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Friday, May 30, 2025

E-Office System in UP Basic Education Department



The Government of Uttar Pradesh has taken a big step to improve the work system in the Basic Education Department. Now, all the offices of this department will use a digital system called e-office. This system will make all the work online, so files will not be moved by hand from one officer to another. Everything will be done through computers.

Right now, many files in the education department take a long time to move. Sometimes, officers or clerks keep the files with them for many days without doing any work. Teachers have to visit the office again and again to get their work done. Often, they face delays and even have to give bribes. This causes stress and waste of time for teachers and employees.

With the new e-office system, this problem will be solved. All files will be moved online. Officers will not be able to stop any file without a reason. Every step will be recorded on the computer. Anyone can check where the file is and who is working on it. This will bring transparency and responsibility to the system.

The Director of Basic Education has given clear orders that this system should be started as soon as possible in all offices. Once this system starts, no one will be able to delay work or hide files. Every officer and clerk will have to do their work on time because the system will keep a digital record.

The e-office system has many benefits. First, it will save time. Work will be done faster, and teachers will not have to visit the office again and again. Second, it will stop corruption. Since everything is online, no one can ask for bribes to move files. Third, it will protect files. Digital files cannot be lost or damaged like paper files. They will also be signed with digital signatures, so no one can change them.

Another big benefit is that this system will save paper and money. Every year, the education department uses lakhs of pages of paper. With the e-office system, most of the work will be done without paper. This will help the environment and reduce expenses.

The article also says that sometimes officers delay work to earn money. But now, that will stop. If anyone holds a file without a reason, the computer will show it. Senior officers will be able to see who is responsible. Action can be taken against them quickly.

Every year, around 5 to 7 lakh files are handled in the education department. After starting the e-office, all this work will become easy and smooth. Teachers can also check the status of their files online. They will not need to take leave from school or travel far to get updates.

This system will also make it easier to prepare reports and manage data. Information like school details, teacher records, and office reports will be available in just a few clicks. This will help the government in planning and making quick decisions.

Basic Education Minister Sandeep Singh said that the e-office system will reduce harassment of teachers and improve working conditions in the department. He believes that this step will bring honesty, speed, and responsibility. The department will become more efficient and modern.

In the past, some people offered bribes to move their files faster. But now, with this digital system, everything will be recorded. No officer or clerk will be able to misuse their position. The system will help stop wrong activities.

In the end, this e-office system will bring a big change. It will help teachers, improve education services, and make the government department stronger. If successful, other departments may also start using such systems in the future. This is a great example of how technology can help in building a better and honest system for everyone.


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बीटीसी-2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का फायदा नहीं मिलेगा

 

यह खबर उत्तर प्रदेश के उन 35 हजार से ज्यादा शिक्षकों के लिए एक बड़ा झटका है, जो 2004 में नियुक्त हुए थे और उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने एक पत्र में साफ कर दिया है कि इन शिक्षकों को अब पुरानी पेंशन योजना का फायदा नहीं दिया जाएगा। यह जानकारी प्रयागराज से आई है, जहां यह मामला लंबे समय से चर्चा में था।

यह बात इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार ने 1 जनवरी 2004 से नई पेंशन योजना लागू कर दी थी, जिसके बाद पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया था। लेकिन 2004 में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी, और बहुत से शिक्षकों को लगता है कि उन्हें उसी समय की पेंशन योजना मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि भर्ती प्रक्रिया 2004 में शुरू हुई थी, इसलिए उन्हें भी पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए।

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने जो जवाब दिया, उसमें कहा गया है कि 2004 की भर्ती प्रक्रिया भले ही उस साल शुरू हुई थी, लेकिन नियुक्ति पत्र दिसंबर 2005 और जनवरी 2006 में जारी किए गए थे। उस समय तक पुरानी पेंशन योजना बंद हो चुकी थी और नई योजना लागू हो चुकी थी। इसी वजह से इन शिक्षकों को पुरानी पेंशन नहीं दी जा सकती।

शिक्षकों की तरफ से विधान परिषद में एमएलसी अरुण कुमार पाठक ने यह सवाल उठाया था। उन्होंने मांग की थी कि 2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। इस पर सरकार की तरफ से कहा गया कि यह संभव नहीं है, क्योंकि नियम साफ हैं कि जो भी नियुक्ति 31 अक्टूबर 2005 के बाद हुई है, उन्हें नई पेंशन योजना के अनुसार ही लाभ मिलेगा।

शिक्षकों की नाराजगी इस बात को लेकर है कि उन्होंने परीक्षा और चयन की प्रक्रिया 2004 में पूरी कर ली थी। लेकिन जब नियुक्ति पत्र मिला, तब तक नियम बदल चुके थे। इस कारण उन्हें पुरानी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। उनका कहना है कि यह उनके साथ अन्याय है।

इस भर्ती के तहत लगभग 35,378 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। यह नियुक्ति प्रक्रिया ‘बीटीसी-2004’ नाम से जानी जाती है। इन शिक्षकों ने 2004 में प्रशिक्षण शुरू किया था और उसके बाद चयनित होकर नियुक्त हुए। लेकिन विभाग का कहना है कि भर्ती की प्रक्रिया पूरी होने की तिथि ही मान्य होती है, न कि सिर्फ चयन या प्रशिक्षण की तारीख।

सरकार का कहना है कि उन्होंने 31 अक्टूबर 2005 को एक शासनादेश जारी किया था, जिसमें साफ लिखा था कि इस तारीख के बाद जिनकी नियुक्ति होगी, उन्हें नई पेंशन योजना में ही रखा जाएगा। चूंकि बीटीसी-2004 बैच के शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिसंबर 2005 और जनवरी 2006 में मिला, इसलिए वे उस आदेश के तहत आते हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद ने यह भी कहा है कि शासन के आदेश और नियमों के अनुसार ही शिक्षकों को लाभ मिल सकता है। इसलिए इस मामले में किसी तरह की छूट या विशेष अनुमति नहीं दी जा सकती। जो नियुक्तियां आदेश के बाद हुई हैं, उन्हें पुरानी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

हालांकि शिक्षक इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि यह नाइंसाफी है। उन्होंने 2004 में परीक्षाएं दीं, प्रशिक्षण लिया, और नियुक्ति प्रक्रिया में समय लगाया। अब सिर्फ इस कारण कि नियुक्ति पत्र कुछ समय बाद मिला, उन्हें पुरानी योजना से बाहर कर दिया गया। यह उनके साथ अन्याय है।

शिक्षकों का कहना है कि सरकार को इस मामले में सहानुभूति दिखानी चाहिए। उन्हें वह लाभ मिलना चाहिए जो उनके साथियों को पहले मिला था। यदि नियुक्ति प्रक्रिया में देरी सरकार की ओर से हुई थी, तो उसकी सजा शिक्षकों को नहीं मिलनी चाहिए।

कई शिक्षक संगठनों ने भी इस फैसले का विरोध किया है और सरकार से मांग की है कि वह इस निर्णय पर पुनर्विचार करे। उनका कहना है कि अगर सरकार चाहें तो इस पर विशेष छूट देकर शिक्षकों को पुरानी योजना में शामिल कर सकती है।

फिलहाल सरकार ने यह साफ कर दिया है कि बीटीसी-2004 बैच के शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना नहीं मिलेगी। यह आदेश 28 जून 2024 तक लागू रहेगा और आगे भी इसमें बदलाव की संभावना कम ही है।

इस फैसले से हजारों शिक्षक प्रभावित होंगे। उन्होंने सालों तक सेवा दी है और अब उन्हें नई योजना के तहत रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन पर निर्भर रहना होगा। नई पेंशन योजना में मिलने वाली रकम निश्चित नहीं होती, इसलिए बुजुर्ग अवस्था में परेशानी हो सकती है।

इसलिए शिक्षक चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे और पुरानी योजना को उनके लिए फिर से लागू करे। अगर यह नहीं होता है, तो शिक्षक संगठन आंदोलन की राह भी अपना सकते हैं या अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं।

कुल मिलाकर यह मामला भावनात्मक, प्रशासनिक और कानूनी तीनों रूपों में काफी बड़ा है। शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं और सरकार नियमों का पालन करने की बात कर रही है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में कोई राहत देती है या नहीं। शिक्षक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले समय में उनके साथ न्याय होगा।



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Teachers of BTC-2004 batch will not get the benefit of old pension scheme

 

This news is about more than 35,000 teachers in Uttar Pradesh who are very sad because they will not get the old type of pension after retirement. These teachers were selected in the BTC 2004 batch. They were hoping to get the same pension benefits as older teachers, but now the government has said no.

The Basic Education Council Secretary has written a letter saying clearly that these teachers will not get the old pension. This matter was being discussed for a long time. Teachers thought they should get the old pension because their training and selection had started in 2004. But the government changed the pension system on January 1, 2004.

A member of the Legislative Council, Mr. Arun Kumar Pathak, asked the government to give the 2004 teachers the old pension. But the answer from the government was that the appointment letters were given in December 2005 and January 2006, and by then, the new pension system had already started. So, the rule of the new system will apply to them.

The government had issued an order on 31 October 2005. In that order, it was clearly written that any teacher who joins after this date will not get the old pension. Because BTC-2004 teachers got their appointment after this date, they will not get the old system of pension.

Teachers are feeling very upset because they gave exams, did training, and were selected in 2004. But just because the appointment letters came late, they are being told they cannot get the old pension. Teachers say it was not their fault that the letters came late, so they should not be punished.

In this 2004 batch, about 35,378 teachers were selected. They finished their training in 2004 and waited for their joining. But the department says that only the joining date is important when deciding the pension, not the training date.

The Basic Education Council also said that it will follow the rules made by the government and cannot give any special benefits. The teachers are not happy with this and are asking the government to think again. They say they should be given the same pension as other teachers who joined around that time.

Many teacher groups are asking the government to give some help to these teachers. They believe the delay in appointments was due to the government’s process, not the teachers. So, the teachers should get justice.

Right now, the decision says these teachers will be under the new pension plan. This rule will stay till at least 28 June 2024. The new pension plan does not give a fixed amount every month after retirement. That’s why teachers are scared they won’t have enough money when they get old.

The teachers are now hoping that the government will think again. If not, they may protest or go to court. They want to fight for their rights.

This is a big issue for many teachers who have given years of service. They feel they are being treated unfairly. The government is following the rules, but the teachers want kindness and support.

In the end, we will have to wait and see if the government changes its mind or not. The teachers are still hopeful that they will get what they deserve.



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👉यूपी सरकार और मोनाश यूनिवर्सिटी के बीच ऐतिहासिक एमओयू


👉बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की ओर उत्तर प्रदेश https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/basic-shiksha-yojna-2025.html


👉जामिया उर्दू की डिग्रियां अमान्य, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/jamia-urdu-verdict-2025.html


👉भारत में फिर लौटा कोरोना, मुंबई में 53 नए केस, सतर्कता ज़रूरी https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/corona.html


👉उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/abhyudhya.html


शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html


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यूपी सरकार और मोनाश यूनिवर्सिटी के बीच ऐतिहासिक एमओयू

 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में हुआ ऐतिहासिक एमओयू, यूपी के छात्रों और शिक्षकों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय मंच से जुड़ने का अवसर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार और ऑस्ट्रेलिया की प्रसिद्ध मोनाश यूनिवर्सिटी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा को केवल डिग्री पाने का माध्यम नहीं मानती, बल्कि राज्य के समग्र विकास की धुरी मानती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह एमओयू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप है, जो बहुआयामी अधिगम, कौशल विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमारे छात्र और शिक्षक केवल प्रदेश या देश तक ही सीमित न रहें, बल्कि दुनिया के मंच पर भी अपनी पहचान बनाएं।

इस समझौते के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के छात्रों और शिक्षकों को ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से शोध, अनुसंधान, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग का अवसर मिलेगा। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ज्ञान और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी का किया जिक्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के साथ भी सहभागिता की थी, जिसका लाभ प्रदेश के छात्रों को मिला। अब मोनाश यूनिवर्सिटी के साथ यह गठबंधन शिक्षा के वैश्विक मानकों की ओर एक और मजबूत कदम है। उन्होंने बताया कि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय इस साझेदारी का केंद्र बनेगा और इस एमओयू को जमीनी स्तर पर लागू करने में अहम भूमिका निभाएगा।

मुख्य सचिव ने दी जानकारी

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इस एमओयू के जरिए उत्तर प्रदेश के विद्यार्थी और शिक्षक अंतरराष्ट्रीय मंच से जुड़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत और ऑस्ट्रेलिया के शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूती देगा।

मोनाश यूनिवर्सिटी क्या है?

मोनाश यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी है, जो शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण के क्षेत्र में दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह यूनिवर्सिटी हर साल लगभग 30,000 शिक्षकों को प्रशिक्षण देती है। इन प्रशिक्षकों में अफगानिस्तान और म्यांमार जैसे देशों के शिक्षक भी शामिल होते हैं, जहां लंबे समय से युद्ध और संघर्ष का माहौल है।

अब यूपी के शिक्षक भी होंगे लाभान्वित

मोनाश यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रोफेसर मनीषा ने बताया कि अब उत्तर प्रदेश के शिक्षक भी इस वैश्विक प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ेंगे। इससे उनके शिक्षण कौशल में सुधार होगा और वे नई तकनीकों और विधियों को सीख पाएंगे।

छात्रों को मिलेगा रिसर्च और स्कॉलरशिप का अवसर

इस समझौते के माध्यम से यूपी के छात्रों को रिसर्च (अनुसंधान) के लिए नई दिशा मिलेगी। उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाकर पढ़ाई करने और वहां के छात्रों के साथ मिलकर काम करने का मौका मिलेगा। इसके साथ ही कुछ प्रतिभाशाली छात्रों को स्कॉलरशिप भी मिल सकती है।

नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप कदम

यह समझौता नई शिक्षा नीति 2020 के उन लक्ष्यों को आगे बढ़ाता है, जिनमें शिक्षा को व्यावहारिक बनाना, छात्रों में सोचने की क्षमता बढ़ाना, और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना शामिल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह साझेदारी उत्तर प्रदेश के युवाओं को वैश्विक मंच से जोड़ने की दिशा में एक ठोस पहल है।

शिक्षकों को मिलेगा उन्नत प्रशिक्षण

अब यूपी के शिक्षक आधुनिक शिक्षण तकनीकों से रूबरू होंगे। वे डिजिटल माध्यमों, स्मार्ट लर्निंग, प्रोजेक्ट आधारित पढ़ाई और छात्र केंद्रित शिक्षण विधियों को अपनाएंगे। इससे छात्रों की पढ़ाई और समझने की क्षमता भी बढ़ेगी।

शिक्षा का स्तर होगा बेहतर

इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता दोनों ही बेहतर होंगे। प्रदेश के छात्र अब दुनिया के दूसरे देशों के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार होंगे। इससे राज्य का नाम भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन होगा।

ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंध होंगे मजबूत

इस समझौते से सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सांस्कृतिक और मानवीय संबंध भी मजबूत होंगे। छात्रों और शिक्षकों के बीच आपसी संवाद और समझ बढ़ेगी। दोनों देशों के लोग एक-दूसरे की संस्कृति, शिक्षा प्रणाली और समाज को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।

ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी मिलेगा लाभ

इस साझेदारी से सिर्फ शहरों में रहने वाले नहीं, बल्कि गांवों के होनहार छात्र-छात्राएं और शिक्षक भी लाभान्वित होंगे। सरकार का उद्देश्य है कि हर गांव और कस्बे में भी विश्वस्तरीय शिक्षा पहुंचे। इसके लिए प्रदेश में डिजिटल सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।

रोजगार के नए अवसर

इस समझौते के जरिए छात्रों को विदेशी कंपनियों और विश्वविद्यालयों में काम करने का अनुभव मिलेगा। इससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी और उन्हें अच्छी नौकरियां मिल सकेंगी। यही नहीं, वे स्वयं भी नई तकनीकों पर आधारित स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं।

महिला शिक्षकों और छात्राओं को मिलेगा विशेष लाभ

इस साझेदारी के अंतर्गत महिला शिक्षकों और छात्राओं को भी विशेष प्रशिक्षण और अवसर दिए जाएंगे। इससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और वे समाज में एक नया उदाहरण पेश करेंगी।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शिता और मजबूत नेतृत्व में उत्तर प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रहा है। ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के साथ हुआ यह समझौता न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए फायदेमंद है, बल्कि राज्य के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।

अब समय आ गया है कि उत्तर प्रदेश के छात्र और शिक्षक केवल पुस्तकों तक सीमित न रहें, बल्कि दुनियाभर के ज्ञान और तकनीक से जुड़ें। यह एमओयू उन्हें वह अवसर देगा, जिसकी उन्हें वर्षों से प्रतीक्षा थी।

अंत में यही कहा जा सकता है कि यह समझौता उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को नई दिशा, नई सोच और नए आयाम देने वाला साबित होगा।


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Historic MoU between UP Government and Monash University

 

Historic MoU signed in the presence of Chief Minister Yogi Adityanath, students and teachers of UP will get an opportunity to connect with the international platform

A historic step was taken in the field of education on Thursday in Lucknow, the capital of Uttar Pradesh. An important Memorandum of Understanding (MoU) was signed between the Government of Uttar Pradesh and the famous Monash University of Australia in the presence of Chief Minister Yogi Adityanath. On this occasion, the Chief Minister said that the state government does not consider education only as a means to get a degree, but considers it to be the axis of the overall development of the state.

Chief Minister Yogi Adityanath said that this MoU is in line with the spirit of the National Education Policy 2020, which will promote multidimensional learning, skill development and international cooperation. He said that now the time has come for our students and teachers to be limited only to the state or country, but also make their mark on the world stage.

Under this agreement, the students and teachers of Uttar Pradesh will get the opportunity for research, training, and technical cooperation from Monash University of Australia. This will improve the quality of education and knowledge and training will be provided as per international standards.

The Chief Minister mentioned Western Sydney University

The Chief Minister said that earlier, the Uttar Pradesh government had also partnered with Western Sydney University, which benefited the students of the state. Now, this alliance with Monash University is another strong step towards global standards of education. He said that Gautam Buddha University will become the center of this partnership and will play an important role in implementing this MoU at the ground level.

The Chief Secretary gave information

Chief Secretary Manoj Kumar Singh said that through this MoU, students and teachers of Uttar Pradesh will be able to connect with the international platform. He said that this agreement will also strengthen the educational and cultural relations between India and Australia.

What is Monash University?

Monash University is a leading university in Australia, which is famous all over the world in the field of education, research and training. This university trains about 30,000 teachers every year. These trainers also include teachers from countries like Afghanistan and Myanmar, where there has been an atmosphere of war and conflict for a long time.

Now UP teachers will also benefit

Professor Manisha, associated with Monash University, said that now the teachers of Uttar Pradesh will also join this global training program. This will improve their teaching skills and they will be able to learn new techniques and methods.

Students will get research and scholarship opportunities

Through this agreement, the students of UP will get a new direction for research. They will get a chance to go to Australia and study and work with the students there. Along with this, some talented students can also get scholarships.

Step in line with the New Education Policy 2020

This agreement advances the goals of the New Education Policy 2020, which include making education practical, increasing the thinking ability of students, and making them competitive at the international level. Chief Minister Yogi Adityanath said that this partnership is a concrete initiative towards connecting the youth of Uttar Pradesh to the global platform.

Teachers will get advanced training

Now, the teachers of UP will be exposed to modern teaching techniques. They will adopt digital mediums, smart learning, project-based studies and student-centric teaching methods. This will also increase the students' ability to study and understand.

The level of education will improve

The biggest advantage of this agreement will be that both the level and quality of education in Uttar Pradesh will improve. The students of the state will now be ready to compete with the students of other countries of the world. This will also bring fame to the state at the international level.

Relations between Australia and India will be strengthened

This agreement will not only strengthen education, but also cultural and human relations between India and Australia. Mutual dialogue and understanding between students and teachers will increase. People of both countries will be able to understand each other's culture, education system and society in a better way.

Students from rural areas will also benefit

This partnership will benefit not only those living in cities, but also the promising students and teachers of villages. The government aims to reach world-class education in every village and town. For this, digital facilities are being expanded in the state.

New employment opportunities

Through this agreement, students will get the experience of working in foreign companies and universities. This will increase their employment potential and they will be able to get good jobs. Not only this, they can also start startups based on new technologies themselves.

Women teachers and students will get special benefits

Under this partnership, women teachers and students will also be given special training and opportunities. This will help them to become self-reliant and they will set a new example in society.


         Under the vision and strong leadership of Chief Minister Yogi Adityanath, Uttar Pradesh is creating a new history in the field of education. This agreement with Monash University of Australia is not only beneficial for students and teachers, but is also a concrete step towards making the future of the state bright.

Now, the time has come for the students and teachers of Uttar Pradesh should not be limited to books only, but should connect with the knowledge and technology of the world. This MoU will give them the opportunity they have been waiting for years.

In the end, it can be said that this agreement will prove to give new direction, new thinking and new dimensions to the education system of Uttar Pradesh.


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Help from just 155 rupees to 48 lakh rupees

 


Today, we will learn about a unique social effort that shows how a small amount can make a big difference when people come together with good intentions. This is the story of TSCT (Teachers Support and Care Team). In this campaign, people donated just ₹155, and each needy family received help of around ₹48 lakh. This is not just financial help but also an example of unity and kindness in our society.

How did it happen?

The plan of this campaign was very simple, but the result was amazing. Let's understand the key facts:

Total members in Uttar Pradesh: More than 3,11,161 teachers are a part of TSCT.

Amount donated by each person: Each member donated just ₹15.50 for one family.

Amount received by one family: Around ₹48 lakh.

Total families helped: 20 poor and needy families.

Time taken: The work was completed in just 13 days.

These numbers may seem modest, but they show how powerful unity and caring can be.

TSCT's mission and spirit

TSCT's main mission is to help teachers and their families when they are in financial crisis. The organisation runs on voluntary support. This means that people help without any pressure, and no one is treated unfairly.

The biggest learning from this campaign is: when everyone contributes a little bit, we can solve big problems. Every member proved that unity is powerful, even from ₹15.50.

Who got help?

The campaign helped 20 families. All of them were facing serious problems.

Some families did not have money for treatment.

Some children's education was getting interrupted.

Some families were not even able to pay their house rent.

In such difficult times, TSCT gave them new hope.

Who made this work possible?

This success was not possible only due to the members. Many teams helped in this work, like block teams, district teams, state IT cell, state executive, and the founding board. Everyone gave their time and effort to ensure that the help reached the right people in the right way.

A historic feat in just 13 days

Raising so much money in just 13 days and delivering it to the right families is a great success. This was possible only because everyone worked together with honesty and care.

Many times, people need help but do not know where to turn. TSCT is a platform that not only helps in money but also provides mental and emotional support.

Why is TSCT important?

There are thousands of teachers and their families who face problems in life. But they do not have a clear way to get help. TSCT is building a support network that:

Helps in times of need,

Maintains people's respect and trust,

Works with honesty and clarity.

A small amount from many people can make a big difference. This is the hallmark of TSCT.

TSCT is trustworthy and transparent

To maintain the trust of its members, TSCT provides complete details of every campaign. Anyone can see how and where the money was used. That is why more and more people are being encouraged to join TSCT.

This is just the beginning

This proves that when we come together, we can not only solve today's problems but also build a better future.

This campaign helped only 20 families this time, but it has inspired the entire society.

If ₹155 can help one family get ₹48 lakh, imagine how many more families we can help if we give a small amount every month.

This is not just financial help. It is a kind of social insurance, where we all protect each other.

This model can work in every state

The TSCT model is not just for teachers. It teaches everyone that unity and teamwork can solve big problems.

Let us all spread the word, join hands, and be a part of this beautiful change.




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मात्र 155 रुपए से 48 लाख रुपए तक की मदद

 


आज हम एक ऐसे खास सामाजिक प्रयास के बारे में जानेंगे जो दिखाता है कि जब लोग नेक इरादे से साथ आते हैं तो कैसे थोड़ी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यह कहानी है TSCT (टीचर्स सपोर्ट एंड केयर टीम) की। इस अभियान में लोगों ने सिर्फ़ ₹155 दिए और हर ज़रूरतमंद परिवार को लगभग ₹48 लाख की मदद मिली। यह न सिर्फ़ आर्थिक मदद है बल्कि हमारे समाज में एकता और दयालुता की मिसाल भी है।

कैसे हुआ यह?

इस अभियान की योजना बहुत सरल थी, लेकिन इसका नतीजा कमाल का रहा। आइए मुख्य तथ्यों को समझते हैं:

उत्तर प्रदेश में कुल सदस्य: 3,11,161 से ज़्यादा शिक्षक TSCT का हिस्सा हैं।

हर व्यक्ति द्वारा दी गई राशि: हर सदस्य ने एक परिवार के लिए सिर्फ़ ₹15.50 दिए।

एक परिवार को मिली राशि: लगभग ₹48 लाख।

कुल परिवारों की मदद की गई: 20 गरीब और जरूरतमंद परिवार।

लगा समय: यह काम सिर्फ़ 13 दिनों में पूरा हुआ।

ये संख्याएँ सामान्य लग सकती हैं, लेकिन ये दिखाती हैं कि एकता और देखभाल कितनी शक्तिशाली हो सकती है।

TSCT का लक्ष्य और भावना

TSCT का मुख्य लक्ष्य शिक्षकों और उनके परिवारों की मदद करना है, जब वे आर्थिक संकट में हों। यह संगठन स्वैच्छिक मदद से चलता है। इसका मतलब है कि लोग बिना किसी दबाव के मदद करते हैं और किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाता।

इस अभियान से सबसे बड़ी सीख यह है: जब हर कोई थोड़ी-थोड़ी मदद करता है, तो हम बड़ी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। हर सदस्य ने साबित किया कि एकता शक्तिशाली है - ₹15.50 से भी।

किसको मिली मदद?

इस अभियान में 20 परिवारों की मदद की गई। ये सभी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे।

कुछ परिवारों के पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे।

कुछ बच्चों की पढ़ाई रुक रही थी।

कुछ परिवार अपने घर का किराया भी नहीं दे पा रहे थे।

ऐसे मुश्किल समय में TSCT ने उन्हें नई उम्मीद दी।


इस काम को किसने संभव बनाया?

यह सफलता सिर्फ़ सदस्यों की बदौलत संभव नहीं थी। इस काम में कई टीमों ने मदद की - जैसे ब्लॉक टीमें, जिला टीमें, राज्य आईटी सेल, राज्य कार्यकारिणी और संस्थापक मंडल। सभी ने अपना समय और प्रयास दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मदद सही लोगों तक सही तरीके से पहुंचे।

सिर्फ़ 13 दिनों में एक ऐतिहासिक काम

सिर्फ़ 13 दिनों में इतना पैसा इकट्ठा करना और उसे सही परिवारों तक पहुँचाना एक बड़ी सफलता है। यह सिर्फ़ इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सभी ने ईमानदारी और देखभाल के साथ मिलकर काम किया।

कई बार लोगों को मदद की ज़रूरत होती है लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाएँ। TSCT एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है जो न सिर्फ़ पैसे में मदद देता है बल्कि मानसिक और भावनात्मक सहारा भी देता है।

TSCT क्यों ज़रूरी है?

हज़ारों शिक्षक और उनके परिवार हैं जो जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। लेकिन उनके पास मदद पाने का कोई स्पष्ट तरीका नहीं है। TSCT एक ऐसा सहायता नेटवर्क बना रहा है जो:

ज़रूरत के समय मदद करता है,

लोगों का सम्मान और भरोसा बनाए रखता है,

ईमानदारी और स्पष्टता से काम करता है।

बहुत से लोगों की एक छोटी सी रकम भी बड़ा बदलाव ला सकती है। यही TSCT की पहचान है।

TSCT भरोसेमंद और पारदर्शी है

अपने सदस्यों का भरोसा बनाए रखने के लिए TSCT हर अभियान का पूरा ब्यौरा देता है। कोई भी देख सकता है कि पैसे का इस्तेमाल कैसे और कहाँ किया गया। इसलिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को TSCT से जुड़ने के लिए कहा जा रहा है।


यह तो बस शुरुआत है

इससे यह सिद्ध होता है कि जब हम साथ आते हैं, तो हम न सिर्फ़ आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं, बल्कि एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी कर सकते हैं।

इस अभियान ने इस बार सिर्फ़ 20 परिवारों की मदद की, लेकिन इसने पूरे समाज को प्रेरित किया है।

अगर ₹155 से एक परिवार को ₹48 लाख मिल सकते हैं, तो सोचिए कि अगर हम हर महीने थोड़ी सी रकम दें, तो हम कितने और परिवारों की मदद कर सकते हैं।

यह सिर्फ़ आर्थिक मदद नहीं है। यह एक तरह का सामाजिक बीमा है, जहाँ हम सब एक-दूसरे की रक्षा करते हैं।


यह मॉडल हर राज्य में काम कर सकता है

TSCT मॉडल सिर्फ़ शिक्षकों के लिए नहीं है। यह सभी को सिखाता है कि एकता और टीमवर्क से बड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

आइए हम सब मिलकर इस बात को फैलाएँ, हाथ मिलाएँ और इस खूबसूरत बदलाव का हिस्सा बनें।


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Tuesday, May 27, 2025

TSCT – शिक्षकों की सेवा और सहयोग की मिसाल

 


आज हम एक ऐसी संस्था की बात करने जा रहे हैं जो शिक्षकों के जीवन में उम्मीद, सहयोग और इंसानियत की नई रौशनी लेकर आई है – TSCT यानी "teachers self care team”। यह संस्था ना सिर्फ एक सामाजिक आंदोलन बन चुकी है, बल्कि यह पूरे उत्तर प्रदेश में शिक्षक समुदाय के बीच एक मजबूत सहारा बनकर उभरी है। जब इसका गठन हुआ था, तब किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि आने वाले समय में यह 4 लाख शिक्षकों के विश्वास की मिसाल बनेगी। यह केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक भावना है, एक परिवार है जो हर मुश्किल घड़ी में अपने साथियों के साथ खड़ा रहता है।

TSCT की स्थापना और उसका उद्देश्य:

करीब पाँच साल पहले, जब TSCT की स्थापना हुई, तब इसका मकसद था – संकट के समय में शिक्षक साथियों की मदद करना। इस संस्था की नींव ऐसे लोगों ने रखी जो निस्वार्थ भाव से समाज और शिक्षक समुदाय की भलाई के लिए समर्पित थे। धीरे-धीरे यह संस्था एक आंदोलन बन गई। हजारों शिक्षक जुड़ते गए, मदद करने लगे और जरूरतमंदों को संबल देने लगे।

TSCT का उद्देश्य है कि आज हम जिन लोगों की मदद करते हैं, वही कल को किसी और की मदद करने वाले बनें। यानी – आज का सहयोग, कल का सहारा। यही संस्था का मूलमंत्र है।

15 मई 2025 से चल रहा सहयोग अभियान:

इस वर्ष 15 मई से TSCT का एक और सहयोग अभियान शुरू हुआ, जिसमें दो ऐसे परिवारों को सहायता दी गई जिनकी स्थितियाँ बहुत भावुक करने वाली थीं:

1. स्वर्गीय हरीश गंगवार जी (बरेली):

एक कर्मठ और निष्ठावान शिक्षक जो जीवनभर सहयोग के भाव से जुड़े रहे। उनके निधन के बाद TSCT ने उनके परिवार की मदद के लिए कदम आगे बढ़ाया।

2. आजमगढ़ के शिक्षा मित्र का परिवार:

एक ऐसा परिवार जो आज भी छप्पर के नीचे जीवन यापन कर रहा है, जिसके पास खुद का घर नहीं है। उनके हालात देखकर हर कोई भावुक हो गया और TSCT ने इस परिवार की मदद कर मिसाल पेश की।

एक अनोखा और भावनात्मक अनुभव:

इस माह एक और बहुत महत्वपूर्ण और दिल को छू जाने वाली घटना घटी। TSCT ने उस दिवंगत शिक्षक साथी के परिवार की मदद की, जिसने कभी संस्था की निंदा की थी। उन्होंने TSCT के संस्थापक मंडल और उसके सदस्यों को सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश की, आपसी बातचीत के ऑडियो और स्क्रीनशॉट सार्वजनिक किए और संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया।

लेकिन जब वह शिक्षक गंभीर बीमारी से पीड़ित हुए और संस्था से जुड़ना चाहा, तो TSCT ने उन्हें खुले दिल से अपनाया। किसी ने भी उनकी पिछली बातों का बदला नहीं लिया। बल्कि संस्था के सभी सदस्यों ने ईश्वर से उनके स्वास्थ्य की कामना की। दुर्भाग्यवश उनका निधन हो गया। लेकिन उनके परिवार को TSCT ने पूरा सहयोग देकर यह सिद्ध कर दिया कि मानवता सबसे ऊपर है।

यह उदाहरण बताता है कि TSCT केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक संस्कार है – क्षमा, सेवा और अपनत्व का प्रतीक।

नियम और व्यवस्था की आवश्यकता:

TSCT जैसे बड़े समूह को चलाना कोई आसान काम नहीं। जब कोई व्यवस्था चलती है, तो उसमें नियम बनाना जरूरी होता है। लेकिन नियम कभी किसी को लाभ देते हैं तो कभी किसी को कठिनाई भी होती है। यही जीवन का सच है।

हर किसी को खुश रखना संभव नहीं, लेकिन अगर सोच और नीयत सही हो, तो संस्था अपने रास्ते पर मजबूती से चल सकती है। TSCT के संचालकों ने हमेशा यह कोशिश की कि किसी भी सदस्य के साथ अन्याय ना हो। कोई भूखा ना रहे, कोई संकट में अकेला ना पड़े, यह संस्था का संकल्प है।

TSCT क्यों है खास?

सहयोग की भावना: हर सदस्य दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता है।

समर्पण: TSCT के संचालकों ने बिना किसी लाभ की उम्मीद के सेवा को अपना धर्म बना लिया है।

पारदर्शिता: संस्था में हर निर्णय खुले मंच पर साझा किया जाता है ताकि किसी को कोई भ्रम ना रहे।

समुदाय का विश्वास: पूरे प्रदेश के 80% से अधिक शिक्षक TSCT से जुड़े हैं, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

TSCT का संदेश:

TSCT का यही संदेश है कि आप संस्था के नियमों या नेतृत्व से मतभेद रख सकते हैं, लेकिन पूरी संस्था या प्रदेश के लाखों शिक्षकों से नाराजगी रखना अनुचित है। जो संस्था लाखों लोगों के दुःख में सहभागी है, जो हर आहट पर मदद के लिए तैयार है, उसका उद्देश्य हमेशा सेवा ही रहा है।

जब कोई शिक्षक TSCT की सहायता से फिर से मुस्कुराता है, जब किसी शिक्षक परिवार की रसोई में खाना बनता है, जब किसी विधवा को बच्चों की पढ़ाई का सहारा मिलता है – तब TSCT का हर सदस्य गौरव अनुभव करता है।

संस्था की ताकत – उसका संगठन:

TSCT आज जिस ऊँचाई पर है, उसका श्रेय उन हजारों शिक्षकों को जाता है जिन्होंने तन-मन-धन से संस्था को सींचा है। चाहे बाढ़ हो, बीमारी हो या आकस्मिक मृत्यु – TSCT हमेशा साथी के घर पहले पहुँचती है।

इसके संचालन में कोई राजनीति नहीं, कोई स्वार्थ नहीं – बस सेवा की भावना है। यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं, हर कोई "TSCT परिवार" का सदस्य है।

निष्कर्ष:

TSCT की कहानी सिर्फ एक संस्था की नहीं है, बल्कि यह उस संस्कृति की कहानी है जिसमें "वसुधैव कुटुम्बकम्" यानी पूरी दुनिया को परिवार मानने की सोच है। किसी की निंदा से नहीं, किसी के साथ खड़े होने से संगठन बनते हैं।

इसलिए अगर आप कभी किसी शिक्षक साथी को परेशानी में देखें, तो TSCT की याद ज़रूर करें। शायद वही दिन आपके जीवन का सबसे बड़ा दिन बन जाए।

TSCT का नारा:

"आज का सहयोग, कल का सहारा" – यह केवल शब्द नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्शन है जो हर शिक्षक को भाईचारे और मानवता की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।

अंतिम संदेश:

अगर आप TSCT से अभी तक नहीं जुड़े हैं, तो यह समय है जुड़ने का, सहयोग करने का, एक नए युग की शुरुआत करने का।

ईश्वर की कृपा, शिक्षक साथियों का समर्थन, और संगठन की नीयत अगर सच्ची हो – तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

TSCT – सबका साथ, सबका सहयोग, सबका विश्वास, सबका प्रयास 

 

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         👉Jamia Urdu Degrees Rejected by Court for Teacher Jobs

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 👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा  

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👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/BSA.html 


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👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html  


👉उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का
होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/censusnews.html  


👉AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झांसी के शिक्षक का अनोखा नवाचार   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/ai.html


Monday, May 26, 2025

बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलावों की ओर उत्तर प्रदेश

 


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया 3300 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ

लखनऊ, 26 मई 2025 — उत्तर प्रदेश में बच्चों को बेहतर भविष्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकभवन सभागार में एक विशाल कार्यक्रम के माध्यम से 3300 करोड़ रुपये की शिक्षा परियोजनाओं का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा राष्ट्र निर्माण की नींव है और इसे मजबूत बनाने के लिए सरकार लगातार कार्य कर रही है।

शिक्षा में बड़ा निवेश: नए स्कूल भवन और डिजिटल साधनों की शुरुआत

मुख्यमंत्री योगी ने कार्यक्रम के दौरान 139 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के उच्चीकृत भवनों और अतिरिक्त डॉरमेट्री का लोकार्पण किया। इसके अलावा 43 मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों और 66 मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालयों की आधारशिला रखी गई। इस पहल का मकसद ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में बच्चों को आधुनिक शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

हर विद्यार्थी को मिले समान अवसर: डीबीटी के ज़रिए ₹1200 ट्रांसफर

सीएम योगी ने यूनिफॉर्म, बैग, जूते, मोजे और स्टेशनरी के लिए प्रत्येक छात्र को ₹1200 की धनराशि अभिभावकों के बैंक खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए भेजी। यह राशि प्रदेश के 1.5 करोड़ से अधिक बच्चों को दी गई है। मुख्यमंत्री ने सभी अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की कि इस पैसे का उपयोग बच्चों की ज़रूरतों पर ही हो।

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा: स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और टैबलेट्स वितरण

शिक्षा को तकनीक से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 7,409 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, 5,258 विद्यालयों में आईसीटी लैब, और 51,667 शिक्षकों को टैबलेट्स वितरित किए। साथ ही 503 पीएम श्री विद्यालयों में डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन किया गया।

‘निपुण प्लस एप’ से होगा स्मार्ट असेसमेंट, स्टूडियो से शिक्षा का प्रसारण

मुख्यमंत्री ने राज्य शैक्षिक तकनीकी संस्थान में एजुकेशनल ब्रॉडकास्ट स्टूडियो की शुरुआत की, जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिक्षण सामग्री प्रसारित की जा सकेगी। साथ ही कक्षा 3 से 12 तक के छात्रों के लिए ‘निपुण प्लस एप’ की शुरुआत की गई, जिससे उनका स्मार्ट असेसमेंट किया जाएगा।

शिक्षकों की अहम भूमिका: अनुपात सुनिश्चित और प्रशिक्षु शिक्षकों को नया अनुभव

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त रखी जाएगी और शिक्षक-छात्र अनुपात हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा। बीएड और एमएड के छात्रों को निपुण आकलन कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई ताकि उन्हें फील्ड का अनुभव मिल सके और शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो।

ऑपरेशन कायाकल्प ने बदली स्कूलों की तस्वीर

सीएम योगी ने बताया कि 2017 से पहले बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों की हालत जर्जर थी, वहां साफ-सफाई, शौचालय, पीने का पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं थीं। लेकिन ऑपरेशन कायाकल्प के तहत यह सब कुछ बदला है। अब इन स्कूलों में खेल मैदान, स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, और शौचालय जैसी सुविधाएं मौजूद हैं, जिससे बच्चों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

हर विधानसभा क्षेत्र में खुलेगा मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय

सीएम योगी ने घोषणा की कि हर विधानसभा क्षेत्र में एक मुख्यमंत्री कंपोजिट विद्यालय खोला जाएगा, जो प्री-प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक की शिक्षा एक ही परिसर में देगा। इन स्कूलों में साइंस लैब, कंप्यूटर लैब, स्टेडियम, और मल्टीपर्पज हॉल जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।

समर कैंप में बच्चों के समग्र विकास की तैयारी

मुख्यमंत्री ने समर कैंप में बच्चों के सर्वांगीण विकास की बात करते हुए कहा कि इनमें खेल, संगीत, नृत्य, नाटक, और योग जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए अभी से तैयारी की जाए और आयुष मंत्रालय के योग प्रोटोकॉल को लागू किया जाए।

‘स्कूल चलो अभियान’ को मिले नई गति, कोई बच्चा न छूटे

सीएम योगी ने ‘स्कूल चलो अभियान’ को तेज़ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गांवों में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए, इसके लिए शिक्षक और प्रधानाचार्य घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल में जोड़ें। नए बच्चों का स्वागत ढोल-नगाड़े के साथ हो और स्वच्छता को विद्यालयों से जोड़ा जाए।

शिक्षकों को किया गया सम्मानित, नई किताबों का विमोचन

निपुण आकलन में बेहतर प्रदर्शन करने वाले 5 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। साथ ही एससीईआरटी द्वारा तैयार की गई दो नई पुस्तकें ‘सारथी’ और ‘अनुरूपण’ का विमोचन भी किया गया, जो शिक्षा में नवाचार को बढ़ावा देंगी।

बच्चों की प्रदर्शनी का मुख्यमंत्री ने किया अवलोकन

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों द्वारा तैयार की गई शैक्षिक प्रदर्शनी का निरीक्षण किया और बच्चों से उनकी परियोजनाओं की जानकारी ली। बच्चों ने अपनी कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित परियोजनाएं प्रस्तुत कीं।

मुख्यमंत्री का संदेश: शिक्षक बनाएं देश का भविष्य

मुख्यमंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज का भविष्य गढ़ते हैं और उनका सम्मान तभी है जब वे बच्चों को उज्ज्वल भविष्य दे पाएं। समय का सदुपयोग करें और बच्चों की प्रतिभा को निखारें।

कार्यक्रम में शामिल हुए कई गणमान्य व्यक्ति

इस भव्य कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, और अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार, सहित बड़ी संख्या में अधिकारी और शिक्षक उपस्थित रहे।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रस्तुत यह संपूर्ण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, डिजिटल साधनों का उपयोग, बच्चों की समग्र प्रतिभा का विकास और शिक्षकों की भूमिका को सम्मान देने के उद्देश्य से यह पहल एक मजबूत बुनियाद तैयार कर रही है। यह कदम न केवल बच्चों के भविष्य को संवारने वाला है, बल्कि पूरे समाज को आगे बढ़ाने वाला है।

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👉भारत में फिर लौटा कोरोना, मुंबई में 53 नए केस, सतर्कता ज़रूरी  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/corona.html


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 👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html

👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/BSA.html 

👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html  

👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html  

👉उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/censusnews.html  

👉AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झांसी के शिक्षक का अनोखा नवाचार   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/ai.html



विद्यालय में तोड़फोड़ से हड़कंप

 


बिहार राज्य के मुंगेर जिले के बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत नीरपुर पंचायत के फुलकिया गांव में एक बेहद दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां कुछ अज्ञात दबंगों ने मध्य विद्यालय फुलकिया के भवन को रविवार की रात जेसीबी मशीन से गिरा दिया। यह विद्यालय गांव के सैकड़ों बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र है, जहां लगभग 200 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। रविवार की रात को हुई इस घटना में स्कूल की चारदीवारी और दो कमरों वाला किचन भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। यह किचन भवन बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिए प्रयोग किया जाता था। सोमवार की सुबह जब स्कूल की प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा विद्यालय पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि विद्यालय की पूर्वी दिशा की दीवार टूटी हुई है और किचन भवन पूरी तरह गिरा पड़ा है।

इस घटना से प्रधानाध्यापिका समेत पूरे विद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रधानाध्यापिका आरती विश्वकर्मा और विद्यालय प्रबंध समिति की सचिव अंबिका देवी ने मिलकर बरियारपुर थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि यह घटना किसी भी सामान्य तोड़फोड़ की नहीं, बल्कि सुनियोजित योजना का हिस्सा लगती है। विद्यालय की संपत्ति को इस तरह से रात के अंधेरे में नुकसान पहुंचाना एक गंभीर अपराध है और इस पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

स्थानीय ग्रामीणों ने घटना के पीछे मंदिर निर्माण को मुख्य कारण बताया है। गांव के पीछे श्री मंगला काली मां का मंदिर बन रहा है। पहले मंदिर का रास्ता विद्यालय के पश्चिमी हिस्से से होकर जाता था। लेकिन अब मंदिर निर्माण में लगे लोगों ने एक नया रास्ता निकालने की योजना बनाई है, जो सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग NH-80 से मंदिर को जोड़ सके। इसी योजना के चलते विद्यालय की दीवार और रसोईघर को जेसीबी से गिरा दिया गया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को जबरदस्त तरीके से मंदिर की चारदीवारी का निर्माण कार्य चलता रहा, जबकि प्रशासन ने किसी भी निर्माण कार्य पर रोक लगा रखी थी। यह प्रशासनिक आदेशों की खुली अवहेलना है।

विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था पर इस घटना का सीधा असर पड़ा है। लगभग 200 नामांकित बच्चों की पढ़ाई नए भवन में तो होती है, लेकिन मध्यान्ह भोजन का पकवान इसी टूटे हुए भवन में किया जाता था। अब चूल्हे, गैस सिलेंडर, बर्तन और अन्य रसोई सामग्री खुले मैदान में पड़ी है, जो कि बच्चों की स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए खतरा है। कई माता-पिता अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर चिंतित हैं। कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि जल्द ही स्कूल की मरम्मत और रसोईघर का पुनर्निर्माण नहीं हुआ तो बच्चों का विद्यालय आना कम हो जाएगा, जिससे उनकी शिक्षा पर दीर्घकालिक असर पड़ेगा।

जिला परियोजना अधिकारी (डीपीओ) आनंद वर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विद्यालय भवन को गिराना पूरी तरह से गैरकानूनी है और यह शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला है। उन्होंने प्रधानाध्यापिका को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है और मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। बरियारपुर के बीडीओ देव मोहम्मद असगर अली ने भी कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं मुंगेर के जिलाधिकारी अवनीश कुमार ने भी मामले की जानकारी मिलने पर जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद मंदिर निर्माण कार्य चलता रहा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि दबंग लोगों को कानून का कोई डर नहीं है। बरियारपुर थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और जेसीबी मालिक, मंदिर निर्माण समिति और मजदूरों से पूछताछ की जा रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना केवल एक विद्यालय की चारदीवारी गिराए जाने की नहीं, बल्कि समाज की प्राथमिकताओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न है। जब एक सरकारी विद्यालय, जहां गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, को इस तरह से निशाना बनाया जाता है, तो यह न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए भी खतरे की घंटी है। मंदिर जैसे धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए यदि बच्चों की शिक्षा के स्थान को गिराया जा रहा है, तो यह सामाजिक न्याय की मूल भावना के विपरीत है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। कई संगठनों ने सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के जरिए जिला प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसी घटनाएं अन्य गांवों में भी दोहराई जा सकती हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था को और नुकसान होगा।

अभी विद्यालय प्रशासन, ग्रामीण और अधिकारी इस मामले में एकमत हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और विद्यालय की चारदीवारी और रसोईघर का पुनर्निर्माण शीघ्र कराया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी विद्यालय या सार्वजनिक संपत्ति को धार्मिक या निजी हितों के लिए इस प्रकार से नुकसान न पहुंचाया जा सके।

सरकारी विद्यालय देश के भविष्य निर्माता बच्चों की शिक्षा का आधार हैं। इन्हें सुरक्षित और सशक्त रखना पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर समाज की आंखों के सामने कोई विद्यालय तोड़ा जाता है और लोग चुप रहते हैं, तो वह चुप्पी एक दिन पूरे भविष्य पर भारी पड़ सकती है।

फुलकिया गांव की यह घटना एक चेतावनी है कि शिक्षा के मंदिरों को बचाना अब केवल सरकार या प्रशासन का कार्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। इस घटना ने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम विकास के नाम पर क्या खो रहे हैं और किस दिशा में बढ़ रहे हैं।

इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका अब सबसे अहम है। यदि जिला प्रशासन समय पर जांच पूरी करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता है और स्कूल का पुनर्निर्माण करवाता है, तो यह न केवल फुलकिया गांव, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक सकारात्मक संदेश होगा। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में किसी विद्यालय को इस तरह की घटनाओं का सामना न करना पड़े।

फुलकिया गांव का विद्यालय अब न्याय की प्रतीक्षा में है। बच्चों की मासूम आंखें एक बार फिर से साफ-सुथरे, सुरक्षित रसोईघर और मजबूत दीवारों वाले विद्यालय की ओर देख रही हैं। उन्हें यह भरोसा दिलाना हम सबकी जिम्मेदारी है कि उनकी शिक्षा, पोषण और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा।

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका, प्रबंध समिति, ग्रामीण और प्रशासन मिलकर इस नुकसान की भरपाई करेंगे, ऐसा विश्वास हर नागरिक को होना चाहिए। शिक्षा का दीपक किसी भी परिस्थिति में बुझने नहीं देना है। यही इस घटना से मिलने वाला सबसे बड़ा संदेश है।



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