्षा मशीनों के हाथ में चली गई तो आने वाली पीढ़ी संवेदनहीन हो सकती है। सोचने, समझने और महसूस करने की शक्ति कम हो सकती है। इसलिए हमें यह समझना चाहिए कि शिक्षा केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि अच्छा इंसान बनाना है। शिक्षक वह दीपक है जो बच्चों के जीवन में उजाला करता है। मशीनें चाहे जितनी तेज हो जाएं, लेकिन वे उस दीपक की जगह नहीं ले सकतीं। अगर एआई टीचर आएंगे तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे केवल सहायक बनें, शिक्षक नहीं। हमारे विद्यालयों का भविष्य तभी सुरक्षित रहेगा जब इंसान और तकनीक दोनों साथ मिलकर काम करेंगे। शिक्षकों का सम्मान करना जरूरी है क्योंकि वे समाज का निर्माण करते हैं। एक मशीन कभी समाज नहीं बना सकती। शिक्षा का मकसद केवल नौकरी पाना नहीं है, बल्कि एक अच्छा इंसान बनाना है। इसलिए हमें अपने विद्यालयों में एआई टीचर को सहायक के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए, मुख्य शिक्षक के रूप में नहीं। हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि अपने असली शिक्षकों का सम्मान करें और तकनीक का सही उपयोग करें। भविष्य तभी उज्ज्वल रहेगा जब मानवता और ज्ञान साथ-साथ चलेंगे। शिक्षक जिंदाबाद, मानवता जिंदाबाद।


👉शिक्षा निदेशालय में भीषण आग पांच हजार फाइलें जलकर राख, घटना की जांच के लिए समिति गठित

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👉निकली शिक्षक पदों हेतु नौकरियां, करें आवेदन, देखें विज्ञप्ति

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👉बिना सूचना/बिना अवकाश के विद्यालय से दीर्घावधि से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के सम्बन्ध में ।

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👉शिक्षकों ने अपराह्न 1.30 के पहले छोड़ा स्कूल, तो होगी कार्यवाही

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टीचर्स सेल्फ केयर टीम का शानदार सहयोग अभियान: 20 दिवंगत परिवारों को 9.61 करोड़ से अधिक की मदद

 

                                              


शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद! सहयोग अलर्ट 62 के तहत एक बार फिर से मदद का रिकॉर्ड बन गया है। सम्मानित साथियों, आप सभी ने मिलकर जो कार्य किया है, वह वाकई में प्रशंसनीय है। आपने अपने 20 दिवंगत साथियों के परिवारों को 9 करोड़ 61 लाख रुपये से अधिक की सहायता राशि पहुँचाई है। प्रत्येक परिवार को औसतन 48 लाख रुपये से अधिक की मदद मिली है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है। इस अद्भुत सहायता के लिए आप सभी दानवीर साथियों का दिल से हार्दिक धन्यवाद किया जाता है।

यह सब आपके अथक प्रयासों, समर्पण और सेवा भावना के कारण ही संभव हो पाया है। ब्लॉक टीमों ने स्थानीय स्तर पर सहयोग जुटाया, जिला टीमों ने समन्वय किया, रिसेट प्रभारी ने सभी जानकारी को एकत्रित कर सही दिशा में भेजा, प्रदेश आईटी सेल ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया, प्रदेश टीम ने पूरे अभियान को नेतृत्व दिया और सह संस्थापकों ने मार्गदर्शन किया। सभी की मेहनत और ईमानदारी से ही यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की गई।

इस पूरे अभियान के दौरान सभी सदस्यों ने यह सिद्ध कर दिया कि अगर इरादा नेक हो और टीम भावना मजबूत हो, तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं होता। दिवंगत साथियों के परिवारों को समय पर आर्थिक सहायता पहुँचाकर आपने न सिर्फ उनकी आर्थिक परेशानी को कम किया बल्कि उन्हें यह भी अहसास कराया कि शिक्षक समाज उनके दुख में साथ खड़ा है।

सहयोग अलर्ट 62 का यह प्रयास एक प्रेरणा बन गया है। इससे पहले भी कई सहयोग कार्यक्रम चलाए गए थे, लेकिन इस बार जो समर्पण और उत्साह दिखा, वह अद्वितीय था। सभी दानदाता साथियों ने दिल खोलकर सहयोग किया, चाहे वह छोटा योगदान रहा हो या बड़ा। सबका उद्देश्य एक ही था — दिवंगत साथियों के परिवारों की मदद करना और उनका भविष्य सुरक्षित बनाना।

दान देने वालों में वरिष्ठ शिक्षक भी थे और नए शिक्षक भी। कुछ शिक्षकों ने अपनी एक महीने की तनख्वाह तक दान कर दी। कुछ साथियों ने अपने परिवार के सदस्यों से भी इस नेक कार्य के लिए सहयोग जुटाया। छात्र-छात्राओं ने भी अपने छोटे-छोटे दान से इस अभियान में भाग लिया। इस प्रकार यह अभियान जन-आंदोलन जैसा बन गया।

ब्लॉक टीमों ने गांव-गांव जाकर शिक्षकों से संपर्क किया, उन्हें इस अभियान की जानकारी दी और सहयोग के लिए प्रेरित किया। जिला टीमों ने पूरे जिले में विभिन्न स्तर पर बैठकों का आयोजन किया और दान एकत्र किया। रिसेट प्रभारियों ने तकनीकी रूप से हर जानकारी को सही समय पर सही स्थान तक पहुँचाया। प्रदेश आईटी सेल ने फंड एकत्र करने, रिकॉर्ड रखने और वितरण व्यवस्था को पारदर्शी बनाया। प्रदेश टीम ने लगातार निगरानी रखी और किसी भी समस्या को तुरंत सुलझाया। सह संस्थापकों ने दिशा और समर्थन देकर पूरे अभियान को गति दी।

इन सभी प्रयासों का नतीजा यह रहा कि बहुत कम समय में इतनी बड़ी सहायता राशि एकत्र की जा सकी। दिवंगत परिवारों को जब यह मदद पहुँची तो उनकी आँखों में आभार के आंसू थे। उन्होंने महसूस किया कि शिक्षक समाज उन्हें भूला नहीं है। यह सहायता केवल धनराशि नहीं थी, बल्कि प्यार, सम्मान और साथ का प्रतीक थी।

टीचर्स सेल्फ केयर टीम का यह प्रयास यह भी दिखाता है कि शिक्षकों में केवल पढ़ाई का ही नहीं, बल्कि सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व का भी भाव होता है। सहयोग अलर्ट 62 से यह सिद्ध हुआ कि शिक्षक समुदाय जब ठान ले तो असंभव को भी संभव कर सकता है।

यह सहायता अभियान न केवल एक आर्थिक सहयोग था बल्कि एक सामाजिक संदेश भी था कि दुःख की घड़ी में हम अपने साथियों को अकेला नहीं छोड़ते। जब एक परिवार पर दुख आता है तो पूरा शिक्षक समाज उसे अपने परिवार जैसा समझता है और उसे सहारा देता है।

यह अभियान भविष्य में भी प्रेरणा का स्रोत रहेगा। टीचर्स सेल्फ केयर टीम ने यह निर्णय लिया है कि इस प्रकार के सहयोग अलर्ट आगे भी जारी रहेंगे। हर वर्ष दिवंगत साथियों के परिवारों के लिए विशेष सहायता कार्यक्रम चलाए जाएंगे ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रह सके। इसके लिए एक स्थायी राहत कोष भी बनाने की योजना है जिसमें सभी शिक्षक नियमित रूप से योगदान देंगे।

भविष्य में जरूरतमंद परिवारों के बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। बीमार परिवारजनों के लिए स्वास्थ्य बीमा सहायता की भी व्यवस्था की जाएगी। मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवाएँ भी शुरू की जाएँगी ताकि परिवारजनों को भावनात्मक सहारा मिल सके।

यह पूरा अभियान एकता, समर्पण और सहयोग की मिसाल बन गया है। इसने यह दिखा दिया कि जब हम सब मिलकर चलते हैं तो कोई भी बाधा हमारे रास्ते को नहीं रोक सकती।

सहयोग अलर्ट 62 में मिली सफलता के बाद सभी टीमों ने तय किया है कि अब हर ब्लॉक, हर जिला और हर प्रदेश स्तर पर सहयोग समितियाँ बनाई जाएंगी जो समय-समय पर सहयोग एकत्र करेंगी और जरूरतमंदों तक पहुँचाएंगी।

टीचर्स सेल्फ केयर टीम का उद्देश्य केवल सहायता देना नहीं है, बल्कि दिवगंत परिवारों को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना है। उन्हें यह भरोसा दिलाना है कि शिक्षक समाज उनका हमेशा साथ देगा।

इस अभियान में शामिल हर शिक्षक, हर दानदाता, हर ब्लॉक टीम, जिला टीम, रिसेट प्रभारी, प्रदेश आईटी सेल, प्रदेश टीम और सह संस्थापक एक सच्चे नायक हैं। आप सभी ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाएगा।

सहयोग अलर्ट 62 के तहत जितनी बड़ी राशि एकत्र हुई, वह सिर्फ संख्या नहीं है। वह हर उस भावना का प्रतीक है जो आपने अपने दिवंगत साथियों के लिए दिखाई है। यह विश्वास का प्रतीक है, सेवा भाव का प्रतीक है और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है।

आप सभी का समर्पण और सहयोग एक मिसाल बन चुका है। आपने यह दिखाया है कि शिक्षक केवल किताबों के पाठ नहीं पढ़ाते, बल्कि सेवा, करुणा और भाईचारे का पाठ भी पढ़ाते हैं। आपने यह दिखाया कि शिक्षकों का समाज सच्चे अर्थों में एक परिवार है।

भविष्य में भी इसी भावना के साथ हम सब मिलकर आगे बढ़ेंगे। हम हर जरूरतमंद साथी और उनके परिवार के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।

एक बार फिर से आप सभी दानवीरों को, ब्लॉक टीमों को, जिला टीमों को, रिसेट प्रभारियों को, प्रदेश आईटी सेल को, प्रदेश टीम को और सह संस्थापकों को हार्दिक धन्यवाद और साधुवाद।

आप सभी के सहयोग और समर्पण से ही यह ऐतिहासिक कार्य संभव हो पाया है।

आप सभी को एक बार फिर से दिल से धन्यवाद!

शानदार! जबरदस्त! जिंदाबाद!

👉अंतर्जनपदीय एवं अंतःजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण में रजिस्ट्रेशन की तिथि व आवेदन का प्रिंट करने की तारीख बढ़ाई

👉आतंकवाद से जुड़ी अनुचित टिप्पणी पर शिक्षक को नोटिस जारी


 👉हमारा और हमारे विद्यालयों का भविष्य! देश के आगामी AI Teacher! जिनको न सैलरी देना है, न भत्ता और न ही ये पेंशन मांगेंगे!

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Saturday, April 26, 2025

TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी….

 

TSCT एक ऐसा संगठन है जो शिक्षकों की मदद के लिए बनाया गया है। जब कोई शिक्षक साथी किसी परेशानी में होता है, जैसे कि बीमारी, दुर्घटना या अचानक निधन हो जाता है, तब TSCT उसकी और उसके परिवार की सहायता करता है। TSCT का पूरा नाम Teachers Social Contribution Team होता है। इस संगठन का काम है कि जब भी किसी शिक्षक को मदद की जरूरत हो, तो तुरंत सहायता दी जाए। अगर कोई शिक्षक साथी दुनिया से चला जाता है, तो उसके परिवार को आर्थिक मदद दी जाती है ताकि वे अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।

TSCT में कई शिक्षक भाई-बहन जुड़े हुए हैं। सभी साथी समय-समय पर अपनी तरफ से छोटा-छोटा सहयोग करते हैं। इस तरह जब भी कोई मुसीबत आती है, तो संगठन के पास पहले से पैसा जमा होता है और तुरंत मदद दी जा सकती है। TSCT का नियम है कि मदद देने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए, ताकि परेशान परिवार को जल्दी सहारा मिल सके। संगठन के सभी काम पारदर्शी तरीके से होते हैं यानी जो भी सहयोग आता है या दिया जाता है, उसकी पूरी जानकारी सभी सदस्यों को दी जाती है।

TSCT में कोई भी शिक्षक भाई-बहन शामिल हो सकता है। इसमें कोई जबरदस्ती नहीं होती। जो अपनी इच्छा से समाज सेवा करना चाहते हैं, वही इसमें जुड़ते हैं। संगठन के पास एक मोबाइल ऐप भी है, जिससे मदद भेजना और जानकारी लेना आसान हो जाता है। आज के समय में जब सब कुछ मोबाइल से हो रहा है, TSCT ने भी अपनी सेवा को तेज और आसान बना दिया है।

यह संगठन इसलिए भी खास है क्योंकि यहां किसी सरकारी मदद का इंतजार नहीं करना पड़ता। जब कोई संकट आता है, तो TSCT तुरंत मदद कर देता है। शिक्षक समाज को मजबूत बनाने के लिए यह संगठन बहुत जरूरी है। जब शिक्षकों को सुरक्षा और सहारा मिलेगा, तभी वे भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकेंगे और समाज को आगे बढ़ा सकेंगे।

TSCT में शामिल होने से हर सदस्य को यह भरोसा होता है कि अगर भविष्य में उसे भी कोई परेशानी आई, तो संगठन उसके साथ खड़ा रहेगा। संगठन सभी सदस्यों का सम्मान भी करता है और समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम जैसे रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच, सम्मान समारोह आदि भी कराता है।

अब तक TSCT ने कई ऐसे परिवारों की मदद की है जिनके घर के सदस्य शिक्षक साथी अचानक बीमार हुए या दुनिया से चले गए। कई बार ऐसे दुखद समय में सरकारी मदद आने में देर लगती है, लेकिन TSCT बिना देरी के मदद करता है। बहुत से शिक्षक साथी कहते हैं कि TSCT ने मुश्किल समय में उन्हें एक परिवार की तरह सहारा दिया। सभी शिक्षक मिलकर जब थोड़ा-थोड़ा सहयोग करते हैं, तो बड़ी मदद बन जाती है। यही TSCT की असली ताकत है।

भविष्य में TSCT और भी बड़े स्तर पर काम करना चाहता है। संगठन की योजना है कि जरूरतमंद शिक्षकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति दी जाए, आवासीय सहायता मिले, पेंशन न पाने वाले शिक्षकों को मदद दी जाए और सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा भी कराया जाए। TSCT यह भी चाहता है कि शिक्षकों के लिए एक ऐसा माहौल बने जिसमें वे खुद को सुरक्षित महसूस करें और बिना किसी डर के अपना जीवन आगे बढ़ा सकें।

TSCT मानता है कि शिक्षक केवल पढ़ाने का काम ही नहीं करते, बल्कि समाज के निर्माण में भी बड़ा योगदान देते हैं। इसलिए TSCT ने कई सामाजिक काम भी किए हैं जैसे गरीब बच्चों को किताबें देना, पेड़ लगाना और लड़कियों की पढ़ाई को बढ़ावा देना। ऐसे काम करके TSCT यह बताता है कि शिक्षक समाज के हर क्षेत्र में बदलाव ला सकते हैं।

आज TSCT उन सभी शिक्षकों के लिए एक उम्मीद बन चुका है जो किसी संकट में पड़ जाते हैं। यह संगठन न केवल आर्थिक सहायता करता है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी लोगों का सहारा बनता है। जब कोई शिक्षक दुखी होता है, तो TSCT उसे यह भरोसा दिलाता है कि वह अकेला नहीं है। संगठन का हर सदस्य एक दूसरे के साथ खड़ा रहता है।

अगर हम चाहते हैं कि शिक्षक समाज मजबूत हो, तो हमें भी ऐसे संगठनों को सहयोग देना चाहिए। जो सहयोग हम आज करेंगे, वही कल हमारे लिए एक मजबूत सुरक्षा बन सकता है। इसीलिए हमें समय रहते TSCT से जुड़ना चाहिए और इसमें अपना योगदान देना चाहिए। संगठन की ताकत सभी सदस्यों के सहयोग से बढ़ती है। जब सभी मिलकर साथ चलते हैं, तो कोई भी मुश्किल हमें हरा नहीं सकती। आज का छोटा सा योगदान कल किसी के जीवन में बहुत बड़ा सहारा बन सकता है।

आइए, हम सब मिलकर TSCT को और मजबूत बनाएं। एक दूसरे की मदद करें और शिक्षक समाज को गर्व के साथ आगे बढ़ाएं। जब हम मिलकर काम करेंगे, तभी हमारा समाज और देश भी मजबूत बनेगा। TSCT हमारे लिए एक परिवार की तरह है, जिसमें हर सदस्य का सुख-दुख बांटा जाता है। इस परिवार को मजबूत बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।


👉कानपुर देहात: स्कूल से कोल्डड्रिंक लाते समय छात्र की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत, परिवार में मातम

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कानपुर देहात: स्कूल से कोल्डड्रिंक लाते समय छात्र की ट्रैक्टर से कुचलकर मौत, परिवार में मातम

 



कानपुर देहात जिले के अमराहत थाना क्षेत्र के सिहुरा गाँव में शुक्रवार को एक बेहद दुखद और दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई। गाँव के साविलियन विद्यालय के आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र हर्ष कुमार की तेज रफ्तार ट्रैक्टर से कुचलकर मौके पर ही मौत हो गई। हर्ष कुमार रोज की तरह स्कूल गया था। स्कूल में पढ़ाई के बीच उसके शिक्षक ने उसे कोल्डड्रिंक मंगाने के लिए गाँव की दुकान पर भेजा। हर्ष दुकान से कोल्डड्रिंक लेकर जैसे ही लौट रहा था, तभी गाँव के काली माता मंदिर मोड़ के पास पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने उसे रौंद दिया। हादसा इतना भयानक था कि हर्ष की मौके पर ही मौत हो गई।

गाँव वालों ने हादसा होते ही शोर मचाया और दौड़कर हर्ष के घरवालों को सूचना दी। घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, इसलिए सभी लोग खुशी के माहौल में थे, लेकिन यह खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। हर्ष की माँ निर्मला देवी, बहन कुशमा देवी, वीरवती, कमला और हसना आदि रोते-बिलखते घटनास्थल पर पहुँचीं। माँ के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बहनों की चीख-पुकार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। पूरे गाँव में शोक की लहर दौड़ गई। जो घर शादी के गीतों से गूंज रहा था, वहाँ अब मातम पसरा हुआ है।

हर्ष कुमार अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा था। परिवार में उसकी सबसे बड़ी बहन गुनवती की पहले ही शादी हो चुकी थी। अब छोटी बहन कुशमा की शादी 5 मई को होनी थी। घर में शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं। रिश्तेदार बुलाए जा रहे थे, घर में हल्दी और मेहंदी की तैयारियाँ चल रही थीं, लेकिन इस हादसे ने सारी खुशियाँ छीन लीं। अब घर में सिर्फ आँसू और मातम रह गया है। परिवार वालों का कहना है कि हर्ष बहुत होशियार और समझदार लड़का था। वह पढ़ाई में भी अच्छा था और अपने माता-पिता का सपना था कि वह बड़ा होकर कुछ बनकर उनका नाम रोशन करेगा।

हादसे के बाद ट्रैक्टर चालक गाड़ी छोड़कर मौके से फरार हो गया। ग्रामीणों ने ट्रैक्टर को घेर लिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। थाना प्रभारी सुरजीत सिंह दल बल के साथ मौके पर पहुँचे। उन्होंने हर्ष के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया और ट्रैक्टर को कब्जे में ले लिया। पुलिस ने ट्रैक्टर चालक की पहचान कर ली है और उसकी तलाश में दबिश दे रही है। थाना प्रभारी ने कहा कि जल्द ही आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

हर्ष के पिता शिवसागर निषाद और गाँव के अन्य लोगों ने बताया कि साविलियन विद्यालय में शिक्षक अक्सर बच्चों को स्कूल के काम के अलावा निजी काम के लिए भी भेजते हैं। कभी चाय मंगवाते हैं, कभी कोल्डड्रिंक और कभी अन्य सामान। इसी तरह शुक्रवार को भी शिक्षक ने हर्ष को कोल्डड्रिंक लाने के लिए भेजा था। यदि शिक्षक बच्चों को निजी काम के लिए बाहर न भेजते तो शायद यह हादसा टल सकता था और हर्ष आज जीवित होता। गाँव वालों ने शिक्षकों के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की माँग की है।

राजपुर खंड शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने कहा कि इस पूरे मामले की जाँच कराई जाएगी। यदि जाँच में शिक्षक दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई के समय बच्चों से निजी काम करवाना नियमों के खिलाफ है। बच्चों को स्कूल में सिर्फ पढ़ाई और गतिविधियों में ही लगाया जाना चाहिए। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

गाँव के बुजुर्गों और समाज के अन्य लोगों ने भी इस दुखद हादसे पर दुख जताया और कहा कि स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है। वहाँ बच्चों से सामान मंगवाना या निजी काम करवाना बहुत गलत है। इस तरह की घटनाएँ बच्चों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना सभी शिक्षकों और स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि शिक्षक ही बच्चों की सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहेंगे तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से डरने लगेंगे।

गाँव में अभी भी मातम पसरा हुआ है। हर कोई हर्ष की मौत पर दुखी है। गाँव के लोग हर्ष के परिवार को ढांढस बंधाने उनके घर पहुँच रहे हैं, लेकिन कोई भी शब्द उनके दुख को कम नहीं कर पा रहा। माँ-बाप की आँखों में आँसू और दिल में अपने बेटे को खोने का दर्द साफ नजर आ रहा है। बहन कुशमा, जिसकी शादी की तैयारियाँ चल रही थीं, अब भाई के बिना कैसे शादी करेगी, यह सोचकर हर किसी की आँखें भर आ रही हैं।

पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर न्याय दिलाने की कोशिश की जाएगी। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से भी जाँच शुरू कर दी गई है। गाँव के लोग भी इस मामले में न्याय की माँग कर रहे हैं। उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और मासूम बच्चा ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

यह हादसा पूरे समाज के लिए एक बड़ा सबक है। बच्चों को स्कूल भेजने का मतलब है कि वे सुरक्षित रहेंगे और पढ़ाई करेंगे, न कि कि वे किसी निजी काम में भेजे जाएंगे। बच्चों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना चाहिए। इस घटना से सबको यह सीख लेनी चाहिए कि बच्चों के साथ कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। किसी भी कीमत पर बच्चों से गैरशैक्षणिक कार्य नहीं करवाना चाहिए।

हर्ष कुमार की असमय मौत ने पूरे गाँव, जिले और समाज को झकझोर कर रख दिया है। उसकी मासूम मुस्कान, उसके सपने और उसके माता-पिता की उम्मीदें सब कुछ एक झटके में खत्म हो गईं। अब सिर्फ उसकी यादें रह गई हैं, जो उसके परिवार और गाँव वालों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। हर्ष की मौत ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपने बच्चों को वाकई सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं।

इस दुखद घटना से यह भी साफ हो गया है कि स्कूलों में बच्चों के अधिकारों का सम्मान करना कितना जरूरी है। शिक्षा का अधिकार सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और गरिमा का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। इस तरह की घटनाएँ रोकने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए और उनका पालन कड़ाई से होना चाहिए।

आज हर्ष कुमार हमारे बीच नहीं है, लेकिन उसकी मौत एक सवाल छोड़ गई है - क्या हम भविष्य में अपने बच्चों को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण माहौल दे पाएंगे? इस सवाल का जवाब हमें ढूँढना ही होगा। प्रशासन, शिक्षा विभाग, स्कूलों के शिक्षक और समाज को मिलकर यह संकल्प लेना चाहिए कि अब कोई भी बच्चा स्कूल के दौरान ऐसी लापरवाही का शिकार न हो।

हर्ष कुमार की आत्मा को शांति मिले और उसके परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति मिले। यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।





सोशल मीडिया पोस्ट से फंसा सरकारी शिक्षक, पहलगाम हमले को बताया प्रोपेगेंडा, पुलिस ने किया गिरफ्तार


पहुलगाम में 22 अप्रैल 2025 का आतंकी हमला – बायसरन पार्क में निर्दोष हिंदू पर्यटकों की हत्या


अंतर्जनपदीय म्यूच्यूअल ट्रांसफर स्पेशल
https://www.updatemarts.com/2025/04/blog-post_856.html



सोशल मीडिया पोस्ट से फंसा सरकारी शिक्षक, पहलगाम हमले को बताया प्रोपेगेंडा, पुलिस ने किया गिरफ्तार





हाल ही में एक सरकारी शिक्षक का मामला सामने आया है, जो अपने सोशल मीडिया स्टेटस के कारण बड़ी मुसीबत में फंस गया है। शिक्षक ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले को एक "प्रोपेगेंडा" बताया था। इस बयान को सोशल मीडिया पर डालते ही यह तेजी से वायरल हो गया और पुलिस तक मामला पहुँच गया। पुलिस का कहना है कि इस तरह की पोस्ट न केवल समाज में शांति भंग कर सकती है, बल्कि आतंकियों की सोच को समर्थन भी दे सकती है। पुलिस ने इस शिक्षक को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। वहीं शिक्षा विभाग ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षक को निलंबित कर दिया है।

बताया जा रहा है कि शिक्षक ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक स्टेटस डाला था, जिसमें पहलगाम में हुए हमले को फर्जी और योजनाबद्ध बताया गया था। शिक्षक ने लिखा था कि यह सब एक साजिश है और लोगों को गुमराह करने के लिए फैलाया जा रहा है। जैसे ही यह स्टेटस सामने आया, लोगों में नाराजगी फैल गई। कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई और तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।

पुलिस का कहना है कि इस तरह की पोस्ट बहुत संवेदनशील माहौल में जहर घोल सकती है। खासकर जब देश का माहौल पहले से ही आतंकवाद के कारण तनावपूर्ण है, ऐसे में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा इस तरह का बयान देना बहुत गैरजिम्मेदाराना है। पुलिस ने शिक्षक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक पूछताछ में शिक्षक ने अपना अपराध कबूल कर लिया है और कहा है कि उसने यह स्टेटस बिना सोचे-समझे डाला था।

शिक्षा विभाग ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। विभाग ने तत्काल प्रभाव से शिक्षक को निलंबित कर दिया है। विभाग का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को ऐसे संवेदनशील मामलों पर सोच-समझकर बयान देना चाहिए। सरकारी सेवा में रहते हुए किसी भी तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत सहन नहीं की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा है कि शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी और उसकी सेवाओं पर आगे फैसला जांच पूरी होने के बाद लिया जाएगा।

लोगों का भी इस मामले पर तीखा प्रतिक्रिया सामने आया है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि जब एक शिक्षक, जो बच्चों को सही और गलत का पाठ पढ़ाता है, खुद इस तरह की अफवाहें फैलाता है, तो समाज का क्या होगा। लोगों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि दूसरों को भी सबक मिले।

देश में इस समय सुरक्षा को लेकर बहुत सतर्कता बरती जा रही है। आतंकी घटनाओं के बाद सुरक्षा एजेंसियां लगातार अलर्ट पर हैं। ऐसे में किसी भी तरह की अफवाह या गलत सूचना समाज में तनाव बढ़ा सकती है। सरकार और पुलिस दोनों इस तरह की हरकतों पर कड़ी नजर रख रही हैं। पुलिस ने लोगों से भी अपील की है कि अगर वे किसी भी तरह की भड़काऊ या गलत सूचना देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।

यह मामला यह भी बताता है कि सोशल मीडिया का उपयोग कितनी जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए। आजकल हर व्यक्ति के पास सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने की आजादी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम बिना सोच-विचार के कुछ भी लिखें। खासकर सरकारी कर्मचारियों को तो और भी ज्यादा सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि उनके हर शब्द को जनता गंभीरता से लेती है।

पुलिस ने यह भी बताया कि शिक्षक का स्टेटस उन ग्रुप्स और पेजों पर भी फैल गया था, जो देश विरोधी सोच रखते हैं। इस वजह से यह मामला और भी गंभीर बन गया। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि कहीं शिक्षक के किसी आतंकी संगठन से संबंध तो नहीं हैं। हालांकि अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि इस तरह की किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

शिक्षा विभाग ने अपने सभी कर्मचारियों को भी चेतावनी जारी की है कि वे सोशल मीडिया पर कोई भी टिप्पणी करते समय सतर्क रहें। विभाग ने कहा है कि अगर कोई भी कर्मचारी सरकारी सेवा के नियमों का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने सोशल मीडिया आचार संहिता का पालन करने की भी सलाह दी है।

यह घटना समाज के लिए भी एक सीख है। हमें यह समझना चाहिए कि सोशल मीडिया पर लिखी गई एक छोटी सी बात भी बड़े विवाद का कारण बन सकती है। जब देश के हालात नाजुक हों, तो और भी जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारी बातें दूसरों को प्रभावित कर सकती हैं।

लोगों ने शिक्षक के इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा है कि जब शिक्षक ही गलत संदेश फैलाएंगे, तो छात्रों को क्या सिखाएंगे। शिक्षक का काम बच्चों को सही दिशा दिखाना है, न कि अफवाहें फैलाना। इस घटना के बाद समाज में शिक्षकों की भूमिका को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। कई लोगों ने कहा कि शिक्षकों को भी सोशल मीडिया प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे समझ सकें कि किस तरह की बातें करना सही है और किस तरह की बातें नहीं।

पुलिस ने शिक्षक के मोबाइल फोन और सोशल मीडिया अकाउंट की भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या उसने पहले भी इस तरह की कोई पोस्ट की थी या किसी आतंकी ग्रुप के संपर्क में था। पुलिस ने कहा है कि अगर जांच में कुछ भी संदिग्ध पाया गया तो शिक्षक पर देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं मंब भी मामला दर्ज किया जा सकता है।

सरकार ने भी इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रखी है। सरकार का कहना है कि जो भी देश की एकता और अखंडता के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी सजा दी जाएगी।

इस घटना से साफ है कि सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। एक गलत शब्द भी आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकता है। खासकर जब आप सरकारी सेवा में हों, तो आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इस मामले ने सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी का काम किया है कि वे अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लें और बिना जांचे-परखे कोई भी टिप्पणी न करें।

अंत में, यह कहना गलत नहीं होगा कि यह घटना हमें सोशल मीडिया के सही उपयोग की अहमियत समझाती है। सोशल मीडिया एक शक्तिशाली साधन है, लेकिन इसका दुरुपयोग समाज को नुकसान पहुँचा सकता है। हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी लिखें या शेयर करें, वह सही और जिम्मेदारी भरा हो। तभी हम एक सुरक्षित और मजबूत समाज का निर्माण कर सकते हैं। इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और गलत काम करने वाले को सजा जरूर मिलेगी। शिक्षक का निलंबन और गिरफ्तारी समाज को एक संदेश देता है कि देश विरोधी गतिविधियों के लिए कोई जगह नहीं है, चाहे वह कोई भी हो।


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