Up basic School News

Basic education builds the foundation of a strong nation.

Image

up basic school news

a group of school children participating in a cultural event with joy and enthusiasm.

NIPUN Bharat Mission

NIPUN Bharat helps young children read and do basic math with understanding and confidence.

Nurturing Nature, Growing Futures

Green mission by students to make earth clean and fresh.

Mission Shikshan Samvad – For Education and Teacher Respect

Mission to uplift education, honor teachers, and promote human welfare through dialogue.

Monday, May 26, 2025

जामिया उर्दू की डिग्रियां अमान्य, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

 


17 मई 2025 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसका असर उत्तर प्रदेश में सरकारी शिक्षक पदों के लिए हजारों अभ्यर्थियों पर पड़ा है। यह मामला जामिया उर्दू, अलीगढ़ द्वारा प्रदान की जाने वाली दो विशेष शैक्षिक योग्यताओं—आदिब-ए-कामिल और मौल्लिम-ए-उर्दू—की मान्यता और वैधता पर केंद्रित था। इन डिग्रियों का उपयोग लंबे समय से उम्मीदवार उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन बोर्ड (UPBEB) के तहत उर्दू शिक्षण के लिए असिस्टेंट टीचर की भर्ती में पात्रता साबित करने के लिए करते आ रहे थे। लेकिन अदालत के इस निर्णय ने इन डिग्रियों की वैधता और अकादमिक मान्यता पर सवाल खड़ा कर दिया है, जिससे इनके धारकों को राज्य शिक्षक पदों के लिए आवेदन करने से effectively रोका गया है।

 उच्च न्यायालय के निर्णय, मामले की पृष्ठभूमि, जामिया उर्दू और उसके कार्यक्रमों की स्थिति तथा इस फैसले के शैक्षिक नीति, प्रभावित उम्मीदवारों और राज्य की भर्ती प्रक्रियाओं पर व्यापक प्रभावों का विश्लेषण  है।

1. विवाद की पृष्ठभूमि

जामिया उर्दू, अलीगढ़ की स्थापना 1939 में उर्दू भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से हुई थी। इसने वर्षों से मौल्लिम-ए-उर्दू जैसे कार्यक्रम संचालित किए, जो उर्दू शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए थे, और आदिब-ए-कामिल, जिसे उर्दू साहित्य में स्नातक डिग्री के समकक्ष माना जाता था।

कई दशकों तक इन डिग्रियों के धारकों को उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति मिली। विशेष रूप से, मौल्लिम-ए-उर्दू को एक व्यावसायिक शिक्षक प्रशिक्षण योग्यता के रूप में स्वीकार किया जाता था, जबकि आदिब-ए-कामिल को अकादमिक पात्रता के लिए बीए उर्दू के समकक्ष माना जाता था।

हालांकि, जब सवाल उठे कि ये डिग्रियां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त डिग्रियों के समकक्ष हैं या नहीं, तो इन डिग्रियों को लेकर कानूनी जांच शुरू हुई। यह विवाद खासतौर पर 2019 में असिस्टेंट टीचर भर्ती (69,000 पदों) के दौरान और बाद के चयन में उभरा, जिसमें सवाल पूछा गया कि क्या इन डिग्रियों को आरटीई एक्ट, 2009 के तहत बी.एड./डी.एल.एड. जैसी मान्यता प्राप्त योग्यताओं के बराबर माना जा सकता है।

2. उठाए गए मुख्य कानूनी प्रश्न

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निम्नलिखित अहम सवालों पर विचार किया:

a .  क्या जामिया उर्दू, अलीगढ़ भारत के कानून के तहत मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय है?

b . क्या "मौल्लिम-ए-उर्दू" और "आदिब-ए-कामिल" डिग्रियां शिक्षक प्रशिक्षण या अकादमिक डिग्रियों जैसे                  बी.एड. या बीए उर्दू के बराबर हैं?

c . क्या ये योग्यताएं NCTE और UGC द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करती हैं, ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षण          पदों के लिए नियुक्ति हो सके?

d . क्या सरकार द्वारा पूर्व में इन डिग्रियों को स्वीकार किया जाना नियुक्ति का अधिकार बनाता है?

ये प्रश्न विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1993, और उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन विभाग द्वारा जारी भर्ती नियमों के व्याख्यान पर आधारित थे।

3. अदालत का विश्लेषण और निष्कर्ष

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जामिया उर्दू की स्थिति और संबंधित डिग्रियों की प्रकृति का गहराई से विश्लेषण किया। मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

(a) जामिया उर्दू मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय नहीं है

अदालत ने कहा कि जामिया उर्दू न तो संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय है और न ही UGC अधिनियम की धारा 3 के तहत डीन विश्वविद्यालय। यह UGC या NCTE की मान्यता प्राप्त संस्थाओं की सूची में नहीं है। इसलिए, यह भारतीय कानून के अनुसार वैध डिग्रियां प्रदान करने के लिए सक्षम नहीं है।

(b) डिग्रियां बी.एड./डी.एल.एड. के बराबर नहीं हैं

मौल्लिम-ए-उर्दू को NCTE द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण की आधिकारिक योग्यता के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। इसी तरह, आदिब-ए-कामिल को भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली स्नातक डिग्री के समान नहीं माना जा सकता। न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार ने इसे कानूनी रूप से मान्यता दी है।

(c) पूर्व प्रथा कानूनी अधिकार नहीं बना सकती

अदालत ने कहा कि प्रशासन द्वारा पहले इन डिग्रियों को स्वीकार करना कानूनी अधिकार नहीं बनाता। यह एक प्रशासनिक त्रुटि थी जिसे जारी नहीं रखा जा सकता। अभ्यर्थियों को पूर्व में हुई गलत व्याख्या के आधार पर अधिकार नहीं मिल सकता।

4. प्रभावित अभ्यर्थियों पर प्रभाव

यह फैसला उन हजारों उम्मीदवारों को सीधे प्रभावित करता है, जिन्होंने अपनी मौल्लिम-ए-उर्दू और आदिब-ए-कामिल डिग्रियों के आधार पर शिक्षक पदों के लिए आवेदन किया था।

कई उम्मीदवारों ने:

a . CTET और UPTET जैसे शिक्षक पात्रता परीक्षा दी है।

b . लिखित परीक्षा और साक्षात्कार पास कर नियुक्ति के लिए चुने गए हैं।

c . नियुक्ति पत्र प्राप्त किए हैं या सत्यापन के अंतिम चरण में थे।

फैसले के बाद उनकी योग्यताएं अमान्य मानी गईं, जिससे वे भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो गए। यह स्थिति उनके लिए मानसिक और सामाजिक संकट उत्पन्न कर रही है, क्योंकि इनमें से अधिकांश अभ्यर्थी वंचित वर्ग से आते हैं और वर्षों का मेहनत उन्होंने इस दिशा में लगाई थी।

5. व्यापक कानूनी और नीति संबंधी परिणाम

इस निर्णय के शिक्षा प्रबंधन और नियमों की स्पष्टता के लिए कई महत्वपूर्ण प्रभाव हैं:

(a) UGC और NCTE की अधिकारिता की पुष्टि

अदालत ने UGC और NCTE को उच्च शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण के लिए सर्वोच्च नियामक माना। कोई भी निजी संस्था, जब तक इसे ये निकाय मान्यता न दें, वैध डिग्री या शिक्षक योग्यता नहीं दे सकती।

(b) शिक्षक पात्रता मानदंडों में समानता की आवश्यकता

अदालत ने शिक्षक भर्ती में पारदर्शी और एकरूप मानदंडों की आवश्यकता पर जोर दिया। डिग्रियों की समानता को लेकर असमंजस से मुकदमेबाजी और करियर अस्थिरता होती है।

(c) राज्य की जिम्मेदारी

अदालत ने कहा कि राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शैक्षिक न्याय हो। जो उम्मीदवार जामिया उर्दू की डिग्रियों पर भरोसा करके तैयारी कर रहे थे, उनके लिए संक्रमणकालीन सहायता, पुनः प्रशिक्षण, या वैध योग्यताओं के साथ भविष्य की भर्ती में समावेश की व्यवस्था होनी चाहिए।

6. हितधारकों की प्रतिक्रिया

(a) अभ्यर्थी और संबंधित संघ

उर्दू शिक्षकों के प्रतिनिधि संघों और अभ्यर्थियों ने फैसले को निराशाजनक और अन्यायपूर्ण बताया है। वे उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील की योजना बना रहे हैं। कुछ ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि जामिया उर्दू की डिग्रियों को रेट्रोएक्टिव मान्यता या एक बार का छूट दिया जाए।

(b) जामिया उर्दू की प्रतिक्रिया

जामिया उर्दू ने अपनी विरासत की रक्षा की है और कहा है कि उसे स्वतंत्रता पूर्व भारत सरकार से मान्यता प्राप्त थी तथा यह एक सांस्कृतिक और भाषाई संस्था के रूप में प्रतिष्ठित है। लेकिन यह मान्यता आधुनिक कानूनों के तहत वैधता का पर्याय नहीं है। संस्थान अब मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के साथ भागीदारी कर वैध डिग्रियां प्रदान करने की संभावना तलाश सकता है।

(c) उत्तर प्रदेश सरकार की स्थिति

सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्णय का समर्थन किया है और राष्ट्रीय मानकों के पालन पर जोर दिया है। अधिकारियों ने कहा है कि आगे की भर्ती में केवल NCTE और UGC द्वारा मान्य डिग्रियों को स्वीकार किया जाएगा।

7. अपील की संभावना और भविष्य की दिशा

यह फैसला अंतिम नहीं हो सकता। प्रभावित अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर सकते हैं। वहां न्यायालय क़ानून की कड़ाई और न्यायसंगतता के बीच संतुलन बनाएगा, खासकर उन उम्मीदवारों के लिए जो सच्चे विश्वास में थे।

इसके साथ ही मांग बढ़ रही है:

NCTE और UGC द्वारा स्पष्ट और बाध्यकारी समानता नोटिफिकेशन जारी करने की।

शैक्षिक संस्थानों की स्थिति के प्रति सार्वजनिक जागरूकता अभियान।

डिग्रियों के निरस्तीकरण से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था।


17 मई 2025 का इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय शिक्षा की स्वायत्तता, नियामक नियंत्रण और संवैधानिक न्याय के बीच जटिल संबंधों का परिचायक है। यह अवैध डिग्रियों को अमान्य कर क़ानून के शासन की पुष्टि करता है, पर साथ ही राज्य की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है कि इस तरह की संस्थागत अस्पष्टताओं को रोकने में वह कैसे बेहतर भूमिका निभा सकता है।

आगे चलकर, जामिया उर्दू, नियामक निकायों, राज्य सरकार और न्यायपालिका के बीच समन्वित प्रयास आवश्यक होंगे ताकि इस संकट का समाधान निकाला जा सके। शिक्षा की गुणवत्ता और विद्यार्थियों के हित दोनों को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश और भारत में शिक्षा सुधार संभव होगा।

















👉भारत में फिर लौटा कोरोना, मुंबई में 53 नए केस, सतर्कता ज़रूरी  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/corona.html


👉उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/abhyudhya.html
 
 👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html

👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/BSA.html 

👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html  

👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html  

👉उत्तर प्रदेश में जातिवार गणना के लिए जियो फेंसिंग, टैबलेट और एआई तकनीक का होगा प्रयोग: एक ऐतिहासिक पहल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/censusnews.html  

👉AI टीचर ‘सुमन मैडम’ – झांसी के शिक्षक का अनोखा नवाचार   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/ai.html
























Tuesday, May 20, 2025

भारत में फिर लौटा कोरोना, मुंबई में 53 नए केस, सतर्कता ज़रूरी

 


दक्षिण-पूर्व एशिया के हांगकांग और सिंगापुर जैसे देशों में कोविड-19 के मामलों में अचानक आई तेजी के बाद अब भारत में भी कोरोना वायरस की वापसी होने लगी है। हाल ही में मुंबई में एक ही दिन में 53 नए कोरोना संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। यह 2020 के बाद की स्थिति की याद दिला रहा है, जब पूरे देश में लॉकडाउन और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता पड़ी थी। विशेषज्ञों के अनुसार SARS-CoV-2 वायरस का नया स्वरूप ही इसके पीछे की वजह हो सकता है, जो तेजी से फैल रहा है, हालांकि अभी तक इसकी गंभीरता कम मानी जा रही है।

भारत सरकार ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल समीक्षा बैठक बुलाई और फिलहाल हालात को नियंत्रण में बताया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि भारत की विशाल जनसंख्या के अनुपात में मरीजों की संख्या अभी बहुत कम है और घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन सतर्कता और सावधानी ज़रूरी है, क्योंकि यह वायरस पहले से कई गुना तेज़ी से फैल सकता है।

कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी सिर्फ मुंबई तक सीमित नहीं है। देश के अन्य राज्यों जैसे दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक में भी कोरोना के नए मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। 12 मई से अब तक भारत में 164 नए मामले सामने आए हैं, जिसमें 257 सक्रिय केस की पुष्टि हुई है। इससे साफ है कि कोरोना धीरे-धीरे फिर फैलने लगा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि अभी तक किसी गंभीर लक्षण या बड़े स्तर पर अस्पताल में भर्ती जैसी स्थिति नहीं बनी है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जिन लोगों में हल्के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार या कमजोरी दिख रही है, उन्हें होम आइसोलेशन और प्राथमिक इलाज से ठीक किया जा रहा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC), इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), और स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार स्थिति पर निगरानी रखे हुए हैं। देश की सभी स्वास्थ्य एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है और ज़रूरत पड़ने पर टेस्टिंग, वैक्सीनेशन और इलाज की व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।

इस बीच लोगों से अपील की जा रही है कि वे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें, मास्क पहनें, नियमित रूप से हाथ धोएं और यदि किसी प्रकार के लक्षण महसूस हों तो तुरंत जांच कराएं। विशेषज्ञों ने साफ कहा है कि फिलहाल घबराने की नहीं बल्कि समझदारी से व्यवहार करने की जरूरत है।

भारत सरकार ने यह भी कहा है कि पहले की तरह लॉकडाउन जैसे कड़े कदम उठाने की जरूरत नहीं है, लेकिन लोगों की भागीदारी और सतर्कता से ही इस स्थिति को पूरी तरह नियंत्रित रखा जा सकता है। शहरी क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है, खासकर जहां आबादी घनी है।

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह वायरस कोई नया वैरिएंट है या पुराना वायरस ही दोबारा सक्रिय हुआ है। वैज्ञानिक इसपर अध्ययन कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञ मिलकर इस पर रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर वायरस की वापसी क्यों हो रही है।

कोविड-19 के पिछले अनुभव से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली अब काफी बेहतर तरीके से तैयार है। अधिकतर लोग वैक्सीन की दोनों खुराकें ले चुके हैं, जिससे गंभीर मामलों की संभावना बहुत कम हो गई है। हालांकि बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, और पहले से बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

कोरोना की इस संभावित नई लहर के मद्देनज़र स्कूलों, दफ्तरों और सार्वजनिक स्थानों पर भी सतर्कता बढ़ा दी गई है। कई अस्पतालों को फिर से कोविड तैयार किया जा रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज शुरू किया जा सके। भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी राज्यों को ज़रूरी दवाइयां, ऑक्सीजन, और मेडिकल उपकरण समय पर उपलब्ध हों।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें। सभी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और सामाजिक दूरी बनाए रखनी चाहिए।

इस पूरी स्थिति में सबसे महत्वपूर्ण है लोगों की जागरूकता और सहयोग। यदि हर नागरिक सावधानी बरते, तो भारत इस बार भी कोरोना को पूरी तरह नियंत्रित करने में सफल हो सकता है।

अतः यह कहा जा सकता है कि हांगकांग और सिंगापुर के बाद अब भारत में भी कोरोना फिर लौट आया है, लेकिन इस बार देश अधिक सजग और तैयार है। कोरोना की इस नई दस्तक को हल्के में न लेते हुए हमें जिम्मेदारी से काम लेना होगा ताकि दोबारा कोई बड़ी लहर न आए और सामान्य जीवन सुरक्षित बना रहे।


👉उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/abhyudhya.html

👉TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी…. https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/tsct.html

 

 👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।

 

 https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/BSA.html 

 

👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html

 

👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html


उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल

 


अकबरपुर, कानपुर देहात में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण पहल के तहत एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल का निर्माण होने जा रहा है। यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। सरकार का उद्देश्य है कि गांवों और कस्बों के बच्चों को भी उन्हीं सुविधाओं से युक्त शिक्षा मिले, जो महानगरों के निजी स्कूलों में बच्चों को मिलती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में बनने वाले इस स्कूल के निर्माण पर कुल 22 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। पहले चरण में बनने वाले भवन के लिए 11 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है और यह भवन दो वर्षों के भीतर तैयार कर लिया जाएगा। इस स्कूल के लिए जो भूमि चिह्नित की गई है, वह अकबरपुर के शुभम तालाब के निकट है और इसका कुल क्षेत्रफल 10 एकड़ में फैला होगा। शांत और शिक्षण के अनुकूल वातावरण में इस स्कूल का निर्माण एक आदर्श स्थान पर किया जाएगा।
यह स्कूल सरकारी स्कूलों की तर्ज़ पर संचालित होगा, लेकिन इसकी सुविधाएं किसी भी निजी विद्यालय से कम नहीं होंगी। इसमें स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब, खेल मैदान, संगीत और कला की कक्षाएं, छात्रावास, स्वच्छ शौचालय, पीने का स्वच्छ पानी, सौर ऊर्जा आधारित बिजली व्यवस्था और हरा-भरा परिसर जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी। सरकार की मंशा है कि शिक्षा में गुणवत्ता और समानता लाकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी जीवन में आगे बढ़ने के उचित अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
इस विद्यालय में कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई होगी। प्रवेश मेरिट के आधार पर या चयन परीक्षा के ज़रिए होगा ताकि योग्य और प्रतिभाशाली बच्चों को इस विद्यालय में प्रवेश मिल सके। यह स्कूल विशेष रूप से उन बच्चों के लिए है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की क्षमता रखते हैं। मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल बच्चों के सर्वांगीण विकास पर केंद्रित होगा, जिसमें केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि नैतिक शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारी का भी बोध कराया जाएगा। शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण प्रयास होगा।
प्रदेश सरकार का यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समानता स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकारी और निजी स्कूलों के बीच की खाई को पाटने का यह प्रयास उन लाखों परिवारों के लिए राहतभरा संदेश है, जिनके बच्चे केवल संसाधनों की कमी के कारण पीछे रह जाते हैं। यह स्कूल उन होनहार छात्रों के सपनों को नया आयाम देगा, जिन्हें अभी तक उपयुक्त संसाधन नहीं मिल पा रहे थे। जिला प्रशासन भी इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए पूरी सक्रियता से कार्य कर रहा है। निर्माण कार्य की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश निर्माण निगम को सौंपी गई है और जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि काम समय से पूरा हो और गुणवत्ता में कोई कमी न हो।
यह स्कूल न केवल शिक्षा का नया केंद्र बनेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। निर्माण कार्य के दौरान श्रमिकों, ठेकेदारों और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं को रोजगार मिलेगा, वहीं विद्यालय के संचालन के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य स्टाफ की भी भर्ती की जाएगी। इससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और शिक्षा का स्तर बेहतर होने से सामाजिक विकास को भी गति मिलेगी।
मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल एक ऐसा प्रयास है, जिससे सरकारी शिक्षा प्रणाली में लोगों का भरोसा फिर से कायम होगा। यह विद्यालय न केवल पढ़ाई के लिए एक उत्कृष्ट स्थल होगा, बल्कि संस्कार, संस्कृति और सामाजिक उत्तरदायित्व की शिक्षा देने का केंद्र भी बनेगा। यहां से पढ़े छात्र भविष्य में डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज और देश की सेवा करेंगे। यह स्कूल क्षेत्र के बच्चों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करेगा।
इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे किस प्रकार निष्पक्षता और पारदर्शिता से लागू किया जाता है। सरकार ने इस दिशा में एक मजबूत और दूरदर्शी पहल की है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिलेगा। यह विद्यालय उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में पहले से चल रहे अभ्युदय स्कूलों की श्रेणी में एक महत्वपूर्ण और आदर्श उदाहरण बनेगा।
अकबरपुर में बनने वाला यह विद्यालय राज्य की शिक्षा नीति को मजबूती देने वाला और सामाजिक न्याय की दिशा में अग्रसर एक महत्वपूर्ण कदम है। शिक्षा की गुणवत्ता, समानता और सुलभता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई यह पहल न केवल सराहनीय है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय हो सकती है। इस स्कूल से निकलने वाले छात्र भविष्य में न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज और राष्ट्र का नाम रोशन करेंगे। यह विद्यालय एक ऐसा केंद्र बनेगा जहाँ से न केवल शिक्षा का प्रकाश फैलेगा, बल्कि समाज के विकास की नई रेखाएं भी खिंचेंगी।
सरकार का यह प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव रखेगा। जब एक गांव या कस्बा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा से जुड़ता है, तो उसका प्रभाव केवल शैक्षणिक स्तर पर नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी दिखाई देता है। अभ्युदय स्कूल जैसे प्रयास इस दिशा में एक मजबूत और सकारात्मक बदलाव का संकेत हैं। यह विद्यालय आने वाले वर्षों में हजारों बच्चों की तकदीर को संवारने वाला स्थान बन जाएगा।
इस तरह, मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल का निर्माण न केवल कानपुर देहात के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए गर्व और प्रेरणा का कारण होगा। यह एक ऐसा सपना है जिसे सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर साकार कर रहे हैं। जब यह विद्यालय पूर्ण रूप से कार्य करना शुरू करेगा, तब यह साबित करेगा कि सरकारी शिक्षा भी आधुनिक, सशक्त और प्रेरणादायक हो सकती है। यह विद्यालय आने वाली पीढ़ियों के सपनों को पंख देने वाला केंद्र बनेगा, और शिक्षा के उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ता उत्तर प्रदेश का प्रतीक होगा।

 


👉TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी…. https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/tsct.html

 

 👉ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।

   https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/BSA.html 

 

👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html


Saturday, May 17, 2025

ट्रांसफर में देरी पर यूपी सरकार ने 26 बीएसए को नोटिस।

 


कानपुर सहित यूपी के 26 जिलों के बीएसए पर सरकार की सख्ती – शिक्षकों के स्थानांतरण कार्यों में लापरवाही पर नोटिस

उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग ने 26 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन बीएसए पर आरोप है कि इन्होंने शिक्षकों के पारस्परिक स्थानांतरण (Mutual Transfer) से संबंधित कार्यों में लापरवाही बरती है। इन अधिकारियों पर शिक्षकों के आवेदन पत्रों का समय पर सत्यापन न करने और स्थानांतरण प्रक्रिया में देरी करने का आरोप है। इस कारण राज्य भर में कई शिक्षक नाराज हैं, और स्थानांतरण कार्य बाधित हो रहे हैं।

मुख्य मुद्दा क्या है?

हर साल उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को पारस्परिक स्थानांतरण की सुविधा दी जाती है। इस प्रक्रिया के तहत शिक्षक आपसी सहमति से एक-दूसरे की जगह पर ट्रांसफर के लिए आवेदन करते हैं। इस आवेदन के सत्यापन की जिम्मेदारी बीएसए की होती है। सत्यापन के बाद ही इनका ट्रांसफर आगे बढ़ पाता है।

लेकिन इस साल राज्य के 26 जिलों के बीएसए अपने-अपने जिलों से आए शिक्षकों के ट्रांसफर आवेदन की सत्यापन प्रक्रिया में ढिलाई बरत रहे हैं। शिक्षा विभाग का कहना है कि बीएसए या तो सत्यापन करते ही नहीं हैं या समय पर कार्यवाही नहीं करते, जिससे पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली बाधित हो रही है।

कौन-कौन से जिले हैं इस लापरवाही में शामिल?

जिन जिलों के बीएसए को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, उनमें शामिल हैं:

गोंडा
रायबरेली
सुल्तानपुर
अंबेडकरनगर
बहराइच
वाराणसी
मिर्जापुर
महोबा
मैनपुरी
मथुरा
मुरादाबाद
औरैया
चंदौली
इटावा
संतकबीरनगर
शामली
उन्नाव
आगरा
बलरामपुर
फतेहपुर
हापुड़
जौनपुर
कानपुर नगर
महाराजगंज
सम्भल
गाज़ीपुर

शिक्षा निदेशक की नाराजगी

शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने साफ कहा है कि इन बीएसए अधिकारियों को अपने कार्यों में रुचि नहीं है। इनकी उदासीनता के कारण शिक्षकों को परेशानी हो रही है और स्थानांतरण की प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हो रहा है।

निदेशक ने स्पष्ट किया कि यह एक संवेदनशील प्रक्रिया है और इसमें किसी प्रकार की देरी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी संबंधित बीएसए को 16 मई तक जवाब देने का निर्देश दिया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

आखिर सत्यापन क्यों है जरूरी?

पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया में सबसे अहम हिस्सा होता है – आवेदन पत्रों की पुष्टि और दस्तावेजों का सत्यापन। अगर किसी शिक्षक की जानकारी गलत होती है या वह तय मापदंडों पर खरा नहीं उतरता, तो उसके ट्रांसफर पर रोक लग जाती है। इसी वजह से सत्यापन में देरी होने पर सैकड़ों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।

शिक्षकों में बढ़ रहा आक्रोश

राज्य भर में शिक्षक संघों और संगठनों ने बीएसए की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब शिक्षा विभाग ने पहले ही समय-सीमा तय कर दी है, तब बीएसए क्यों देरी कर रहे हैं? इससे न सिर्फ शिक्षकों का भविष्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि उनके पारिवारिक और मानसिक जीवन पर भी असर पड़ रहा है।

कुछ जिलों में शाम तक भी नहीं हुआ सत्यापन

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई जिलों जैसे औरैया, उन्नाव और कानपुर नगर में शिक्षकों के आवेदन सत्यापन का कार्य शाम तक भी नहीं किया गया। इससे स्पष्ट है कि जिम्मेदार अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं।

सरकार की नई सख्ती

अब शिक्षा विभाग ने तय किया है कि अगर बीएसए अधिकारियों ने समय पर जवाब नहीं दिया और प्रक्रिया में सुधार नहीं किया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसमें वेतन रोकने, तबादला करने या निलंबन जैसी कार्रवाई भी शामिल हो सकती है।

अधिकारियों के काम में रुचि की कमी

शिक्षा विभाग ने कहा है कि इन बीएसए अधिकारियों की कार्यशैली यह दर्शाती है कि उन्हें अपने कार्यों में कोई रुचि नहीं है। जब कोई अधिकारी अपने दायित्व को गंभीरता से नहीं लेता, तो उसका सीधा प्रभाव शिक्षा व्यवस्था पर पड़ता है। शिक्षकों के स्थानांतरण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रिया में रुचि न लेना प्रशासनिक लापरवाही की श्रेणी में आता है।

निदेशक की सख्त चेतावनी

शिक्षा निदेशक ने यह भी कहा है कि बीएसए अधिकारी विभागीय निर्देशों का पालन करें और हर हाल में सत्यापन का कार्य निर्धारित समय में पूरा करें। उन्होंने चेताया कि अब विभाग बार-बार समय सीमा नहीं बढ़ाएगा।

समाप्ति और निष्कर्ष

यह पूरी घटना उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती है। अगर अधिकारी अपने कार्यों में रुचि नहीं लेंगे और समय पर दायित्व नहीं निभाएंगे, तो इसका सीधा असर शिक्षकों और अंततः विद्यार्थियों पर पड़ेगा।

शिक्षा विभाग की यह सख्ती स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के साथ-साथ तकनीकी रूप से पारदर्शी प्रणाली विकसित करनी चाहिए, जिससे शिक्षकों के स्थानांतरण जैसे कार्य बिना किसी अड़चन के हो सकें।


नोट: यह मेटा विवरण एक समाचार चित्र पर आधारित है, जिसमें 17 मई 2025 की तारीख का उल्लेख है और यह रिपोर्ट "स्वराज इंडिया" समाचार पत्र में प्रकाशित हुई है।


👉TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी…. https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/tsct.html

 

👉प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का सशक्त संदेश  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/pm.html


👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


👉TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/TSCT.html


Thursday, May 15, 2025

TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा

 


TSCT द्वारा एक ज़रूरतमंद परिवार को पक्की छत – शिक्षकों की मदद से बदल रही है एक ज़िंदगी

TSCT (Teachers Social Contribution Team) ने अपने चार साल के सफर में अनेक जरूरतमंद परिवारों की मदद की है, लेकिन इस बार की पहल विशेष है। इस बार सहयोग एक ऐसे परिवार के लिए किया जा रहा है जो आज भी छप्पर के नीचे जिंदगी बिता रहा है। यह परिवार आजमगढ़ जिले के पवई ब्लॉक के मझरिया गाँव में रहने वाले स्वर्गीय जोगेंद्र राजभर का है, जो शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत थे। उनके निधन के बाद परिवार बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रहा है।

इस कठिन समय में TSCT ने आगे बढ़कर यह निर्णय लिया है कि इस परिवार को कम से कम एक पक्की छत प्रदान की जाए, जिससे वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा, TSCT की ओर से इस परिवार की रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए कुछ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी, ताकि उनके जीवन यापन में कुछ सहूलियत आ सके।

TSCT द्वारा की जा रही इस मदद में हर शिक्षक साथी की भागीदारी आवश्यक है। आज जब शिक्षामित्र साथी TSCT के हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं, तो यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके किसी जरूरतमंद परिवार के लिए भी हम सब मिलकर कुछ करें। यह सहयोग सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सेवा भाव का प्रतीक है।

आप कल्पना कीजिए कि सिर्फ 300-310 रुपए का छोटा सा सहयोग किसी के जीवन में कितनी बड़ी राहत बन सकता है। यह सिर्फ दान नहीं, बल्कि एक पुण्य कार्य है। आप जब किसी को छत देते हैं, तो सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि सुरक्षा, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी देते हैं। एक शिक्षक होने के नाते जब आप किसी दूसरे शिक्षक के परिवार को संबल देते हैं, तो यह शिक्षा जगत की एकजुटता और मानवीयता का जीता-जागता उदाहरण बन जाता है।

TSCT का उद्देश्य केवल भवन बनवाना नहीं है, बल्कि ऐसे परिवारों की जिंदगी में स्थायित्व और सम्मान वापस लाना है। एक शिक्षामित्र जो वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देता रहा, उसके परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का प्रयास हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। यह प्रयास दिखाता है कि शिक्षक समाज केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए सच्ची सेवा भावना रखता है।

TSCT की इस पहल में सभी शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि वे आगे आएं और इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें। यह एक ऐसा अवसर है जिसमें हम अपने सहयोग से किसी की जिंदगी संवार सकते हैं। 300 रुपए का यह योगदान न केवल एक पक्की छत बनेगा, बल्कि यह उन बच्चों के भविष्य की नींव भी मजबूत करेगा जो उस घर में रहेंगे।

इस सहयोग के माध्यम से TSCT यह भी दिखा रहा है कि शिक्षक समाज के भीतर भी जब कोई संकट में होता है, तो हम सब एक परिवार की तरह एकजुट होते हैं। शिक्षकों की यह एकता और सेवा भावना ही TSCT की सबसे बड़ी ताकत है। TSCT केवल एक संगठन नहीं, बल्कि वह भावना है जो शिक्षक के भीतर छिपे सेवा भाव को समाज के सामने लाती है।

इस पूरी व्यवस्था को पारदर्शिता के साथ संचालित किया जा रहा है। जितना भी सहयोग एकत्र किया जाएगा, उसका पूरा विवरण TSCT द्वारा सार्वजनिक किया जाएगा। घर निर्माण की प्रक्रिया, खर्च, और हर गतिविधि की जानकारी सोशल मीडिया और ग्रुपों के माध्यम से साझा की जाएगी, ताकि सभी को यह विश्वास रहे कि उनका योगदान सही दिशा में जा रहा है।

इस नेक कार्य में भाग लेने से न केवल आत्मसंतोष मिलता है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा और भाईचारे का वातावरण भी बनता है। जो लोग आर्थिक रूप से बहुत बड़ा योगदान नहीं दे सकते, वे भी 300 रुपए जैसे छोटे सहयोग से इस अभियान में शामिल होकर बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं।

यह पहल केवल आजमगढ़ के एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश और देश के शिक्षक समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। जब एक शिक्षक समुदाय किसी साथी के परिवार के लिए इस तरह खड़ा होता है, तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मबल दोनों ही बढ़ते हैं।

TSCT की यह कोशिश बताती है कि हम केवल पढ़ाई नहीं करवाते, हम समाज की रीढ़ हैं। हम जरूरतमंदों का सहारा हैं और हम वे लोग हैं जो अपने कर्म और संवेदना से बदलाव ला सकते हैं। जब हम सब मिलकर किसी को छत देंगे, तो वह केवल उसका घर नहीं होगा, बल्कि पूरे शिक्षक समाज का गर्व और आत्मसम्मान भी उसमें समाहित होगा।

आइए, हम सब मिलकर इस नेक कार्य को सफल बनाएं। TSCT की इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बनकर हम न केवल एक परिवार को राहत देंगे, बल्कि एक नई परंपरा की नींव भी रखेंगे, जिसमें शिक्षक केवल ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि समाज सेवा का भी प्रतीक होगा।

आपका छोटा सा योगदान, किसी के जीवन का सबसे बड़ा सहारा बन सकता है।

TSCT – जहाँ शिक्षक समाज बनाता है एक बेहतर कल।

अब आपकी बारी है – चलिए मिलकर किसी को पक्की छत दें।


👉पीटीएम बैठक अप्रैल 2025 - अभिभावकों और शिक्षकों के सहयोग से छात्र उन्नति पर जोर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/PTM.html

 

👉TSCT: संकट में शिक्षकों का सच्चा साथी…. https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/04/tsct.html

 

👉प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का सशक्त संदेश  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/pm.html


👉उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की जानकारी अब ऑनलाइन होगी – हर गतिविधि मानव संपदा पोर्टल पर  https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/manavsampda.html


👉शिक्षक: समाज के सच्चे हीरो और जीवन के मार्गदर्शक https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/heroesofsociety.html


👉शिक्षकों ने गरीब लड़की की शादी के लिए की मदद https://upbasicschoolnews.blogspot.com/2025/05/poorgirl.html


Most Popular Post

Simple Guide to Business Education Benefits

  Business education is very helpful in today's fast-changing world. In this guide, we analyze the different types of educational benefi...