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Friday, May 30, 2025

Help from just 155 rupees to 48 lakh rupees

 


Today, we will learn about a unique social effort that shows how a small amount can make a big difference when people come together with good intentions. This is the story of TSCT (Teachers Support and Care Team). In this campaign, people donated just ₹155, and each needy family received help of around ₹48 lakh. This is not just financial help but also an example of unity and kindness in our society.

How did it happen?

The plan of this campaign was very simple, but the result was amazing. Let's understand the key facts:

Total members in Uttar Pradesh: More than 3,11,161 teachers are a part of TSCT.

Amount donated by each person: Each member donated just ₹15.50 for one family.

Amount received by one family: Around ₹48 lakh.

Total families helped: 20 poor and needy families.

Time taken: The work was completed in just 13 days.

These numbers may seem modest, but they show how powerful unity and caring can be.

TSCT's mission and spirit

TSCT's main mission is to help teachers and their families when they are in financial crisis. The organisation runs on voluntary support. This means that people help without any pressure, and no one is treated unfairly.

The biggest learning from this campaign is: when everyone contributes a little bit, we can solve big problems. Every member proved that unity is powerful, even from ₹15.50.

Who got help?

The campaign helped 20 families. All of them were facing serious problems.

Some families did not have money for treatment.

Some children's education was getting interrupted.

Some families were not even able to pay their house rent.

In such difficult times, TSCT gave them new hope.

Who made this work possible?

This success was not possible only due to the members. Many teams helped in this work, like block teams, district teams, state IT cell, state executive, and the founding board. Everyone gave their time and effort to ensure that the help reached the right people in the right way.

A historic feat in just 13 days

Raising so much money in just 13 days and delivering it to the right families is a great success. This was possible only because everyone worked together with honesty and care.

Many times, people need help but do not know where to turn. TSCT is a platform that not only helps in money but also provides mental and emotional support.

Why is TSCT important?

There are thousands of teachers and their families who face problems in life. But they do not have a clear way to get help. TSCT is building a support network that:

Helps in times of need,

Maintains people's respect and trust,

Works with honesty and clarity.

A small amount from many people can make a big difference. This is the hallmark of TSCT.

TSCT is trustworthy and transparent

To maintain the trust of its members, TSCT provides complete details of every campaign. Anyone can see how and where the money was used. That is why more and more people are being encouraged to join TSCT.

This is just the beginning

This proves that when we come together, we can not only solve today's problems but also build a better future.

This campaign helped only 20 families this time, but it has inspired the entire society.

If ₹155 can help one family get ₹48 lakh, imagine how many more families we can help if we give a small amount every month.

This is not just financial help. It is a kind of social insurance, where we all protect each other.

This model can work in every state

The TSCT model is not just for teachers. It teaches everyone that unity and teamwork can solve big problems.

Let us all spread the word, join hands, and be a part of this beautiful change.




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मात्र 155 रुपए से 48 लाख रुपए तक की मदद

 


आज हम एक ऐसे खास सामाजिक प्रयास के बारे में जानेंगे जो दिखाता है कि जब लोग नेक इरादे से साथ आते हैं तो कैसे थोड़ी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यह कहानी है TSCT (टीचर्स सपोर्ट एंड केयर टीम) की। इस अभियान में लोगों ने सिर्फ़ ₹155 दिए और हर ज़रूरतमंद परिवार को लगभग ₹48 लाख की मदद मिली। यह न सिर्फ़ आर्थिक मदद है बल्कि हमारे समाज में एकता और दयालुता की मिसाल भी है।

कैसे हुआ यह?

इस अभियान की योजना बहुत सरल थी, लेकिन इसका नतीजा कमाल का रहा। आइए मुख्य तथ्यों को समझते हैं:

उत्तर प्रदेश में कुल सदस्य: 3,11,161 से ज़्यादा शिक्षक TSCT का हिस्सा हैं।

हर व्यक्ति द्वारा दी गई राशि: हर सदस्य ने एक परिवार के लिए सिर्फ़ ₹15.50 दिए।

एक परिवार को मिली राशि: लगभग ₹48 लाख।

कुल परिवारों की मदद की गई: 20 गरीब और जरूरतमंद परिवार।

लगा समय: यह काम सिर्फ़ 13 दिनों में पूरा हुआ।

ये संख्याएँ सामान्य लग सकती हैं, लेकिन ये दिखाती हैं कि एकता और देखभाल कितनी शक्तिशाली हो सकती है।

TSCT का लक्ष्य और भावना

TSCT का मुख्य लक्ष्य शिक्षकों और उनके परिवारों की मदद करना है, जब वे आर्थिक संकट में हों। यह संगठन स्वैच्छिक मदद से चलता है। इसका मतलब है कि लोग बिना किसी दबाव के मदद करते हैं और किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाता।

इस अभियान से सबसे बड़ी सीख यह है: जब हर कोई थोड़ी-थोड़ी मदद करता है, तो हम बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। हर सदस्य ने साबित किया कि एकता शक्तिशाली है - ₹15.50 से भी।

किसको मिली मदद?

इस अभियान में 20 परिवारों की मदद की गई। ये सभी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे।

कुछ परिवारों के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे।

कुछ बच्चों की पढ़ाई रुक रही थी।

कुछ परिवार अपने घर का किराया भी नहीं दे पा रहे थे।

ऐसे मुश्किल समय में TSCT ने उन्हें नई उम्मीद दी।


इस काम को किसने संभव बनाया?

यह सफलता सिर्फ़ सदस्यों की बदौलत संभव नहीं थी। इस काम में कई टीमों ने मदद की - जैसे ब्लॉक टीमें, जिला टीमें, राज्य आईटी सेल, राज्य कार्यकारिणी और संस्थापक मंडल। सभी ने अपना समय और प्रयास दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मदद सही लोगों तक सही तरीके से पहुंचे।

सिर्फ़ 13 दिनों में एक ऐतिहासिक काम

सिर्फ़ 13 दिनों में इतना पैसा इकट्ठा करना और उसे सही परिवारों तक पहुँचाना एक बड़ी सफलता है। यह सिर्फ़ इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सभी ने ईमानदारी और देखभाल के साथ मिलकर काम किया।

कई बार लोगों को मदद की ज़रूरत होती है लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाएँ। TSCT एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो न सिर्फ़ पैसे में मदद देता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देता है।

TSCT क्यों ज़रूरी है?

हज़ारों शिक्षक और उनके परिवार हैं जो जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। लेकिन उनके पास मदद पाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है। TSCT एक ऐसा सहायता नेटवर्क बना रहा है जो:

ज़रूरत के समय मदद करता है,

लोगों का सम्मान और भरोसा बनाए रखता है,

ईमानदारी और स्पष्टता से काम करता है।

बहुत से लोगों की एक छोटी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यही TSCT की पहचान है।

TSCT भरोसेमंद और पारदर्शी है

अपने सदस्यों का भरोसा बनाए रखने के लिए TSCT हर अभियान का पूरा ब्यौरा देता है। कोई भी देख सकता है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया गया। इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को TSCT से जुड़ने के लिए कहा जा रहा है।


यह तो बस शुरुआत है

इससे यह सिद्ध होता है कि जब हम साथ आते हैं, तो हम न सिर्फ़ आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं, बल्कि एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सकते हैं।

इस अभियान ने इस बार सिर्फ़ 20 परिवारों की मदद की, लेकिन इसने पूरे समाज को प्रेरित किया है।

अगर ₹155 से एक परिवार को ₹48 लाख मिल सकते हैं, तो सोचिए कि अगर हम हर महीने थोड़ी सी रकम दें, तो हम कितने और परिवारों की मदद कर सकते हैं।

यह सिर्फ़ आर्थिक मदद नहीं है। यह एक तरह का सामाजिक बीमा है, जहाँ हम सब एक-दूसरे की रक्षा करते हैं।


यह मॉडल हर राज्य में काम कर सकता है

TSCT मॉडल सिर्फ़ शिक्षकों के लिए नहीं है। यह सभी को सिखाता है कि एकता और टीमवर्क से बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

आइए हम सब मिलकर इस बात को फैलाएँ, हाथ मिलाएँ और इस खूबसूरत बदलाव का हिस्सा बनें।


👉बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की ओर उत्तर प्रदेश https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/basic-shiksha-yojna-2025.html


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Tuesday, May 27, 2025

TSCT – शिक्षकों की सेवा और सहयोग की मिसाल

 


आज हम एक ऐसी संस्था की बात करने जा रहे हैं जो शिक्षकों के जीवन में उम्मीद, सहयोग और इंसानियत की नई रौशनी लेकर आई है – TSCT यानी "teachers self care team”। यह संस्था ना सिर्फ एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है, बल्कि यह पूरे उत्तर प्रदेश में शिक्षक समुदाय के बीच एक मजबूत सहारा बनकर उभरी है। जब इसका गठन हुआ था, तब किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि आने वाले समय में यह 4 लाख शिक्षकों के विश्वास की मिसाल बनेगी। यह केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक भावना है, एक परिवार है जो हर मुश्किल घड़ी में अपने साथियों के साथ खड़ा रहता है।

TSCT की स्थापना और उसका उद्देश्य:

करीब पाँच साल पहले, जब TSCT की स्थापना हुई, तब इसका मकसद था – संकट के समय में शिक्षक साथियों की मदद करना। इस संस्था की नींव ऐसे लोगों ने रखी जो निस्वार्थ भाव से समाज और शिक्षक समुदाय की भलाई के लिए समर्पित थे। धीरे-धीरे यह संस्था एक आंदोलन बन गई। हजारों शिक्षक जुड़ते गए, मदद करने लगे और जरूरतमंदों को संबल देने लगे।

TSCT का उद्देश्य है कि आज हम जिन लोगों की मदद करते हैं, वही कल को किसी और की मदद करने वाले बनें। यानी – आज का सहयोग, कल का सहारा। यही संस्था का मूलमंत्र है।

15 मई 2025 से चल रहा सहयोग अभियान:

इस वर्ष 15 मई से TSCT का एक और सहयोग अभियान शुरू हुआ, जिसमें दो ऐसे परिवारों को सहायता दी गई जिनकी स्थितियाँ बहुत भावुक करने वाली थीं:

1. स्वर्गीय हरीश गंगवार जी (बरेली):

एक कर्मठ और निष्ठावान शिक्षक जो जीवनभर सहयोग के भाव से जुड़े रहे। उनके निधन के बाद TSCT ने उनके परिवार की मदद के लिए कदम आगे बढ़ाया।

2. आजमगढ़ के शिक्षा मित्र का परिवार:

एक ऐसा परिवार जो आज भी छप्पर के नीचे जीवन यापन कर रहा है, जिसके पास खुद का घर नहीं है। उनके हालात देखकर हर कोई भावुक हो गया और TSCT ने इस परिवार की मदद कर मिसाल पेश की।

एक अनोखा और भावनात्मक अनुभव:

इस माह एक और बहुत महत्वपूर्ण और दिल को छू जाने वाली घटना घटी। TSCT ने उस दिवंगत शिक्षक साथी के परिवार की मदद की, जिसने कभी संस्था की निंदा की थी। उन्होंने TSCT के संस्थापक मंडल और उसके सदस्यों को सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश की, आपसी बातचीत के ऑडियो और स्क्रीनशॉट सार्वजनिक किए और संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया।

लेकिन जब वह शिक्षक गंभीर बीमारी से पीड़ित हुए और संस्था से जुड़ना चाहा, तो TSCT ने उन्हें खुले दिल से अपनाया। किसी ने भी उनकी पिछली बातों का बदला नहीं लिया। बल्कि संस्था के सभी सदस्यों ने ईश्वर से उनके स्वास्थ्य की कामना की। दुर्भाग्यवश उनका निधन हो गया। लेकिन उनके परिवार को TSCT ने पूरा सहयोग देकर यह सिद्ध कर दिया कि मानवता सबसे ऊपर है।

यह उदाहरण बताता है कि TSCT केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक संस्कार है – क्षमा, सेवा और अपनत्व का प्रतीक।

नियम और व्यवस्था की आवश्यकता:

TSCT जैसे बड़े समूह को चलाना कोई आसान काम नहीं। जब कोई व्यवस्था चलती है, तो उसमें नियम बनाना जरूरी होता है। लेकिन नियम कभी किसी को लाभ देते हैं तो कभी किसी को कठिनाई भी होती है। यही जीवन का सच है।

हर किसी को खुश रखना संभव नहीं, लेकिन अगर सोच और नीयत सही हो, तो संस्था अपने रास्ते पर मजबूती से चल सकती है। TSCT के संचालकों ने हमेशा यह कोशिश की कि किसी भी सदस्य के साथ अन्याय ना हो। कोई भूखा ना रहे, कोई संकट में अकेला ना पड़े, यह संस्था का संकल्प है।

TSCT क्यों है खास?

सहयोग की भावना: हर सदस्य दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता है।

समर्पण: TSCT के संचालकों ने बिना किसी लाभ की उम्मीद के सेवा को अपना धर्म बना लिया है।

पारदर्शिता: संस्था में हर निर्णय खुले मंच पर साझा किया जाता है ताकि किसी को कोई भ्रम ना रहे।

समुदाय का विश्वास: पूरे प्रदेश के 80% से अधिक शिक्षक TSCT से जुड़े हैं, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

TSCT का संदेश:

TSCT का यही संदेश है कि आप संस्था के नियमों या नेतृत्व से मतभेद रख सकते हैं, लेकिन पूरी संस्था या प्रदेश के लाखों शिक्षकों से नाराजगी रखना अनुचित है। जो संस्था लाखों लोगों के दुःख में सहभागी है, जो हर आहट पर मदद के लिए तैयार है, उसका उद्देश्य हमेशा सेवा ही रहा है।

जब कोई शिक्षक TSCT की सहायता से फिर से मुस्कुराता है, जब किसी शिक्षक परिवार की रसोई में खाना बनता है, जब किसी विधवा को बच्चों की पढ़ाई का सहारा मिलता है – तब TSCT का हर सदस्य गौरव अनुभव करता है।

संस्था की ताकत – उसका संगठन:

TSCT आज जिस ऊँचाई पर है, उसका श्रेय उन हजारों शिक्षकों को जाता है जिन्होंने तन-मन-धन से संस्था को सींचा है। चाहे बाढ़ हो, बीमारी हो या आकस्मिक मृत्यु – TSCT हमेशा साथी के घर पहले पहुँचती है।

इसके संचालन में कोई राजनीति नहीं, कोई स्वार्थ नहीं – बस सेवा की भावना है। यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं, हर कोई "TSCT परिवार" का सदस्य है।

निष्कर्ष:

TSCT की कहानी सिर्फ एक संस्था की नहीं है, बल्कि यह उस संस्कृति की कहानी है जिसमें "वसुधैव कुटुम्बकम्" यानी पूरी दुनिया को परिवार मानने की सोच है। किसी की निंदा से नहीं, किसी के साथ खड़े होने से संगठन बनते हैं।

इसलिए अगर आप कभी किसी शिक्षक साथी को परेशानी में देखें, तो TSCT की याद ज़रूर करें। शायद वही दिन आपके जीवन का सबसे बड़ा दिन बन जाए।

TSCT का नारा:

"आज का सहयोग, कल का सहारा" – यह केवल शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्शन है जो हर शिक्षक को भाईचारे और मानवता की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

अंतिम संदेश:

अगर आप TSCT से अभी तक नहीं जुड़े हैं, तो यह समय है जुड़ने का, सहयोग करने का, एक नए युग की शुरुआत करने का।

ईश्वर की कृपा, शिक्षक साथियों का समर्थन, और संगठन की नीयत अगर सच्ची हो – तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

TSCT – सबका साथ, सबका सहयोग, सबका विश्वास, सबका प्रयास 

 

👉बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की ओर उत्तर प्रदेश  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/basic-shiksha-yojna-2025.html

 

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         👉Jamia Urdu Degrees Rejected by Court for Teacher Jobs

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होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/censusnews.html  


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Monday, May 26, 2025

बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की ओर उत्तर प्रदेश

 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया 3300 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ

लखनऊ, 26 मई 2025 — उत्तर प्रदेश में बच्चों को बेहतर भविष्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन सभागार में एक विशाल कार्यक्रम के माध्यम से 3300 करोड़ रुपये की शिक्षा परियोजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा राष्ट्र निर्माण की नींव है और इसे मजबूत बनाने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है।

शिक्षा में बड़ा निवेश: नए स्कूल भवन और डिजिटल साधनों की शुरुआत

मुख्यमंत्री योगी ने कार्यक्रम के दौरान 139 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के उच्चीकृत भवनों और अतिरिक्त डॉरमेट्री का लोकार्पण किया। इसके अलावा 43 मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों और 66 मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालयों की आधारशिला रखी गई। इस पहल का मकसद ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में बच्चों को आधुनिक शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

हर विद्यार्थी को मिले समान अवसर: डीबीटी के ज़रिए ₹1200 ट्रांसफर

सीएम योगी ने यूनिफॉर्म, बैग, जूते, मोजे और स्टेशनरी के लिए प्रत्येक छात्र को ₹1200 की धनराशि अभिभावकों के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए भेजी। यह राशि प्रदेश के 1.5 करोड़ से अधिक बच्चों को दी गई है। मुख्यमंत्री ने सभी अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि इस पैसे का उपयोग बच्चों की ज़रूरतों पर ही हो।

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा: स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और टैबलेट्स वितरण

शिक्षा को तकनीक से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 7,409 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, 5,258 विद्यालयों में आईसीटी लैब, और 51,667 शिक्षकों को टैबलेट्स वितरित किए। साथ ही 503 पीएम श्री विद्यालयों में डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया।

‘निपुण प्लस एप’ से होगा स्मार्ट असेसमेंट, स्टूडियो से शिक्षा का प्रसारण

मुख्यमंत्री ने राज्य शैक्षिक तकनीकी संस्थान में एजुकेशनल ब्रॉडकास्ट स्टूडियो की शुरुआत की, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिक्षण सामग्री प्रसारित की जा सकेगी। साथ ही कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए ‘निपुण प्लस एप’ की शुरुआत की गई, जिससे उनका स्मार्ट असेसमेंट किया जाएगा।

शिक्षकों की अहम भूमिका: अनुपात सुनिश्चित और प्रशिक्षु शिक्षकों को नया अनुभव

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त रखी जाएगी और शिक्षक-छात्र अनुपात हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा। बीएड और एमएड के छात्रों को निपुण आकलन कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई ताकि उन्हें फील्ड का अनुभव मिल सके और शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो।

ऑपरेशन कायाकल्प ने बदली स्कूलों की तस्वीर

सीएम योगी ने बताया कि 2017 से पहले बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की हालत जर्जर थी, वहां साफ-सफाई, शौचालय, पीने का पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। लेकिन ऑपरेशन कायाकल्प के तहत यह सब कुछ बदला है। अब इन स्कूलों में खेल मैदान, स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, और शौचालय जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

हर विधानसभा क्षेत्र में खुलेगा मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय

सीएम योगी ने घोषणा की कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय खोला जाएगा, जो प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक की शिक्षा एक ही परिसर में देगा। इन स्कूलों में साइंस लैब, कंप्यूटर लैब, स्टेडियम, और मल्टीपर्पज हॉल जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

समर कैंप में बच्चों के समग्र विकास की तैयारी

मुख्यमंत्री ने समर कैंप में बच्चों के सर्वांगीण विकास की बात करते हुए कहा कि इनमें खेल, संगीत, नृत्य, नाटक, और योग जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए अभी से तैयारी की जाए और आयुष मंत्रालय के योग प्रोटोकॉल को लागू किया जाए।

‘स्कूल चलो अभियान’ को मिले नई गति, कोई बच्चा न छूटे

सीएम योगी ने ‘स्कूल चलो अभियान’ को तेज़ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गांवों में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए, इसके लिए शिक्षक और प्रधानाचार्य घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल में जोड़ें। नए बच्चों का स्वागत ढोल-नगाड़े के साथ हो और स्वच्छता को विद्यालयों से जोड़ा जाए।

शिक्षकों को किया गया सम्मानित, नई किताबों का विमोचन

निपुण आकलन में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 5 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। साथ ही एससीईआरटी द्वारा तैयार की गई दो नई पुस्तकें ‘सारथी’ और ‘अनुरूपण’ का विमोचन भी किया गया, जो शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देंगी।

बच्चों की प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री ने किया अवलोकन

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों द्वारा तैयार की गई शैक्षिक प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और बच्चों से उनकी परियोजनाओं की जानकारी ली। बच्चों ने अपनी कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित परियोजनाएं प्रस्तुत कीं।

मुख्यमंत्री का संदेश: शिक्षक बनाएं देश का भविष्य

मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का भविष्य गढ़ते हैं और उनका सम्मान तभी है जब वे बच्चों को उज्ज्वल भविष्य दे पाएं। समय का सदुपयोग करें और बच्चों की प्रतिभा को निखारें।

कार्यक्रम में शामिल हुए कई गणमान्य व्यक्ति

इस भव्य कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, और अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, सहित बड़ी संख्या में अधिकारी और शिक्षक उपस्थित रहे।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तुत यह संपूर्ण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, डिजिटल साधनों का उपयोग, बच्चों की समग्र प्रतिभा का विकास और शिक्षकों की भूमिका को सम्मान देने के उद्देश्य से यह पहल एक मजबूत बुनियाद तैयार कर रही है। यह कदम न केवल बच्चों के भविष्य को संवारने वाला है, बल्कि पूरे समाज को आगे बढ़ाने वाला है।

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विद्यालय में तोड़फोड़ से हड़कंप

 


बिहार राज्य के मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत नीरपुर पंचायत के फुलकिया गांव में एक बेहद दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां कुछ अज्ञात दबंगों ने मध्य विद्यालय फुलकिया के भवन को रविवार की रात जेसीबी मशीन से गिरा दिया। यह विद्यालय गांव के सैकड़ों बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र है, जहां लगभग 200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। रविवार की रात को हुई इस घटना में स्कूल की चारदीवारी और दो कमरों वाला किचन भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। यह किचन भवन बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता था। सोमवार की सुबह जब स्कूल की प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा विद्यालय पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि विद्यालय की पूर्वी दिशा की दीवार टूटी हुई है और किचन भवन पूरी तरह गिरा पड़ा है।

इस घटना से प्रधानाध्यापिका समेत पूरे विद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा और विद्यालय प्रबंध समिति की सचिव अंबिका देवी ने मिलकर बरियारपुर थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि यह घटना किसी भी सामान्य तोड़फोड़ की नहीं, बल्कि सुनियोजित योजना का हिस्सा लगती है। विद्यालय की संपत्ति को इस तरह से रात के अंधेरे में नुकसान पहुंचाना एक गंभीर अपराध है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

स्थानीय ग्रामीणों ने घटना के पीछे मंदिर निर्माण को मुख्य कारण बताया है। गांव के पीछे श्री मंगला काली मां का मंदिर बन रहा है। पहले मंदिर का रास्ता विद्यालय के पश्चिमी हिस्से से होकर जाता था। लेकिन अब मंदिर निर्माण में लगे लोगों ने एक नया रास्ता निकालने की योजना बनाई है, जो सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग NH-80 से मंदिर को जोड़ सके। इसी योजना के चलते विद्यालय की दीवार और रसोईघर को जेसीबी से गिरा दिया गया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को जबरदस्त तरीके से मंदिर की चारदीवारी का निर्माण कार्य चलता रहा, जबकि प्रशासन ने किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी थी। यह प्रशासनिक आदेशों की खुली अवहेलना है।

विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था पर इस घटना का सीधा असर पड़ा है। लगभग 200 नामांकित बच्चों की पढ़ाई नए भवन में तो होती है, लेकिन मध्यान्ह भोजन का पकवान इसी टूटे हुए भवन में किया जाता था। अब चूल्हे, गैस सिलेंडर, बर्तन और अन्य रसोई सामग्री खुले मैदान में पड़ी है, जो कि बच्चों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। कई माता-पिता अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हैं। कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि जल्द ही स्कूल की मरम्मत और रसोईघर का पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो बच्चों का विद्यालय आना कम हो जाएगा, जिससे उनकी शिक्षा पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा।

जिला परियोजना अधिकारी (डीपीओ) आनंद वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विद्यालय भवन को गिराना पूरी तरह से गैरकानूनी है और यह शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है। उन्होंने प्रधानाध्यापिका को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। बरियारपुर के बीडीओ देव मोहम्मद असगर अली ने भी कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं मुंगेर के जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने भी मामले की जानकारी मिलने पर जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद मंदिर निर्माण कार्य चलता रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दबंग लोगों को कानून का कोई डर नहीं है। बरियारपुर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जेसीबी मालिक, मंदिर निर्माण समिति और मजदूरों से पूछताछ की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना केवल एक विद्यालय की चारदीवारी गिराए जाने की नहीं, बल्कि समाज की प्राथमिकताओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। जब एक सरकारी विद्यालय, जहां गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, को इस तरह से निशाना बनाया जाता है, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए भी खतरे की घंटी है। मंदिर जैसे धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए यदि बच्चों की शिक्षा के स्थान को गिराया जा रहा है, तो यह सामाजिक न्याय की मूल भावना के विपरीत है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। कई संगठनों ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए जिला प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं अन्य गांवों में भी दोहराई जा सकती हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था को और नुकसान होगा।

अभी विद्यालय प्रशासन, ग्रामीण और अधिकारी इस मामले में एकमत हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और विद्यालय की चारदीवारी और रसोईघर का पुनर्निर्माण शीघ्र कराया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी विद्यालय या सार्वजनिक संपत्ति को धार्मिक या निजी हितों के लिए इस प्रकार से नुकसान न पहुंचाया जा सके।

सरकारी विद्यालय देश के भविष्य निर्माता बच्चों की शिक्षा का आधार हैं। इन्हें सुरक्षित और सशक्त रखना पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर समाज की आंखों के सामने कोई विद्यालय तोड़ा जाता है और लोग चुप रहते हैं, तो वह चुप्पी एक दिन पूरे भविष्य पर भारी पड़ सकती है।

फुलकिया गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि शिक्षा के मंदिरों को बचाना अब केवल सरकार या प्रशासन का कार्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम विकास के नाम पर क्या खो रहे हैं और किस दिशा में बढ़ रहे हैं।

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका अब सबसे अहम है। यदि जिला प्रशासन समय पर जांच पूरी करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता है और स्कूल का पुनर्निर्माण करवाता है, तो यह न केवल फुलकिया गांव, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में किसी विद्यालय को इस तरह की घटनाओं का सामना न करना पड़े।

फुलकिया गांव का विद्यालय अब न्याय की प्रतीक्षा में है। बच्चों की मासूम आंखें एक बार फिर से साफ-सुथरे, सुरक्षित रसोईघर और मजबूत दीवारों वाले विद्यालय की ओर देख रही हैं। उन्हें यह भरोसा दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है कि उनकी शिक्षा, पोषण और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, प्रबंध समिति, ग्रामीण और प्रशासन मिलकर इस नुकसान की भरपाई करेंगे, ऐसा विश्वास हर नागरिक को होना चाहिए। शिक्षा का दीपक किसी भी परिस्थिति में बुझने नहीं देना है। यही इस घटना से मिलने वाला सबसे बड़ा संदेश है।



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